Kajari Teej Vrat Katha

कजरी कजली तीज का महत्व (Kajli Kajari Teej Mahatv)

हमारे अन्य त्योहारों की तरह इस तीज त्यौहार का भी अलग महत्त्व है | Kajari Teej Vrat Katha एक ऐसा त्यौहार है जो सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है | हमारे देश में विवाह का बंधन सबसे अटूट माना जाता है | पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए तीज का व्रत रखा जाता है | अक्षय तितीया, हरितालिका तीज की तरह यह भी हर सुहागन के लिए महत्वपूर्ण है | इस दिन भी पत्नी अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती है |  व कुआरी कन्यायें अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती है |

kajari teej vrat katha
kajari teej vrat katha

कजरी तीज पूजा विधि

सामग्री  कजरी तीज के लिए कुमकुम, काजल, मेहंदी, मौली, अगरबत्ती, दीपक, माचिस, चावल, कलश, फल, नीम की एक डाली, दूध, ओढ़नी, सत्तू, घी, तीज व्रत कथा बुक, तीज गीत बुक और कुछ सिक्के आदि पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है |

कजरी (कजली) तीज की पूजा विधि (Kajari Teej Vrat Katha)

पहले कुछ रेत जमा करें और उससे एक तालाब बनाये | यह अच्छे से बनायें ताकि इसमे जो जल डाला गया है वह लीक ना हो | और यदि आपके आस-पास तालाब हो तो वहां पूजा करनी चाहिए |

अब तालाब के किनारे मध्य में नीम की एक डाली को लगा दीजिये, और इसके ऊपर लाल रंग की ओढ़नी उढ़ा दीजिये |

इसके बाद इसके पास गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतिमा विराजमान कीजिये | प्रतिमा के अभाव में सुपारी पर रक्षासूत लपेटकर गौरी गणेश बना लेना चाहिए |  जैसे की आप सभी जानते हैं इनके बिना कोई भी पूजा नहीं की जा सकती |

अब कलश के ऊपरी सिरे में मौली बाँध दीजिये और कलश पर स्वास्तिक बना लीजिये | कलश में कुमकुम और चावल के साथ सत्तू और गुड़ भी चढ़ाइए | कलश में एक सुपारी तथा एक सिक्का भी डाल दीजिये |

इसी तरह गणेश जी और लक्ष्मी जी को भी कुमकुम, चावल, सत्तू, गुड़, सिक्का और फल अर्पित कीजिये | विशेषकर पूजन के लिए ब्राम्हण को बुला लेना चाहिए | यदि ब्राम्हण की व्यवस्था न हो सके तो स्वम् पूजन करना चाहिए |

इसी तरह तीज की पूजा अर्थात नीम की पूजा कीजिये | और सत्तू तीज माता को अर्पित कीजिये | इसके बाद दूध और पानी तालाब में डालिए |

सुहागन महिलाओं को तालाब के पास कुमकुम, मेंहदी और काजल के सात बिंदु देना पड़ता है | तथा अविवाहित कन्याओं को यह 16 बार देना होता है |

बहुला चौथ (बोल चौथ) व्रत विधि एवं कथा

अब व्रत कथा शुरू करने से पहले अगरबत्ती और दीपक जला लीजिये | व्रत कथा को पूरा करने के बाद महिलाओं को तालाब में सभी चीजों जैसे सत्तू, फल, सिक्के और ओढ़नी का प्रतिबिंब देखने की जरूरत होती है | जोकि तीज माता को चढ़ाया गया था | इसके साथ ही वे उस तालाब में दीपक और अपने गहनों का भी प्रतिबिंब देखती हैं |

व्रत कथा खत्म हो जाने के बाद के कजरी गीत गाये जाते हैं | और सभी मातायें तीज से प्रार्थना करती है | अब खड़े होकर तीज माता के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए |

कजरी तीज नाम क्यों पड़ा (Kajari Teej Vrat Katha)

पुराणों के अनुसार मध्य भारत में कजली नाम का एक वन था | इस जगह का राजा दादुरै राज्य करता था | इस जगह में रहने वाले लोग अपने स्थान कजली के नाम पर गीत गाते थे | जिससे उनकी इस जगह का नाम चारों और फैले और सब इसे जाने | कुछ समय बाद राजा की म्रत्यु हो गई और उनकी रानी नागमती सती हो गई | जिससे वहां के लोग बहुत दुखी हुए और इसके बाद से कजली के गाने पति – पत्नी के जनम – जनम के साथ के लिए गाये जाने लगे |

इसके अलावा एक और कथा इस तीज से जुडी है | माता पार्वती शिव से शादी करना चाहती थी, लेकिन शिव ने उनके सामने शर्त रख दी | वे बोले की अपनी भक्ति और प्रेम को सिद्ध कर के दिखाओ | तब पार्वती ने 108 साल तक कठिन तपस्या की और शिव को प्रसन्न किया | शिव ने  पार्वती से खुश होकर इसी तीज को उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था | इसलिए इसे कजरी तीज कहते है | कहते है बड़ी तीज को सभी देवी देवता शिव पार्वती की पूजा करते है |

कजली तीज को इस तरह से मनाया जाता है (Kajari Teej Vrat Katha)

इस दिन हर घर में झूला डाला जाता है | और औरतें इस में झूल कर अपनी ख़ुशी व्यक्त करती है |

औरतें अपनी सहेलियों के साथ एक जगह इकट्ठी होती है और पूरा दिन नाच गाने मस्ती में बिताती है |

