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Nakshatra-नक्षत्र और उनकी विशेषताएं

नक्षत्र और उनकी विशेषताएं

Nakshatra – कृष्णमूर्ति पद्धति में नक्षत्रों का विशेष महत्व बताया है | इस पद्धति में प्रश्न कुंडली हो या जन्म कुंडली फलादेश करते समय नक्षत्रों का विशेष ध्यान रखा जाता है | वैसे तो नक्षत्रों का महत्व हमारे जीवन में कदम-कदम पर आता है | चाहे आप मुहूर्त देखें, बच्चे का नाम का विचार करें, विवाह का विचार करें, खोयी हुई वस्तु का विचार करें या यात्रा अक विचार करें किसी प्रकार के विचार करने के लिए Nakshatra का महत्व होता ही है | यदि आप बाजार देख रहे हैं, अनाज के भाव देख रहे हैं, जातक के गुणों का विचार कर रहे हैं जैसे ग्रहों से विचार करते हैं इसी प्रकार नक्षत्रों से भी विचार किया जाता है | नीचे सभी नक्षत्रों के कारकत्वों का विवरण दिया गया है |

अश्वनी नक्षत्र – घोड़ा, आयुर्वेदिक दवाइयां, सेवक, घुड़सवार, तराजू, एवं सुंदरता वाली वस्तुओं (Make up material) पर अश्वनी नक्षत्र का अधिकार होता है |

भरणी नक्षत्र – धान्य (अनाज), रक्त, मांस, वध करने वाले स्थान, जेल, आसक्ति और अवगुणों पर भरणी नक्षत्र का अधिकार होता है |

कृतिका नक्षत्र – के अधीन सफेद फूल, मंत्र जानने वाले अर्थात तांत्रिक, सूत्रों (clue) की भाषा जानने वाले, और उस पर बोलने वाले, विविध प्रकार की शक्लें  बनाने वाले, नाई, ब्राह्मण, कुम्हार, पुरोहित, ज्योतिषी आदि कृतिका नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

रोहिणी नक्षत्र – अच्छे व्रत वाले, दुकानदार, राजा, धनी, योगी, गाड़ीवान, गाय बैल, जलचर, किसान, पर्वत, और संपत्ति शाली मनुष्य पर रोहिणी नक्षत्र का अधिकार होता है |

ग्रहों की रश्मियों का फल

मृगशिरा नक्षत्र – वस्त्र, पद्म, फूल, फल, वनचर, विहंग (पक्षी), यज्ञ में सोमरस पीने वाले, गंधर्व, कामी प्रवृत्ति के पुरुष, पत्र वाहक आदि मृगशिरा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |  

पुनर्वसु नक्षत्र – उत्तम धान्य, सत्य, उदारता, स्वच्छ, कुल की प्रगति, बुद्धि, यश, अर्थयुक्त राज्य की सेवा में नियुक्त, व्यापारी, शिल्पी गण आदि पुनर्वसु नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

पुष्य Nakshatra – जौ, गेहूं, सभी प्रकार के चावल, गन्ने, मंत्र जानने वाले, राजा, जाल से आजीविका करने वाले, और यज्ञ की क्रिया में आसक्त हुए साधु लोग पुष्य नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

अश्लेषा नक्षत्र – बनाए हुए कंद, मूल फल, कीड़े-सांप, विष युक्त धन्य, पराए धन को हरण करने वाले, वैद्य, जहरीले पदार्थ से आत्मघात करने वाले  आदि अश्लेषा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

मघा नक्षत्र – धान्य, (अनाज) समस्त प्रकार के भवन निर्माण, धन-धान्य युक्त पर्वत के रहने वाले, पितृ भक्त, व्यापारी, शूरवीर, क्रव्याद (कच्चा मांस खा जाने वाले) और स्त्रियों से द्वेष करने वाले, शिकार करने वाले आदि मघा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र – नट युवती, सुभग (सुरीला) गायक, कारीगर, कपास, नमक, मधु, तेल, कुवांरे  आदि पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र – मृदुता, पवित्रता, विनय, दान, और शास्त्ररतरुष, राजा, सुंदर धान्य, स्वधार्मानुरागी, महाजन आदि उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

