सूर्य के गोचर का जातक पर प्रभाव
Sun transit सूर्य गोचर – ब्रह्मांड में स्थित ग्रह अपने अपने मार्ग पर अपनी अपनी गति से सदैव भ्रमण करते हुए एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं | जन्म समय में एक ग्रह जिस राशि में पाए जाते हैं वह राशि उनकी जन्म कालीन राशि कहलाती है | जो की जन्मकुंडली का आधार है | और जन्म के पश्चात किसी भी समय वे अपनी गति से जिस राशि में भ्रमण करते हुए दिखाई देते हैं, उस राशि में उनकी स्थिति गोचर कहलाती है |
ब्रह्मांड में स्थित ग्रह अपने अपने मार्ग पर अपनी अपनी गति से सदैव भ्रमण करते हुए एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं | जन्म समय में एक ग्रह जिस राशि में पाए जाते हैं वह राशि उनकी जन्म कालीन राशि कहलाती है | जो की जन्मकुंडली का आधार है | और जन्म के पश्चात किसी भी समय वे अपनी गति से जिस राशि में भ्रमण करते हुए दिखाई देते हैं, उस राशि में उनकी स्थिति गोचर कहलाती है |
सूर्य का गोचर में फल -Sun transit सूर्य गोचर
जन्म कुंडली में चंद्रमा जहां स्थित है वहां से 3, 6, 10 और 11 वे भाव पर सूर्य का जो प्रभाव है, वह उन स्थानों में सूर्य के लिए बलप्रद तथा शुभाताप्रद है | इसी बात को हम ऐसे ही कह सकते हैं, कि जब सूर्य चंद्रमा से तीसरे छठे दसवें और ग्यारहवें भाव में गोचर वश पहुंचता है | तब शुभ फल करता है, शेष भागों में सूर्य का फल अशुभ माना गया है | नीचे चन्द्रमा को लग्न मानकर सूर्य का बारह भावों में फल कहा गया है |
चन्द्रमा के ऊपर सूर्य गोचार का फल-
चंद्र लग्न में जब गोचर का सूर्य आता है तब धन का नाश होता है | व्यक्ति के मान-सम्मान में कमी आती है | स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता, रक्तचाप, हृदयरोग, थकावट, उदर विकार, पेट तथा नेत्र के रोगों से कष्ट उठाना पड़ता है | प्रत्येक कार्य में विलंब होता है | समय पर भोजन नहीं मिलता, बिना किसी उद्देश्य के भटकना होता है | और जातक को अपने परिवार से दूर होना पड़ता है | संबंधियों, मित्रों और सज्जनों से विवाद होने के कारण मानसिक व्यथा भी रहती है |
चन्द्रमा से द्वतीय भाव में सूर्य के गोचर का फल
चंद्रमा से द्वितीय स्थान में जब गोचर का सूर्य आता है, तब दुष्ट और बुरे लोगों से मुलाकात होती है | कभी-कभी व्यक्तियों का खुद का स्वभाव भी धूर्तता पूर्ण हो जाता है | सिर और आंखों में पीड़ा रहती है | व्यापार और धन संपत्ति में हानि का भय रहता है | मित्रों और संबंधियों से विवाद होता है, और व्यक्ति के लिए सूर्य गोचर का पूरा महीना सुख रहित व्यतीत होता है |
चन्द्रमा से तृतीय स्थान में सूर्य गोचर का फल – Sun transit सूर्य गोचर
(Sun transit सूर्य गोचर )चंद्रमा से तृतीय स्थान जब सूर्य गोचर वश आता है, तो रोगों से मुक्ति, सुखचैन आदि शुभ फल मिलते हैं | सज्जनों एवं उच्च राज्य अधिकारियों से मेल मुलाकात होती है | पुत्रों तथा मित्रों से धन लाभ तथा सम्मान प्राप्त होता है | शत्रु सरलता से परास्त होते हैं, तथा व्यक्ति धन, मान प्रतिष्ठा प्राप्त करता है | इस अवधि में व्यक्ति को प्रायः पद की प्राप्ति होती है, और व्यक्ति सबसे सद व्यवहार करते हुए कार्यों में सफलता प्राप्त करता है |
चन्द्रमा से चौथे स्थान में सूर्य के गोचर का फल
जब चंद्रमा से चतुर्थ स्थान में गोचर का सूर्य आता है, तब मानसिक और शारीरिक व्यथा रहती है | घरेलू झगड़ों के कारण सुखों में कमी आ जाती है, और जमीन जायदाद संबंधी अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है | अच्छी सुख सामग्री नहीं मिलती, यात्रा में असुविधा होती है | लोग परेशान करते हैं पत्नी सुख में भी अड़चन आती है | मानहानि की भी संभावना रहती है |
चन्द्रमा से पांचवे भाव में सूर्य के गोचर का फल
