शनि चंद्र विष योग: क्या है, कैसे बनता है और क्या होते हैं इसके प्रभाव?
Shani Chandra Vish Yog भारतीय ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण योग है। इस योग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है। यह योग कैसे बनता है, इसके शुभाशुभ प्रभाव क्या हैं, और इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं, इसके बारे में विस्तृत जानकारी इस लेख में दी गई है।
विष योग ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण योग माना जाता है जो शनि और चंद्रमा की युति से बनता है। यह योग कुंडली में विभिन्न भावों में स्थित होकर शुभ और अशुभ दोनों तरह के प्रभाव दे सकता है।
Shani Chandra Vish Yog का निर्माण:
- जब चंद्रमा और शनि किसी भी भाव में एक साथ स्थित होते हैं, तब विष योग बनता है।
- यह योग विशेष रूप से तब अधिक प्रभावशाली होता है जब यह लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव या दशम भाव में बनता है।
- विष योग की तीव्रता ग्रहों की स्थिति, उनकी नक्षत्र और अंश तथा कुंडली में अन्य ग्रहों के प्रभावों से निर्धारित होती है।
विष योग के शुभ प्रभाव:
- कुछ स्थितियों में, विष योग धन, सम्मान और समृद्धि ला सकता है।
- यह जातक को ज्ञानवान, विद्वान और बुद्धिमान बना सकता है।
- यह जातक को राजनीति या प्रशासनिक क्षेत्र में सफलता दिला सकता है।
- यह जातक को दीर्घायु प्रदान कर सकता है।
Shani Chandra Vish Yog के अशुभ प्रभाव:
- विष योग मानसिक अशांति, चिंता, भय और अवसाद का कारण बन सकता है।
- यह जातक के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, जिससे शारीरिक कष्ट हो सकते हैं।
- यह जातक के पारिवारिक जीवन में कठिनाई पैदा कर सकता है।
- यह जातक के करियर में बाधाएं डाल सकता है।
- यह जातक को ऋण और वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
शनि चंद्र विष योग का व्यावहारिक जीवन पर प्रभाव
- व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव
- इस योग का व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह व्यक्ति के मनोविज्ञान और दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकता है।
- पेशेवर जीवन पर प्रभाव
- पेशेवर जीवन में यह योग कठिनाईयों का कारण बन सकता है, जैसे कि कार्यस्थल पर समस्याएं, नौकरी में अस्थिरता, और करियर में बाधाएं।
- शनि चंद्र विष योग का स्वास्थ्य पर प्रभाव
- शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
- इस योग के कारण व्यक्ति को शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि हृदय रोग, पेट की समस्याएं, और रक्तचाप की समस्याएं।
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
- मानसिक स्वास्थ्य पर भी इस योग का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि तनाव, अवसाद, और मानसिक अस्थिरता।
- शनि चंद्र विष योग का वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
- दांपत्य जीवन में समस्या
- इस योग के कारण दांपत्य जीवन में समस्याएं आ सकती हैं, जैसे कि साथी के साथ विवाद, असहमति, और अस्थिरता।
विष योग का प्रभाव जातक की कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति और योगों पर निर्भर करता है। एक अनुभवी ज्योतिषी कुंडली का विश्लेषण करके विष योग के शुभ और अशुभ प्रभावों का सटीक मूल्यांकन कर सकता है।
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यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि विष योग का प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकता है। यदि आपको अपनी कुंडली में विष योग के बारे में चिंता है, तो आपको किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए।
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Shani Chandra Vish Yog के लक्षण क्या होते हैं?
विष योग के कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
- चिंता, भय, अवसाद
- मनःस्थिति में उतार-चढ़ाव
- एकाग्रता में कमी
- निद्रा संबंधी विकार
- भ्रमित या व्याकुल महसूस करना
क्या यह योग केवल अशुभ होता है?
कुछ स्थितियों में, विष योग शुभ प्रभाव भी दे सकता है, जैसे:
- धन, सम्मान और समृद्धि में वृद्धि
- ज्ञान, विद्या और बुद्धि में वृद्धि
- राजनीति या प्रशासनिक क्षेत्र में सफलता
- दीर्घायु
शनि चंद्र विष योग को कैसे पहचानें?
शनि चंद्र विष योग को कुंडली में ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करके पहचाना जा सकता है।
यह योग निम्नलिखित स्थितियों में बनता है:
- जब चंद्रमा और शनि किसी भी भाव में एक साथ स्थित होते हैं।
- विशेष रूप से जब यह लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव या दशम भाव में बनता है तो यह योग अधिक प्रभावशाली होता है।
- यदि चंद्रमा और शनि शत्रु भाव में स्थित हों तो यह योग अशुभ प्रभाव दे सकता है।
- यदि चंद्रमा और शनि मित्र भाव में स्थित हों तो यह योग शुभ प्रभाव दे सकता है।
- विष योग की तीव्रता ग्रहों की शक्ति, नक्षत्र और अंश तथा कुंडली में अन्य ग्रहों के प्रभावों से निर्धारित होती है।
इन्हें भी देखें –
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