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unch neech grah fal- ऊंच,नीच राशिगत ग्रहों का फल

unch neech grah fal

जन्म के समय ग्रह आकाश में जहां स्थित होते हैं | वैसे ही कुण्डली में स्थित किये जाते हैं | जो ग्रह जिस राशि में होता हैं उसके अनुसार उनके उच्च, नीच, स्वक्षेत्री, मित्रक्षेत्री, आदि का विचार कर फलादेश किया जाता है | आपकी पत्रिका में कोण सा ग्रह किस स्थिति में हैं उसके अनुसार वह क्या फल देगा | यही इस (unch neech grah fal) नामक लेख में बताया गया है |

unch neech grah fal
unch neech grah fal

उच्च राशि गत ग्रहों का फल – (unch neech grah fal)

यदि सूर्य उच्च राशि में हो तो व्यक्ति धनवान, विद्वान, सेनापति, भाग्यवान एवं नेता आदि होता है | उच्च राशि में चन्द्र हो तो व्यक्ति माननीय मिष्ठानभोजी, अभिलाषी, अलंकार प्रिय एवं चंचल होता है |

मंगल यदि अपनी उच्च राशि में हो तो व्यक्ति सूर्यवीर, कर्तव्य परायण एवं राजमान्य होता है | यदि बुध अपनी उच्च राशि में हो तो व्यक्ति राजा, बुद्धिमान, लेखक, संपादक, राजमान्य, सुखी, वंश वृद्धि कारक एवं शत्रु नाशक होता है |

गुरु उच्च राशि में हो तो व्यक्ति सुशील, चतुर, विद्वान, राजप्रिय, ऐश्वर्यवान, मंत्री, शासक एवं सुखी होता है | शुक्र यदि उच्च राशि गत हो तो ऐसे जातक बिलासी, गीत-वाद्य प्रिय, भाग्यवान एवं कुछ कामी प्रवृत्ति के होते हैं |

उच्च राशि में शनि हो तो व्यक्ति राजा, जमींदार, भूमिपति, कृषक एवं उच्च प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है | राहु उच्च राशि गत हो तो व्यक्ति सरदार, अर्थात किसी भी क्षेत्र में मुखिया का पद, धनवान, सूर्यवीर होता है | यदि केतु उच्च राशि गत हो तो व्यक्ति राजप्रिय, सरदार, एवं कुछ निम्न प्रकृति का होता है |

मूल त्रिकोण राशि गत ग्रहों का फल –

सूर्य यदि मूल त्रिकोण राशि में हो तो जातक धनी, पूज्य एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है | चंद्र यदि अपनी मूल त्रिकोण राशि में हो तो व्यक्ति धनवान, सुखी, सुंदर एवं भाग्यवान होता है |

मंगल मूल त्रिकोण राशि गत हो तो जातक क्रोधी, निर्दयी, दुष्ट, कुछ चरित्रहीन, स्वार्थी, साधारण धनी, एवं सरदार होता है किंतु वह कुछ निम्न लोगों का सरदार होता है अर्थात निम्न श्रेणी के लोगों का सरदार होता है |

बुध के मूल त्रिकोण राशि गत होने से जातक धनवान, राजमान, महत्वाकांक्षी, सैनिक, व्यवसाय कुशल, प्रोफेसर एवं विद्वान होता है |

गुरु अपनी मूल त्रिकोण राशि में हो तो व्यक्ति तपस्वी, भोगी, राज प्रिय एवं कीर्तिमान होता है | शुक्र मूल त्रिकोण राशि गत हो तो व्यक्ति जागीरदार, पुरस्कार विजेता एवं कामनी प्रिय होता है |

शनि मूल त्रिकोण राशि में होने से जातक सूरवीर, सैनिक, उच्च सेना का अफसर, जहाज चालक, वैज्ञानिक, अस्त्र शस्त्रों का निर्माता एवं कर्तव्य परायण होता है | और राहु मूल त्रिकोण रही में हो तो धनी, लुब्धक एवं वाचाल होता है | केतु का भी राहु जैसे ही फल जानना चाहिए |

स्वक्षेत्र गत ग्रहों का फल – (unch neech grah fal)

