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Mercury transit बुध गोचर फल

बुध गोचर का फल – (Mercury transit)

(Mercury transit) ब्रह्मांड में स्थित ग्रह अपने अपने मार्ग पर अपनी अपनी गति से सदैव भ्रमण करते हुए एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं | जन्म समय में एक ग्रह जिस राशि में पाए जाते हैं वह राशि उनकी जन्म कालीन राशि कहलाती है | जो की जन्मकुंडली का आधार है | और जन्म के पश्चात किसी भी समय वे अपनी गति से जिस राशि में भ्रमण करते हुए दिखाई देते हैं, उस राशि में उनकी स्थिति गोचर कहलाती है |

Mercury transit
Mercury transit

चन्द्र के ऊपर बुध गोचर का फल – (Mercury transit)

चंद्रमा के ऊपर जब गोचर वश बुध आता है, तो चुगल खोरी में समय व्यतीत होता है | जातक अप शब्दों का प्रयोग करता है | धन हानि और बंधन का भय रहता है | छोटे-छोटे झगड़ों के कारण धन की हानि होती है, तथा लोग आदर सत्कार भी नहीं करते | सम्बन्धियों को हानि पहुंचती है, यदि यात्रा पथ में चलते हुए जातक का स्वागत भी हो तो भी अंततोगत्वा उसको आदर नहीं मिल पाता |

चन्द्र से दूसरे भाव में बुध गोचर का फल –  

(Mercury transit) चंद्रमा से बुध द्वितीय भाव में गोचर वश जब जाता है, तब आनंद व धन आभूषणों की प्राप्ति होती है | अपनी भाषण कला से मनुष्य अच्छा धन प्राप्त करता है | विद्या में उन्नति होती है | उत्तम खाद्य पदार्थों की प्राप्ति होती है, तथा सम्बन्धियों से भी धन की प्राप्ति होती है |

चन्द्र से तृतीय भाव में बुध गोचर का फल –

बुध चंद्रमा से तीसरे भाव में गोचर वश जब आता है, तो व्यक्ति डरा डरा रहता है | उसमें साहस की कमी होती है | बंधुओं से उसका झगड़ा तथा धन की हानि होती है | बाराही संहिता के अनुसार तृतीय भाव में आया हुआ बुध मित्रों की प्राप्ति करवाता है | जातक भय के कारण भागता फिरता है |

चन्द्र से चौथे भाव में बुध गोचर का फल – (Mercury transit)

चंद्रमा से चतुर्थ भाव में जब गोचर वश बुध आता है, तो धन की प्राप्ति होती है | माता को सुख मिलता है | जमीन जायदाद में वृद्धि होती है | अच्छे विद्वानों तथा भद्र पुरुषों से तथा उच्च पदस्थ लोगों से मित्रता बढ़ती है | घरेलू जीवन का सुख भी अच्छा मिलता है |

चन्द्रमा से पांचवें भाव में बुध गोचर का फल –

(Mercury transit) बुध चंद्रमा से पंचम भाव में जब गोचर वश आता है, तब मानसिक पीड़ा होती है | विचारित योजनाएं सफल नहीं होती, पुत्र तथा स्त्री से झगड़ा होता है | आर्थिक रूप से परेशानी रहती है | अन्य स्त्रियों से प्रेम वार्ता तो होती है, परंतु असफल रहती है |

चन्द्र से षष्ठ भाव में बुध गोचर का फल –

बुध चंद्रमा से छठे भाव में जब गोचर वश आता है, तो धन और उत्तम वस्त्रों का सुख होता है | अच्छी और मनोरंजक पुस्तकें पढ़ने का अवसर मिलता है | शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है | सभी लोग जातक का मान सम्मान करते हैं | प्रचुर शारीरिक और मानसिक सुख प्राप्त होता है | लेखन तथा बाद कला में ख्याति मिलती है |

चन्द्र से सप्तम भाव में बुध गोचर का फल –

चंद्रमा से सातवें भाव में जब बुध गोचर वश आता है, तो शरीर निस्तेज तथा पीड़ा युक्त रहता है | स्त्री आदि से विवाद रहता है, मित्रों तथा संबंधियों से भी अनबन रहती है | राज्य की ओर से भय रहता है, तथा धन का नाश होता है | यात्रा तथा व्यवसाय द्वारा लाभ नहीं होता मनुष्य चिंताओं में ग्रस्त रहता है |

चन्द्र से अष्टम भाव में बुध गोचर का फल –

(Mercury transit) बुध चंद्रमा से आठवें भाव में जब गोचर वश आता है, तो धन का लाभ तथा पुत्र को सुख होता है | शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है | हर कार्य में सफलता से प्रसन्नता बढ़ती है | जातक की आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति में बढ़ोतरी होती है |

चन्द्र से नौवें भाव में बुध गोचर का फल –

चंद्रमा से नवम भाव में बुध जब गोचर वश आता है, तब खेद संताप तथा सब कार्यों में विघ्न बाधाएं आती हैं | यात्रा में असुविधा तथा हानि होती है | धन और मान की भी हानि होती है | सम्बन्धियों तथा भाइयों से वैमनस्य रहता है | धर्म व शास्त्रीय बातों में छिन्द्रावेशन का प्रयत्न करता है |

चन्द्र से दसवें भाव में बुध गोचर का फल –  

बुध चंद्रमा से दशम भाव में गोचर वश आता है, तो किसी नए पद की प्राप्ति होती है | शत्रुओं की पराजय का सुख मिलता है | व्यवसाय की वृद्धि होती है | जातक को मानसिक सुख शांति के साथ-साथ उत्तम गृहस्थ सुख भी प्राप्त होता है | तथा मान में वृद्धि और सफलता प्राप्त होती है | जातक भी जनहित के कार्यों में लगा रहता है |

चन्द्र से ग्यारहवें भाव में बुध गोचर का फल –  

बुध चंद्रमा से एकादश भाव में जब गोचर वश आता है, तो स्वास्थ्य सुख यश और धन उत्तम रहता है | और उनसे सुख मिलता है | संतान प्राप्ति की संभावना भी रहती है | शुभ कार्यों में प्रवृत्ति बढ़ती है |

चन्द्र से बारहवें भाव में बुध गोचर का फल –  

बुध चंद्रमा से बारहवें भाव में जब गोचर वश आता है, तो धन तथा सुख में कमी होती है | चित्त में संताप तथा भोजन में अरुचि रहती है | झगड़े आदि के कारण प्रायः सभी कार्यों में रुकावट होती है | शत्रुओं द्वारा अपमान तथा पराजय का अवसर आता है | स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता संबंधियों से अनबन रहती है | तथा विद्या में विघ्न होता है |

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Pandit Rajkumar Dubey

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