जन्मस्थ ग्रहों के ऊपर से चंद्र का गोचर –
(Chandra gocharfal) सूर्य आदि ग्रहों का जन्म कालीन ग्रहों पर तथा उनसे कुछ विशिष्ट स्थानों पर से गोचर, और उसका स्थिति तथा दृष्टि के प्रभाव द्वारा क्या फल होता है |
जन्म कुंडली के ग्रहों पर से जब गोचरवश ग्रह विचरण करते हैं, तो स्थान और राशि के अनुसार विशेष शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं | प्रस्तुत लेख में इसी विचरण से संबंधित कुछ उपयोगी जानकारी आप लोगों को दी जाएगी |
जन्मस्थ सूर्य के ऊपर चन्द्र का गोचर – (Chandra gocharfal)
(Chandra gocharfal) जन्म के समय सूर्य जहां स्थित होगा उसके ऊपर से अथवा उससे सप्तम भाव पर जब भी चंद्र गोचर करेगा, तो उसका शुभाशुभ प्रभाव प्राप्त होगा | यह प्रभाव जन्मस्थ चन्द्र के शुभ अशुभ होने पर निर्भर करता है | फिर भी प्रायः इस अवधि में विशेषताया जबकि जन्म कुंडली में चंद्रमा पक्ष वाल में क्षीण हो और गोचर द्वारा जन्मस्थ सूर्य से युति करें, तो ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य नरम रहता है | धन की कमी रहती है | प्रयत्न करने पर भी कार्य सफल नहीं होते, और राज्य से कुछ विरोध रहता है | आंखों में भी कष्ट रहता है |
जन्मस्थ चन्द्र के ऊपर चन्द्र का गोचर –
जन्म के समय कुंडली में स्थित चंद्र अथवा उससे सप्तम भाव पर से जब गोचर का चंद्र जाए, और जन्म के समय बलवान और शुभ हो तो उसकी गोचर अवधि के दिन आराम से बीतते हैं | खुशी के समाचार मिलते हैं | पुरुषार्थ से धन वृद्धि होती है | मान सम्मान की वृद्धि होती है | यदि चंद्रमा जन्मकुंडली में क्षीण अथवा अशुभ हो तो गोचर काल में मानसिक चिंता देता है | धन की कमी का अनुभव होता है |
जन्मस्थ मंगल के ऊपर चन्द्र का गोचर –
जन्म के समय मंगल कुंडली में जहां पर स्थित हो उसके ऊपर से अथवा उससे सप्तम भाव से यदि चन्द्र गोचर करता है, तो व्यक्ति शत्रुओं से पराजय परास्त होता है | भूमि का क्षय होता है | शक्ति को कम करता है | जन्म कालीन शुभ चंद्रमा का फल उपरोक्त फल के विपरीत जाने अर्थात शुभ जाने |
जन्मस्थ बुध के ऊपर चन्द्र का गोचर -(Chandra gocharfal)
जन्म के समय कुंडली में स्थित बुध के ऊपर से अथवा उससे सप्तम स्थान से जब गोचर वश चंद्रमा जाता है, और साथ ही जन्म के समय क्षीण अथवा अशुभ है | तो लिखने पढ़ने का अवसर नहीं मिलता | अशुभ तथा चिंताजनक समाचार मिलते हैं | व्यापार में कई प्रकार की परेशानियां खड़ी हो जाती हैं | किसी संबंधी से भी तू-तू मैं-मैं हो जाती है | यदि जन्म के समय चंद्रमा बलवान और शुभ है तो, ऊपर बताए गए फल का विपरीत फल प्राप्त होगा अर्थात शुभ फल प्राप्त होगा |
जन्मस्थ गुरु के ऊपर चन्द्र का गोचर-
जन्म के समय कुंडली में स्थित गुरु के ऊपर से अथवा उससे सप्तम भाव पर से जब भी गोचर का चंद्र जाएगा, तब अशुभ फल देता है | विशेषतया यह फल यदि जन्म के समय चंद्रमा क्षीण तथा अशुभ हो तब अशुभ फल प्राप्त होते हैं | धन प्राप्ति में बाधाएं आती हैं | शारीरिक कष्ट भी होता है | भाई बंधुओं तथा राज्य कर्मचारियों के प्रति जातक का व्यवहार अनुचित हो जाता है | सुख में कमी होती है | और यदि जन्म के समय चंद्रमा शुभ है तथा बलवान है तो, इसके विपरीत फल प्राप्त होते हैं, अर्थात शुभ फल प्राप्त होता है |
जन्मस्थ शुक्र के ऊपर चन्द्र का गोचर -(Chandra gocharfal)
जन्म के समय के शुक्र के ऊपर से अथवा उससे सप्तम स्थान से मैं जब गोचर का चंद्रमा आता है तो, इस अवधि में स्त्री का सुख प्राप्त होता है | सुंदर महिलाओं से संपर्क होता है | मनोरंजन और ऐशो आराम के साधन स्वतः ही जुट जाते हैं | धन का भी पर्याप्त लाभ होता है | यह फल जन्मकुंडली में चंद्रमा शुभ तथा बलवान होने पर गोचर के चंद्रमा द्वारा मिलते हैं | अन्यथा ऊपर बताए गए फल के विपरीत फल प्राप्त होते हैं अर्थात अशुभ फल प्राप्त होते हैं |
जन्मस्थ शनि के ऊपर चन्द्र का गोचर –
जन्मस्थ शनि के ऊपर से अथवा उससे सप्तम स्थान पर से जब गोचर का चंद्रमा गुजरता है, और जन्म कालीन चंद्र बलवान तथा शुभ होता है | तो सामान्यतया धन की प्राप्ति होती रहती है | और यदि जन्म के समय चंद्र पापी तथा निर्बल हो तो, नौकर-चाकरों पर मनुष्य बरस पड़ता है, तथा हानि उठाता है | व्यापार में भी कुछ मंदी बनी रहती है, या नुकसान होता रहता है |
जन्मस्थ राहु-केतु के ऊपर चन्द्र का गोचर – (Chandra gocharfal)
राहु और केतु एक छाया ग्रह है और इनकी अपनी कोई राशि नहीं होती, इसीलिए शायद ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को गोचर में नहीं लिया गया | फिर भी जो अनुभव में आया है, उसके अनुसार चंद्रमा और राहु-केतु की युति सदा ही मन को पीड़ा पहुंचाने वाली पाई गई है | जैसे व्यक्तियों का मन अव्यवस्थित रहना, मन निराश रहना, मन दुर्व्यसन की ओर आकर्षित होना आदि हानिकारक विचार ही मन में आते पाए गए हैं |
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