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rahu ketu gochar fal

rahu ketu gochar fal-राहु-केतु गोचर फल

जन्मस्थ ग्रहों के ऊपर से राहु-केतु का गोचर –

(rahu ketu gochar fal) राहु और केतु छाया ग्रह है अन्य ग्रहों की भांति इनका भौतिक अस्तित्व नहीं है | संभवत यही कारण है कि इनको गोचर पद्धति में सम्मिलित नहीं किया गया है | तो भी ज्योतिष की एक प्रसिद्ध लोकोक्ति है शनिवत राहु कुजवत केतु अर्थात राहु के गुण दोष शनि की भांति और केतु के मंगल की भांति होते हैं |   अतः हम यह कह सकते हैं कि गोचर का राहु जन्म के समय अन्य ग्रहों पर से गुजरते हुए शनि जैसा फल देता है | इसी प्रकार गोचर का केतु गोचर के मंगल के समान ही फल करता है |

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ध्यान रखना चाहिए कि राहु और केतु का गोचर मानसिक विकृति द्वारा ही शरीर स्वास्थ्य तथा जीवन के लिए अनिष्ट कारक होता है | विशेषतया जबकि कुंडली में भी राहु तथा केतु पर शनि मंगल तथा सूर्य का प्रभाव हो, क्योंकि यह छाया ग्रह जहां भी प्रभाव डालते हैं वहां न केवल अपना, बल्कि इन पाप एवं क्रूर ग्रहों का भी प्रभाव डालते हैं |

राहु-केतु दृष्टि विचार – (rahu ketu gochar fal)

राहु और केतु की पूर्ण दृष्टि नवम और पंचम भाव पर भी (गुरु की भांति) रहती है | अतः गोचर में इन ग्रहों का प्रभाव और फल देखते समय पहले यह देख लेना चाहिए कि यह अपने पंचम और नवम अतिरिक्त दृष्टि से किस किस ग्रह को पीड़ित कर रहे हैं |

ऐसा भी नहीं कि सदा ही राहु तथा केतु का गोचर फल अनिष्ट कारी होता हो | कुछ एक स्थितियों में यह प्रभाव् सट्टा, लाटरी, घुड़दौड़ आदि द्वारा तथा अन्यथा भी अचानक बहुत लाभप्रद सिद्ध हो सकता है | वह तब जब कुंडली में राहु अथवा केतु शुभ तथा योगकारक ग्रहों से युक्त अथवा दृष्ट हो, और गोचर में ऐसे ग्रह पर से भ्रमण कर रहे हो जो स्वयं शुभ तथा योगकारक हो |

उदाहरण के लिए यदि योग कारक चंद्रमा तुला लग्न में हो और राहु पर जन्म कुंडली में शनि की युति अथवा दृष्टि हो तो गोचर वर्ष राहु यदि बुध अथवा शुक्र अथवा शनि पर अपनी सप्तम, पंचम अथवा नवम दृष्टि डाल रहा हो, तो राहु के गोचर काल में धन का विशेष लाभ होगा | यद्यपि राहु नैसर्गिक पापी ग्रह है |

इसी तारतम्य के अनुसार अपने बुद्धि और विवेक का उपयोग करते हुए, और ज्योतिष के नियमो को ध्यान में रखते हुए राहु और केतु के गोचर का विचार करना चाहिए |

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