चंद्रमा से पंचम भाव में जब गोचर का सूर्य आता है, तब विशेषतया मानसिक भ्रम उत्पन्न होता है | शारीरिक और मानसिक शक्ति में कमी आती है | धन हानि भी होती है | स्वयं और संतान को रोग सताता है | राज्य अधिकारियों से वाद विवाद बढ़ता है | यात्रा में दुर्घटनाएं होती हैं, और धन हानि भी होती है | व्यक्ति दीनता का अनुभव करता है |
चन्द्रमा से छटे स्थान में सूर्य गोचर का फल
जब चंद्रमा से छठे स्थान में सूर्य गोचर में आता है, तब कार्य सिद्धि और सुख की प्राप्ति होती है | अन्न वस्त्र आदि का लाभ होता है | शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है | रोगों का नाश होता है और राज्य अधिकारियों से लाभ की प्राप्ति होती है | निज प्रताप में वृद्धि होती है, शोक मोह आदि भावों का नाश होकर चित्त और शरीर स्वस्थ रहते हैं |
चन्द्रमा से सातवें स्थान में सूर्य के गोचर का फल
इसी प्रकार चंद्रमा से सातवें स्थान में सूर्य गोचर से दांपत्य जीवन में वैमनस्यता आती है | स्त्री और पुत्र बीमार रहते हैं | कार्यों में असफलता ही मिलाती है | व्यवसाय में बाधा उत्पन्न होती है | कष्टकारी यात्राएं करनी पड़ती है | उदर पीड़ा सिर व्यथा आदि रोग होते हैं | धन और मानहानि के कारण व्यक्ति के मन में क्लेश रहता है |
चन्द्रमा से आठवें स्थान में सूर्य गोचर का फल (Sun transit सूर्य गोचर )
चंद्रमा से अष्टम भाव में गोचर के सूर्य के जाने पर जातक को अपने बुरे कर्मों का फल मिलता है | शत्रुओं से झगड़ा होता है | शरीर में पीड़ा रहती है | बवासीर अपच आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं | राजभय (जुर्माना मुकदमा गिरफ्तारी) होता है | स्त्री को भी कुछ कष्ट होता है | अधिक व्यय होता है, और कभी-कभी ज्वर, रक्तचाप आदि के कारण मृत्यु भी हो सकती है | अपमान का भी विशेष भय रहता है |
चन्द्रमा से नवें स्थान में सूर्य गोचर का फल
चंद्रमा से नवम स्थान में गोचर वश जब सूर्य आता है, तब कांति का छय, (चहरे का निस्तेज होना) झूठा आरोप, बिना कारण धन और पुण्य की हानि, आय में कमी, रोग एवं अशांति उत्पन्न होते हैं | बड़ों से मित्रों से तथा भाइयों से विरोध रहता है | अपमान का भय रहता है | हर प्रयत्न में असफलता मिलने के कारण व्यक्ति दीन सा बना रहता है |
चन्द्रमा से दशवें स्थान में सूर्य गोचर का फल
चंद्र से दशम भाव में गोचर वश सूर्य के जाने पर धन, स्वभाव, मित्र आदि का सुख प्राप्त होता है | राज्य अधिकारियों और प्रतिष्ठित लोगों से मित्रता बढ़ती है | सज्जनों द्वारा लाभ होता है | प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है | पदोन्नति का शुभ अवसर प्राप्त होता है, और मान, गौरव तथा प्रताप बढ़ते हैं |
चन्द्रमा से ग्यारहवे स्थान में सूर्य के गोचर का फल (Sun transit सूर्य गोचर )
चंद्रमा से एकादश भाव में गोचर वश सूर्य के जाने से धन प्राप्ति, उत्तम भोजन, नवीन पद और बड़ों के अनुग्रह की प्राप्ति होती है | स्वास्थ्य अच्छा रहता है, और अध्यात्मिक एवं मंगल कार्य होते हैं | सात्विकता में वृद्धि होती है | राज्य से कृपा प्राप्ति होती है | यह समय पदोन्नति का होता है | पिताजी, बड़ों से लाभ रहता है |
चन्द्रमा से बारहवे स्थान में सूर्य के गोचर का फल
चंद्रमा से द्वादश भाव में गोचर वश सूर्य के आ जाने से दूर देश में भ्रमण होता है | कार्य एवं पद की हानि होती है | व्यय अधिक रहता है, कई प्रकार की कठिनाइयां झेलनी पड़ती है | ज्वर आदि रोग उत्पन्न होते हैं, और पेट में अधिक गड़बड़ रहती है | राज्य की ओर से विरोध होता है | आंखों में कष्ट की संभावना रहती है | मित्रों का व्योहार भी शत्रुता पूर्ण हो जाता है | अपमान का भय भी रहता है |
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