साडेसाती विचार-
शनि की sade sati प्रत्येक मनुष्य के जीवन में आती है किंतु सभी मनुष्यों को इसका बिपरीत प्रभाव मिले यह जरूरी नहीं है। कुछ मनुष्यों की कुण्डली में ऐसे योग होते हैं जिन्हें शनि की साड़ेसाती मालामाल कर देती है तो किसी किसी को रोड पर खड़ा कर देती है। बुरे प्रभाव वाली साड़ेसाती कुछ सरल एवं सटीक उपचार तंत्र शास्त्र में मौजूद हैं। जरूरत है तो सही विचार एवं सही उपचार की। यह रिपोर्ट आपको साड़ेसाती की सम्पूर्ण जानकारी तथा कारगर उपाय बतायेगी।शनि जब चन्द्रमा से बारहवे भाव में गोचर वश आता है तभी व्यक्ति की sade sati आरम्भ होती है | इसके चार चरण या पाद भी कहते हैं होते है तथा उन्हीं प्रवेश चरण के अनुसार उनका फल होता है |
प्रथम पाद स्वर्ण पाद, द्वतीय पाद रजत (चांदी) पाद, तृतीय ताम्र पाद और चतुर्थ पाद लोह से मानी जाती है | आपकी कुण्डली में किस पाद से प्रारम्भ हुआ है उसके अनुसार उसका फल प्राप्त होगा | स्वर्ण पाद से सर्व सुख , चांदी पाद से अधिक लाभ, ताम्र पाद से धन लाभ और लोह पाद से द्रव्य विनाशकारक होता है | किन्तु केवल पाद ही विचारनीय नहीं है | अन्य ग्रहों की स्थिति, दृष्टि आदि पर भी विचार किया जाता है | अशुभ साडेसाती व्यक्ति के मन को अशांत कर देती है | व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है | कोई भी काम नहीं बनता तथा मन दुर्व्यसन की ओर जाने लगता है |
यदि आपके साथ ऐसा होता है और आपके पास सही जन्म तारीख जन्म का समय नहीं है तो आपको शनि यन्त्र पहनना चाहिए | शनि यन्त्र प्राप्त करने के लिए शनि यन्त्र पर किलिक करें |
जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?