चंद्रमा के मंत्र और उपाय: पाएं मानसिक शांति और सफलता
Chandra ke upay – हमारे ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को काल पुरुष का मन कहा गया है | “चंद्रमा मनसो जायत” मन्त्र वेदों में प्राप्त होता है | चंद्रमा जातक की जन्मकुंडली में जिस राशि में स्थित होता है वही जातक की जन्म की राशि मानी जाती है | गोचर विचार भी चंद्र राशि से ही किया जाता है |
चन्द्रमा का अधिकार मन पर है और मन सर्व शक्तिमान तथा सबसे ज्यादा गतिमान माना गया है | मनुष्य का पतन एवं उत्थान चन्द्रमा के द्वारा ही होता है | मन जैसा कहता है मनुष्य वैसा करता है, इसीलिए मनुष्य मन के अधीन होकर बुरे कार्यों में संलग्न हो जाता है और अपने पतन का जिम्मेदार स्वयं होता है |
मन को वश में करने के लिए मन का बलवान होना जरुरी है | मन का वलावन होना मतलब चन्द्रमा का बलवान होना आवश्यक है | चन्द्रमा को बलवान बनाने के लिए निम्नलिखित प्रयोग करना चाहिए |
ज्योतिष में चन्द्रमा का महत्त्व जानने के लिए इसे पढ़ें (Chandra ke upay)
यदि क्षीण चन्द्रमा हो तो अशुभ फल देने वाला होता है | और पूर्ण चन्द्रमा अर्थात बलवान चन्द्रमा हो तो शुभ फल देने वाला होता है |

शिवजी का अभिषेक: विधि और लाभ
शिवजी का अभिषेक करना चाहिए | अभिषेक में शुद्ध जल, तीर्थ जल तथा कच्चा दूध मिलाकर ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए अभिषेक करें | जहां पर दूध का उपयोग होता हो वहां पर तांबे का वर्तन का उपयोग नहीं करना चाहिए | बचा हुआ निर्माल्य (भगवान को स्नान करने के बाद जो जल बचता है उसे निर्माल्य कहते हैं ) किसी सुरक्षित स्थान में डालना चाहिए | निर्माल्य यदि पैरों के संपर्क में आएगा तो पुण्य की जगह पाप लगेगा |
यदि चन्द्रमा कमजोर है तो व्यक्ति को एक चांदी का एक चोकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखना चाहिए |
सोमवार को दूध का दान करना चाहिए किन्तु दूध का सेवन नहीं करना चाहिए |
मोती रत्न चांदी में कनिष्ठा (सबसे छोटी अंगुली ) में धारण करना चाहिए | सफ़ेद वस्तुओं का दान करना चाहिए |
यदि चन्द्रमा निर्बल है तो चन्द्र का जप करना चाहिए | हमारे वेद-शास्त्रों में चन्द्रमा के अनेक मन्त्र दिए गये है | आप अपनी सुविधा अनुसार चन्द्रमा के किसी भी मन्त्र का जाप कर सकते हैं |
चन्द्रमा के शक्तिशाली मंत्र
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः | ॐ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नमः | ॐ श्रां श्रीं चन्द्रमसे नमः | ॐ सौं सोमाय नमः |
उपरोक्त मन्त्रों में से किसी भी मन्त्र का जप कर सकते हैं | जप संख्या 40,000 होनी चाहिए | जप के पश्चात् दशांश (4,000) हवन करना चाहिए | यदि जप शिवजी की मंदिर में किया जाय या किसी समुद्रगामिनी नदी के किनारे किया जाय तो सबसे अच्छा रहेगा | यदि जप स्वयं न कर सकें तो किसी ब्राम्हण से करवा सकते हैं |
चन्द्र यंत्र के लाभ और धारण विधि: (Chandra ke upay)
चन्द्र यंत्र के बारे में सम्पूर्ण जानकारी यहाँ प्राप्त करें |
किसी भी सोमवार से आरम्भ कर इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए | इस चन्द्र स्तोत्रम का पाठ नियमित करना चाहिए |
नमश्चन्द्रमसे ॥
नमश्चन्द्राय सोमायेन्दवे कुमुदबन्धवे ।
विलोहिताय शुभ्राय शुक्लाम्बरधराय च ॥ १॥
त्वमेव सर्वलोकानामाप्यायनकरः सदा ।
क्षीरोद्भवाय देवाय नमः शङ्गरशेखर ॥ २॥
युगानां युगकर्ता त्वं निशानाथो निशाकरः ।
संवत्सराणां मासानामृतूनां तु तथैव च ॥ ३॥
ग्रहाणां च त्वमेकोऽसि सौम्यः सोमकरः प्रभुः ।
ओषधीपतये तुभ्यं रोहिणीपतये नमः ॥ ४॥
इदं तु पठते स्तोत्रं प्रातरुत्थाय यो नरः ।
दिवा वा यदि वा रात्रौ बद्धचित्तो हि यो नरः ॥ ५॥
