सरस्वती यंत्र: ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति का अचूक उपाय
Saraswati yantra benefits – श्री सरस्वती यंत्र एक पवित्र यंत्र माना जाता है | यह यन्त्र देवी सरस्वती का प्रतिनिधित्व करता है, जो ज्ञान, संगीत, कला, ज्ञान और शिक्षा का अवतार है । हिंदू पौराणिक कथाओं में, सरस्वती को ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा की दिव्य पत्नी के रूप में पूजा जाता है। उन्हें अक्सर वीणा (एक संगीत वाद्ययंत्र) बजाते हुए और कमल पर बैठे हुए चित्रित किया जाता है, जो पवित्रता और उत्कृष्टता का प्रतीक है।
माता सरस्वती शुक्लवर्ण, शुक्लाम्बरा, वीणा-पुस्तक-धारिणी तथा श्वेतपद्मासना कही गई हैं । एसा माना जाता है कि इनकी उपासना करने से मूर्ख भी विद्वान् बन सकता है । माघ मास की शुक्लपक्ष की पंचमी (श्रीपंचमी/बसंतपंचमी) को इनकी विशेष रूप से पूजन करने की परंपरा है ।
श्री सरस्वती यंत्र देवी सरस्वती से जुड़ी ऊर्जा और आशीर्वाद का एक दृश्य प्रतिनिधित्व है । श्री सरस्वती यंत्र किसी की रचनात्मकता, बुद्धिमत्ता, स्मृति, फोकस और समग्र शैक्षणिक और कलात्मक क्षमताओं को बढ़ाता है । लोग अक्सर शिक्षा, परीक्षा और रचनात्मक प्रयासों में सफलता के लिए सरस्वती का आशीर्वाद लेने के लिए इस यंत्र को धारण करते हैं।
यंत्र का निर्माण भोजपत्र पर गौलोचन, केशर और पीले चन्दन की स्याही बनाकर चमेली की कलम से लिखा जाता है, और देवी सरस्वती को समर्पित विशिष्ट मंत्रों का आह्वान जप, हवन आदि करके सिद्ध किया जाता है । इसे आध्यात्मिक विकास और आत्म-सुधार के लिए एक शक्तिशाली यंत्र माना जाता है, जो व्यक्तियों को उनकी आंतरिक क्षमता को अनलॉक करने और उनकी बौद्धिक और कलात्मक प्रतिभा को विकसित करने में मदद करता है ।
श्री सरस्वती यंत्र का उपयोग
इस यंत्र को विशेषकर गले में धारण करना चाहिए जो ह्रदय से स्पर्श करता रहे | इसे आप अपने पूजाघर में रखकर भी इसकी पूजा कर सकते है | परन्तु यदि आप इसे धारण करते है तो ज्यादा लाभकारी रहेगा | यंत्र धारण करने के साथ माता सरस्वती का मन्त्र भी जाप करना चाहिए |
श्री सरस्वती देवी मन्त्र
माता सरस्वती के अनेक मन्त्र मिल जायेंगे | यहाँ पर कुछ विशेष मंत्र दिए जा रहे हैं आप अपने हिसाब से चयन कर सकते हैं | साथ ही सरस्वती द्वादश नाम स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं |
1 – ॐ ह्रीँ श्रीँ वद वद वाग्वादिनी स्वाहा । 2 – ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः।सरस्वती गायत्री मन्त्र – ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् ।
सरस्वती द्वादश नाम स्तोत्र
सरस्वतीमहं वन्दे वीणापुस्तकधारिणीम् ।
हंसवाहसमायुक्तां विद्यादानकरीं मम ॥ १॥
प्रथमं भारती नाम द्वितीयं च सरस्वती ।
तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी ॥ २॥
पश्चमं जगति ख्याता षष्ठं वाणीश्वरी तथा ।
कौमारी सप्तमं प्रोक्ता अष्टमं ब्रह्मचारिणी ॥ ३॥
नवमं बुद्धिदात्री च दशमं वरदायिनी ।
एकादशं क्षुद्रघण्टा द्वादशं भुवनेश्वरी ॥ ४॥
ब्राह्मी द्वादशनामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्वसिद्धिकरी तस्य प्रसन्ना परमेश्वरी ।
सा मे वसतु जिह्वाग्रे ब्रह्मरूपा सरस्वती ॥ ५॥
यंत्र प्राप्त करने के लिए – Saraswati yantra benefits
जिस व्यक्ति को यंत्र धारण करना हो वो अपना नाम, पिता/पति का नाम, गोत्र और वर्त्तमान स्थान तथा अपना पोस्टल एड्रेश हमारे Whatsaap नम्बर 7470934089 पर भेजकर अपने नाम से प्राणप्रतिष्ठित यंत्र आपके द्वारा भेजे गए पोस्टल एड्रेश पर भेज दिया जायेगा |
इन्हें भी देखें –
जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?
Reviews
There are no reviews yet.