गंडमूल दोष क्या है और इसे कैसे दूर करें
क्या होता है गंडमूल दोष – अश्विनी, अशलेखा, मघा, ज्येष्ठा, मूल व रेवती इन छः नक्षत्रों को मूल कहते हैं | इसमे अश्लेषा, ज्येष्ठा व मूल को बड़े मूल और अश्विनी, मघा व रेवती को छोटे मूल कहते हैं | इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले जातकों के mool shanti के लिए उपर्युक्त नक्षत्रों के मन्त्र का जप करवाना चाहिए |
नक्षत्र शांति पूजा का उद्देश्य
नक्षत्र शांति पूजा का उद्देश्य किसी व्यक्ति के जन्म के समय के अशुभ नक्षत्रों के प्रभावों को दूर करना होता है | जब व्यक्ति को अशुभ नक्षत्र इस हद तक प्रभावित करता है कि वह इसके प्रभाव को सहन करने में असमर्थ हो जाता है, उस समय नक्षत्र शांति पूजा अवश्य कराना चाहिए | शास्त्रों में उल्लेख है कि नक्षत्र शांति पूजा के माध्यम से नक्षत्रों के अध्यक्ष देवताओं को शांत किया जाता है | जिससे नक्षत्र के दुष्प्रभाव कम होने लगते हैं |
मूल दोष के प्रभाव –(mool shanti)
जिसका जन्म मूल के प्रथम चरण में होता है वह पिता का, दुसरे चरण में माता का, तीसरे चरण में धन का नाश व चौथे चरण में खुद के लिए हानिकारक होता है | इसी प्रकार अश्लेषा का चौथा चरण पिता का, तीसरा चरण माता का, दूसरा चरण धन का तथा प्रथम चरण खुद के लिए हानिकारक होता है |
मूल पूजा के लाभ – मूल पूजा से व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है |
उसके बिगड़ते काम बनने लगते हैं |
स्वास्थ अच्छा रहने लगता है |
बुरे स्वप्न नहीं आते |
व्यापर में बाधा नहीं आती |
मूलों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए मूल दोष शान्ति पूजा अवश्य करानी चाहिए |
आपके द्वारा प्राप्त जानकारी –
जिस व्यक्ति के नाम से अनुष्ठान होना हो उसका नाम, पिता/पति का नाम, गोत्र तथा स्थान | आप अपना पोस्टल एड्रेस निचे दिए Whatsapp नम्बर पर भेजें जिसके माध्यम से आपके पास यन्त्र भेजा जा सके |
कैसे कराएँ यह पूजन –
आप राजगुरु ज्योतिष अनुसन्धान केंद्र में फोन 91 7470934089 कर या Whatsapp नम्बर 7470934089 पर संपर्क कर पूजन करवाने के लिए समय ले सकते हैं | यह पूजन शुभमुहूर्त देखकर ही आरम्भ की जाएगी | जिसके फलस्वरूप आपको पूरा लाभ प्राप्त हो सके |
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