सूर्य स्वग्रही हो – अपनी ही राशि में हो तो व्यक्ति सुंदर, कामी एवं ऐश्वर्य वान होता है | चंद्रमा स्वग्रही हो तो व्यक्ति तेजस्वी, रूपवान, धनवान एवं भाग्यवान होता है |

मंगल अपनी ही राशि में हो तो ऐसे जातक बलवान, ख्याति प्राप्त, कृषक एवं जमीदार आदि होते हैं | स्वग्रही बुध हो तो व्यक्ति विद्वान, शास्त्रज्ञ, लेखक एवं संपादक आदि होता है |

गुरु यदि अपने ही घर में अपनी ही राशि में हो तो काव्य-रसिक वैद्ध एवं शास्त्र विशारद होता है | शुक्र स्वग्रही हो तो जातक स्वतंत्र प्रकृति, धनी एवं विचारक होता है |

शनि स्वग्रही हो तो ऐसे जातक पराक्रमी, एवं उग्र प्रकृति के होते हैं | और राहु स्वग्रही हो तो सुंदर, यशस्वी एवं व्यक्ति भाग्यवान होता है | राहु के अनुसार ही केतु का फल समझना चाहिए |

मित्र क्षेत्र में स्थित ग्रहों का फल-

सूर्य यदि मित्र की राशि में हो तो जातक यशस्वी, दानी तथा व्यवहार कुशल होता है | और चंद्र यदि मित्र की राशि में हो में हो तो ऐसे जातक सुखी, धनवान और गुणज्ञ होते हैं |

मंगल मित्र क्षेत्रगत हो तो मित्रों का प्रिय और धनवान होता है | बुध मित्र क्षेत्र में हो तो व्यक्ति शास्त्रज्ञ, विनोदी, कार्यदक्ष अर्थात कार्यक्षेत्र में निपुण होता है |

गुरु मित्र क्षेत्रगत हो तो जातक उन्नति शील, तथा बुद्धिमान होता है | शुक्र अपने मित्र के क्षेत्र में हो तो पुत्रवान एवं सुखी होता है |

और शनि मित्र क्षेत्रगत हो तो परान्नभोजी अर्थात दूसरे के अन्य का भोजन करने वाला, धनवान और सुखी होता है |

शत्रु क्षेत्र में स्थित ग्रहों का फल-

सूर्य शत्रुक्षेत्री शत्रु ग्रह की राशि में हो तो ऐसे जातक दुखी तथा नौकरी करने वाले होते हैं | चंद्रमा शत्रु ग्रह की राशि में हो तो व्यक्ति माता से दुखी एवं ह्रदय रोगी होता है |

मंगल शत्रु क्षेत्रगत हो तो जातक विकलांग, व्याकुल तथा दीन-मलीन होता है | बुध यदि शत्रु ग्रह की राशि में हो तो जातक वासनायुक्त, साधारण सुखी और कर्तव्य हीन होता है |

गुरु शत्रु की राशि में हो तो जातक भाग्यवान तथा चतुर होता है | शुक्र शत्रु क्षेत्रगत हो तो व्यक्ति नौकर तथा दासवृत्ति करने वाला होता है | और यदि शनि शत्रु क्षेत्रगत हो तो ऐसे जातक अक्सर दुखी रहते हैं |

नीच राशि गत ग्रहों का फल-  (unch neech grah fal)

सूर्य नीच राशि में स्थित हो तो ऐसे जातक पाप करने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते तथा बंधु-बांधवों की सेवा करने वाले होते हैं |

चंद्रमा यदि नीच राशि में स्थित हो तो जातक रोगी, अल्प धनवान और कुछ निम्न प्रकृति के होते हैं | मंगल यदि नीच राशि गत हो तो व्यक्ति कृतघ्न होता है |

और यदि बुध नीच राशि में स्थित हो तो ऐसे जातक बंधु विरोधी, चंचल और उग्र प्रकृति के होते हैं |गुरु नीच राशिगत हो तो जातक अपराधी, अपयश भागी और कुछ खल प्रवृत्ति के होते हैं |

शुक्र नीच राशि गत हो तो जातक दुखी रहता है | और शनि यदि नीच राशि गत हो तो व्यक्ति दरिद्री और दुखी रहता है |

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Pandit Rajkumar Dubey

Pandit Rajkumar Dubey

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