तीज का यह व्रत कजली गानों के बिना अधूरा है | गाँव में लोग इन गानों को ढोलक मंजीरे के साथ गाते है |

इस दिन गेहूं, जौ, चना और चावल के सत्तू में घी मिलाकर तरह तरह के पकवान बनाते है |

व्रत शाम को चंद्रोदय के बाद तोड़ते है, और ये पकवान खाकर ही व्रत तोड़ना चाहिए |

आटे की 7 रोटियां बनाकर उस पर गुड़ चना रखकर गाय को खिलाया जाता है | इसके बाद ही व्रत तोड़ते है |

कजरी तीज की कथा

इस तीज की बहुत सी कथाएं प्रचलित है | अलग- अलग स्थान में इसे अलग तरह से मनाते है इसलिए वहां की कथाएं भी अलग है | हम आपको कुछ प्रचलित कथाएं बता रहे हैं |

सात बेटों की कहानी (Kajari Teej Vrat Katha)

एक साहूकार था उसके सात बेटे थे | तीज के दिन उसकी बड़ी बहु नीम के पेड़ की पूजा कर रही थी तभी उसके पति की मृत्यु हो जाती है | कुछ समय बाद उसके दूसरे बेटे की शादी होती है, उसकी बहु भी सतुदी तीज के दिन नीम के पेड़ की पूजा कर रही होती है तभी उसका पति मर जाता है | इस तरह उस साहूकार के 6 बेटे मर जाते हैं | फिर सातवें बेटे की शादी होती है और सतुदी तीज के दिन उसकी पत्नी अपनी सास से कहती है कि वह आज नीम के पेड़ की जगह उसकी टहनी तोड़ कर उसकी पूजा करेगी |

तब वह पूजा कर ही रही होती है कि साहूकार के सभी 6 बेटे अचानक वापस आ जाते है, लेकिन वे किसी को दिखते नहीं है | तब वह अपनी सभी जेठानियों को बुला कर कहती है कि नीम के पेड़ की पूजा करो और पिंडा को काटो | तब वे सब बोलती है कि वे पूजा कैसे कर सकती है जबकि उनके पति यहाँ नहीं है | तब छोटी बहुत बताती है कि उन सब के पति जिंदा है | तब वे प्रसन्न होती है और नीम की टहनी की पूजा अपने पति के साथ मिल कर करती है | इसके बाद से सब जगह बात फ़ैल गई की इस तीज पर नीम के पेड़ की नहीं बल्कि उसकी टहनी की पूजा करनी चाहिए |

सत्तू की कहानी (Kajari Teej Vrat Katha)

एक किसान के 4 बेटे और बहुएं थी | उनमें से तीन बहुएं बहुत संपन्न परिवार से थी, लेकिन सबसे छोटी वाली गरीब थी और उसके मायके में कोई था भी नहीं | तीज का त्यौहार आया, और परंपरा के अनुसार तीनों बड़ी बहुओं के मायके से सत्तू आया लेकिन छोटी बहु के यहाँ से कुछ ना आया | तब वह इससे उदास हो गई और अपने पति के पास गई | पति ने उससे उदासी का कारण पुछा | उसने सब बताया और पति को सत्तू लाने के लिए कहा | उसका पति पूरा दिन भटकता रहा लेकिन उसे कहीं सफलता नहीं मिली | वह शाम को थक हार के घर आ गया | उसकी पत्नी को जब यह पता चला कि उसका पति कुछ ना लाया तब वह बहुत उदास हुई | अपनी पत्नी का उदास चेहरा देख चोंथा बेटा रात भर सो ना सका |  

अगले दिन तीज थी जिस वजह से सत्तू लाना अभी जरुरी हो गया था | वह अपने बिस्तर से उठा और एक किराने की दुकान में चोरी करने के इरादे से घुस गया | वहां वह चने की दाल लेकर उसे पीसने लागा, जिससे आवाज हुई और उस दुकान का मालिक उठ गया | उन्होंने उससे पुछा यहाँ क्या कर रहे हो ? तब उसने अपनी पूरी गाथा उसे सुना दी | यह सुन बनिए का मन पलट गया और वह उससे कहने लगा कि तू अब घर जा, आज से तेरी पत्नी का मायका मेरा घर होगा | वह घर आकर सो गया |

वरलक्ष्मी व्रत विधि एवं कथा

अगले दिन सुबह सुबह ही बनिए ने अपने नौकर के हाथ 4 तरह के सत्तू, श्रृंगार व पूजा का सामान भेजा | यह देख छोटी बहुत खुश हो गई | उसकी सब जेठानी उससे पूछने लगी की उसे यह सब किसने भेजा | तब उसने उन्हें बताया की उसके धर्म पिता ने यह भिजवाया है | इस तरह भगवान ने उसकी सुनी और पूजा पूरी करवाई |

व्रत तोड़ने के बाद क्या खाना चाहिए ?

निर्जला व्रत खोलते वक्त आपको नारियल पानी पीना चाहिए |

उपवास खोलने के बाद आपको एक बाउल पपीता या कोई फल खाना चाहिए |

फल खाने के करीब 1 घंटे बाद खाना खाएं |

व्रत खोलने के बाद एकदम से ज्यादा खाना न खाएं |

व्रत खोलने के बाद खट्टे फल नहीं खाने चाहिए |

इन्हें भी देखें –

जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?

जानें कैसे कराएँ ऑनलाइन पूजा ?

श्री मद्भागवत महापूर्ण मूल पाठ से लाभ

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *