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buddha purnima

Buddha Purnima-Vaishakh Purnima

बुद्ध पूर्णिमा – वैशाख पूर्णिमा

Buddha Purnima – वैशाख मास हमारे हिन्दू धर्म में विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है | इस पुरे माह लोग दान पुण्य आदि धार्मिक अनुष्ठान किया करते हैं | यह माह भगवान भूतभावन भोले नाथ को समर्पित है | इस माह की अंतिम तिथि वैशाखी पूर्णिमा तथा बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जनि जाती है | इस पूर्णिमा को दान पुण्य आदि धार्मिक कार्य किये जाते हैं | इसी दिन भगवान बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी | तभी से यह बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है |

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वैशाखी पूर्णिमा को बहुत ही पवित्र माना जाता है | बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग इस दिन को बड़ी ही धूम-धाम से मनाते हैं | हिन्दू धर्म के लोग भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार मानते हैं |

वैशाख पूर्णिमा को सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहते हैं

वैशाख पुर्णिमा की कथा (buddha purnima in hindi)

एक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा जब भगवान श्री कृष्ण से मिलने द्वारिका गए तो उनहोंने सुदामा को विनायक सत्य व्रत का विधान बताया | इसी व्रत के प्रभाव से सुदामा की सब दरिद्रयता जाती रही और वह अत्यंत वैभवशाली बन गए |

इस दिन केवल हमारे भारत देश में ही नहीं वल्कि अनेक देशों में इस दिन कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है | श्रीलंका, चीन, तिब्बत और विश्व भर में फैले बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे अपने-अपने ढंग से मानते हैं | बिहार में स्थित बोधगया नाम स्थान में हिन्दू व बौद्ध धर्म के पवित्र तीर्थ स्थान हैं |

गृहत्याग के पश्चात् सिद्धार्थ सात वर्ष तक वन में भटकते रहे | अंततः बोधि वृक्ष के नीचे उन्होंने कठोर तप किया और वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई | तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है |

बुद्ध पूर्णिमा कैसे मनाएं (buddha jayanti 2021)

Buddha Purnima – इस दिन बौद्ध धर्म के मानने वालों के घरों में दीवाली जैसे सजाया जाता है | घरों में बंदन वारों से और फूलों से सजाया जाता है और दिए जलाये जाते हैं | इस महान पर्व पर दुनियाभर से बौद्ध धर्म के मानने वाले बोधगया आते हैं और प्रार्थना करते हैं | इस दिन सभी बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं | जड़ों में दूध और सुगन्धित जल डाला जाता है | बोधि वृक्ष के आसपास दीपक जलाये जाते हैं | गरीबों को भोजन व वस्त्र आदि दान में देते हैं | इस पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर आकाश में छोड़ा जाता है |

वैशाख मास का महत्व (vaishakh purnima)

वैशाख माह की अंतिम तिथि होने के कारण इस दिन दान पुण्य का भी विशेष महत्व धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है | इस दिन जलपूर्ण कलश और पकवान दान करना चाहिए | ब्राम्हणों को शर्करा सहित तिल का दान करना चाहिए |  स्नान करते समय जल में तिल मिलकर स्नान करना चाहिए | घी, शक्कर और तिल भगवान विष्णु को अर्पित कर भगवान विष्णु के किसी भी मन्त्र से उसी सामग्री की अग्नि में आहुति देनी चाहिए | शहद और तिल का दान का भी विधान है | तिल के ही तेल का दीपक जलना चाहिए | इस दिन व्रत रखना चाहिए तथा चन्द्रमा अथवा सत्यनारायण की कथा सुननी चाहिए | और यथा शक्ति ब्राम्हण को भोजन दान आदि करना चाहिए |

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