हस्त नक्षत्र – चोर, रथी, मंत्री, शिल्पी, धान्य, वैद्य, और ज्योतिष जानने वाले, व्यापारी आदि हस्त नक्षत्र के अधिकार में आते हैं  |

चित्रा नक्षत्र – भूषण, मणि, अंगराग, कुदरती तालाब, गंधर्व, व्यवहार, गंध युक्त  जानने वाले विज्ञानी, गणना में निपुण लोग और जुलाहे आदि चित्रा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

ज्योतिष में सूर्य का महत्व (Nakshatra)

स्वाति Nakshatra – खग, मृग, घोड़े, धान्य, बहुत सी हवा वाले स्थान, कुशल व्यापारी, जिनकी मित्रता स्थिर नहीं है ऐसे लघु स्वभाव वाले तथा निपुण व्यापारी स्वाति नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

विशाखा नक्षत्र – लाल फल फूल वाली शाखाएं, तेल, मूंग, कपास, उड़द, चने, इंद्र और अग्नि के भक्त अर्थात पारसी लोग विशाखा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

अनुराधा नक्षत्र – सूरता संपन्न, गणनायक, साधु, समूह में बैठने वाले और शरद ऋतु के उत्पन्न हुए सब द्रव्य अनुराधा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

ज्येष्ठा नक्षत्र – अत्यधिक बलशाली, कुलीन, यशस्वी, धनी, पराया धन हरण करने वाले, विजय की इच्छा करने वाले, राजा लोग, सेनानायक आदि ज्येष्ठा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

मूल नक्षत्र – औषधि, वैद्य, फूल, फल, मूल, पत्ते, बीज, और कंदमूल से जीविका करने वाले और बहुत धनी लोग मूल नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र – मृदु, जलपथगामी, सत्य वचन युक्त मनुष्य, पुल बनाने वाले, नहर बनाने वाले, सेवक, फल, फूल, पद्म आदि पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र – मंत्री, मल्ल अर्थात पहलवान, हाथी, घोड़े, तुरंग और देवता के भक्त, भोगवान, तेजयुक्त, स्थावर, और वीर लोग उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

श्रवण नक्षत्र – माया जानने वाले (जादूगर) चतुर लोग, नित्य उद्योग करने वाले, कर्म में सामर्थ रखने वाले, उत्साह युक्त, धर्म परायण, भगवत भक्त, सत्यवादी लोग श्रवण नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

धनिष्ठा नक्षत्र – मानरहित, अस्थिर दोस्ती वाले, स्त्री द्वेषी, दानरत, बहुत धन वाले, शांति परायण, राजा लोग धनिष्ठा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

ज्योतिष में चन्द्रमा का महत्व (Nakshatra)

शतभिषा नक्षत्र – ब्याध, मछली पकड़ने वाले, जलचरों से जीविका प्राप्त करने वाले, शुकर पालने वाले, धोबी, कलाकार और शकुनी लोग शतभिषा नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र – चोर प्रवृत्ति के, पशुपालक, हिंसा करने वाले, निम्न प्रवृत्ति के, शर्तों की चेष्टा करने वाले, धर्म व्रत हीन, मल्ल युद्ध करने में चतुर लोग पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र – यज्ञ, दान और तप करने वाले, महा वैभवशाली, आश्रमी, राजा, ब्राह्मण, पाखंडी और श्रेष्ठ स्थान सभी उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

रेवती नक्षत्र – जल से उत्पन्न हुए फल, फूल, लवण, मणि, शंख, मुक्ता, पद्म, सब प्रकार के सुगंधित फूल, गंधर्व, व्यापारी और नाव के खेवट अर्थात केवट रेवती नक्षत्र के अधिकार में आते हैं |

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श्री मद्भागवत महापूर्ण मूल पाठ

Pandit Rajkumar Dubey

Pandit Rajkumar Dubey

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