न भयं विद्यते तस्य कार्यसिद्धिर्भविष्यति ।
अहोरात्रकृत्तं पापं पठनादेव नश्यति ॥ ६॥
द्विजराजो महापुण्यस्तारापतिर्विशेषतः ।
ओषधीनां च यो राजा स सोमः प्रीयतां मम ॥ ७॥
अथवा आप चन्द्राष्टोत्तरशतनाम का पाठ कर सकते हैं | विधि उपरोक्त है | श्री चन्द्र अष्टोत्तरशतनाम
अथ श्रीचन्द्राष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् । (Chandra ke upay)
अथ वक्ष्ये शशिस्तोत्रं तच्छृणुष्व मुदान्वितः ॥ १॥
चन्द्रोऽमृतमयः श्वेतो विधुर्विमलरूपवान् ।
विशालमण्डलः श्रीमान् पीयूषकिरणः करी ॥ २॥
द्विजराजः शशधरः शशी शिवशिरोगृहः ।
क्षीराब्धितनयो दिव्यो महात्माऽमृतवर्षणः ॥ ३॥
रात्रिनाथो ध्वान्तहर्ता निर्मलो लोकलोचनः ।
चक्षुराह्लादजनकस्तारापतिरखण्डितः ॥ ४॥
षोडशात्मा कलानाथो मदनः कामवल्लभः ।
हंसःस्वामी क्षीणवृद्धो गौरः सततसुन्दरः ॥ ५॥
मनोहरो देवभोग्यो ब्रह्मकर्मविवर्धनः ।
वेदप्रियो वेदकर्मकर्ता हर्ता हरो हरिः ॥ ६॥
ऊर्द्ध्ववासी निशानाथः शृङ्गारभावकर्षणः ।
मुक्तिद्वारं शिवात्मा च तिथिकर्ता कलानिधिः ॥ ७॥
ओषधीपतिरब्जश्च सोमो जैवातृकः शुचिः ।
मृगाङ्को ग्लौः पुण्यनामा चित्रकर्मा सुरार्चितः ॥ ८॥
रोहिणीशो बुधपिता आत्रेयः पुण्यकीर्तकः ।
निरामयो मन्त्ररूपः सत्यो राजा धनप्रदः ॥ ९॥
सौन्दर्यदायको दाता राहुग्रासपराङ्मुखः ।
शरण्यः पार्वतीभालभूषणं भगवानपि ॥ १०॥
पुण्यारण्यप्रियः पूर्णः पूर्णमण्डलमण्डितः ।
हास्यरूपो हास्यकर्ता शुद्धः शुद्धस्वरूपकः॥ ११॥
शरत्कालपरिप्रीतः शारदः कुमुदप्रियः ।
द्युमणिर्दक्षजामाता यक्ष्मारिः पापमोचनः ॥ १२॥
इन्दुः कलङ्कनाशी च सूर्यसङ्गमपण्डितः ।
सूर्योद्भूतः सूर्यगतः सूर्यप्रियपरःपरः ॥ १३॥
स्निग्धरूपः प्रसन्नश्च मुक्ताकर्पूरसुन्दरः ।
जगदाह्लादसन्दर्शो ज्योतिः शास्त्रप्रमाणकः ॥ १४ ॥
सूर्याभावदुःखहर्ता वनस्पतिगतः कृती ।
यज्ञरूपो यज्ञभागी वैद्यो विद्याविशारदः ॥ १५॥
रश्मिकोटिर्दीप्तिकारी गौरभानुरिति द्विज ।
नाम्नामष्टोत्तरशतं चन्द्रस्य पापनाशनम् ॥ १६॥
चन्द्रोदये पठेद्यस्तु स तु सौन्दर्यवान् भवेत् ।
पौर्णमास्यां पठेदेतं स्तवं दिव्यं विशेषतः ॥ १७॥
स्तवस्यास्य प्रसादेन त्रिसन्ध्यापठितस्य च ।
सदाप्रसादास्तिष्ठन्ति ब्राह्मणाश्च द्विजोत्तम ॥ १८॥
श्राद्धे चापि पठेदेतं स्तवं पीयूषरूपिणम् ।
तत्तु श्राद्धमनन्तञ्च कलानाथप्रसादतः ॥ १९॥
दुःस्वप्ननाशनं पुण्यं दाहज्वरविनाशनम् ।
ब्राह्मणाद्याः पठेयुस्तु स्त्रीशूद्राः शृणुयुस्तथा ॥ २०॥
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
- चन्द्रमा के कमजोर होने के क्या लक्षण होते हैं?
- उत्तर: कमजोर चंद्रमा वाले व्यक्ति को मानसिक तनाव, एकाग्रता की कमी, भावनात्मक अस्थिरता, और नींद से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- क्या मोती रत्न हर किसी को पहनना चाहिए?
- उत्तर: नहीं, मोती रत्न पहनने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेना आवश्यक है। यह केवल उन्हीं लोगों को पहनना चाहिए जिनकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो या अशुभ प्रभाव दे रहा हो।
- चंद्रमा को मजबूत करने का सबसे आसान उपाय क्या है?
- उत्तर: चंद्रमा को मजबूत करने के लिए शिवजी की पूजा करना, सफेद वस्तुओं (दूध, चावल, चीनी) का दान करना और अपनी माता का सम्मान करना सबसे सरल और प्रभावी उपाय माने जाते हैं।
- चंद्रमा का मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- उत्तर: ज्योतिष के अनुसार, चंद्रमा मन का कारक है। जब चंद्रमा मजबूत होता है, तो मन शांत, स्थिर और सकारात्मक रहता है। कमजोर होने पर मन अशांत और नकारात्मक हो सकता है।
जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?