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padam kaal sarp yog

padam kaal sarp yog-पद्म काल सर्प योग/दोष

कैसे बनता है पद्म काल सर्प योग

padam kaal sarp yog – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में बनने वाले योगों में काल सर्प योग भी आता है | यह काल सर्प नामक योग कुल बारह प्रकार के होते हैं | पंचम भाव में राहू और एकादश भाव में केतु के स्थित होने पर तथा उनके मध्य अर्थात पंचम भाव से ग्यारहवें भाव के मध्य सभी ग्रहों के आ जाने से पद्म काल सर्प योग बनता है | वैदिक ज्योतिष में इस योग में जन्म लेने वाले जातक विशेषकर शिक्षा एक क्षेत्र में असफल रहते हैं | इस प्रकार के जातकों को संतान सुख में कमी बनी रहती है | या तो संतान होती नहीं है और यदि हो जाय तो माता-पिता के लिए कष्टकारी होती है | पद्म काल सर्प योग के जातक अधिकतर उदास रहते हैं |

जन्म तारीख़ – 07/11/1983 जन्म समय – सुबह 11:30 | जन्म स्थान – जबलपुर

इन जातको को आय के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है | ये सदा ही धनाभाव महसूस करते हैं | भाग्य भी इनका साथ नहीं देता और उपयुक्त समय पर इनकी बुद्धि काम नहीं करती जिसके कारण ऐसे जातक अच्छा समय गवां देते हैं | इनका स्वास्थ अक्सर ख़राब बना रहता है | इनके गुप्त शत्रु बहुत होते हैं और इनके परिवार वाले ही इनके समर्थन में नहीं होते | ये किसी के साथ कितना भी यश करें लेकिन इन्हें सिर्फ अपयश ही हाँथ लगता हैं | इनके जो भी मित्र होते हैं वो और इनका जीवन साथी भी विशवास पात्र नहीं होता | ऐसे जातकों का पूरा जीवन कष्ट, चिंता और संघर्ष में ही व्यतीत होता है | इस पद्म काल सर्प योग की शान्ति बचपन में ही करा देनी चाहिए | इस दोष की शांति विधिवत और समय के रहते ही होनी चाहिए |

शान्ति कराने से पहले ( padam kaal sarp yog )

पद्म काल सर्प योग की शान्ति कराने से पहले यह भली भाँती ज्ञात कर लेना चाहिए कि जातक की कुंडली में काल सर्प दोष कितना हानिकारक है | और इसके अन्य ग्रहों की क्या स्थिति है | क्योंकि केवल पंचम भाव में राहू और ग्यारहवे भाव में केतु के होने से और इनके मध्य सभी ग्रहों के स्थित होने मात्र से कल सर्प योग बुरा फल नहीं देने लगता हैं |

इस विषय में अधिक जानकारी के लिए  वासुकी काल सर्प योग में कुछ संकेत दिए हैं उन पर भी विचार कर लेना चाहिए | तभी शान्ति कराने के बारे में सोचना चाहिए | क्योंकि अनेक कुंडलियों पर अध्यन करने पर यह अनुभव में आया है कि सभी काल सर्प दोष हानिकारक होते हैं, परन्तु राहू और केतु के मध्य में स्थित ग्रह यदि उच्च के हैं या बलवान हैं तो काल सर्प दोष होते हुए भी जातक अल्प परिश्रम में ही सफलता प्राप्त कर लेते हैं |  

हमने अनेक ऐसे जातको की कुंडलियो का अध्यन किया है जिनकी जन्म पत्रिका में कष्टकारी काल सर्प योग होने के बाद उसकी विधिवत शान्ति कराने पर वो सफल और सुखी रहे | चूँकि काल सर्प दोष की शान्ति करने पर उसका प्रभाव समूल नष्ट नहीं होता | 60 से 70 प्रतिशत कम हो जाता है | जिसके कारण जातक को ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ता | और जिस क्षेत्र में वह प्रयास करता है उसे वहां सफलता अवश्य मिलती है | यदि काल सर्प योग अनिष्टकारी हो तो छोटे-छोटे उपाय नहीं करना चाहिए | इसमे आपका समय ही बर्बाद होता है बल्कि किसी जानकार विद्द्वान से काल सर्प दोष की शान्ति करना चाहिए और इसमे निर्मित यंत्र जो गले में धारण करना चाहिए |

पूर्ण काल सर्प योग के परिणाम

जिन जातकों की जन्म पत्रिका में पूर्ण कालसर्प योग होता है उन व्यक्तियों को हमेशा शारीरिक कष्ट उठाने पड़ते हैं | उनका रोग का निदान नहीं हो पाता | विद्यार्जन में भी अनेक बाधाएं उपस्थित होती हैं और अगर किसी प्रकार विद्या अध्ययन पूर्ण हुआ भी तो उस प्राप्त शिक्षा का उपयोग उसके जीवन में नहीं होता | अनेक कुंडलियों में देखने में पाया है कि जातक डॉक्टरी, इंजीनियरिंग करने के बाद भी कोई छोटे-मोटे दुकान या कोई छोटे-मोटे व्यापार से अपना जीवन उपार्जन करता है | ऐसे जातकों को जीवन भर संघर्ष करना पड़ता है, संकटों कि इनसे बड़ी घनिष्ठ रिश्तेदारी रहती है | रिश्तेदारों का व्यर्थ विरोध भी सहना पड़ता है | लोगों में गलतफहमी होती है पति, पुत्र या पत्नी, पुत्र का सुख नहीं मिलता | कोर्ट कचहरी के मामलों में पैसा एवं शक्ति का व्यर्थ व्यय होता है | और यदि बंधन योग बना तो जेल में जाना पड़ सकता है | दोस्तों द्वारा विश्वासघात ही मिलता है |

ऐसे जातकों को पैसाचिक बाधा के कारण दुख उठाना पड़ता है | कर्ज बढ़ता जाता है तथा घर में बरकत नहीं रहती | अतृप्त आत्माओं के कारण तकलीफ सहनी पड़ती है | पत्नी, पुत्र, पुत्री का बर्ताव अच्छा नहीं होता | पुत्र, पुत्री का विवाह उचित समय पर नहीं होता | संतति का अभाव रहता है | परिवार के प्रिय जनों से वियोग होता है | घर का कोई व्यक्ति किसी कारण घर छोड़कर चला जाता है, तो वर्षों तक उसका पता नहीं चलता | परिवार में से कोई डूबकर या अपघात में अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है | ऐसे जातक दूसरों के काम आते हैं लेकिन इनकी सहायता कोई नहीं करता |

कैसे बनता है भंग योग ( padam kaal sarp yog )

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी जातक की कुंडली में यदि केंद्र में स्वग्रही या उच्च का सूर्य, चन्द्र, गुरु, शुक्र, शनि इनमे से कोई भी ग्रह स्वग्रही या उच्च का होकर चार ग्रहों की युति होने पर काल सर्प योग का भंग होता है |

यदि किसी जातक की कुंडली में पञ्चमहापुरुष योग का निर्माण हो रहा हो और काल सर्प योग भी हो तो काल सर्प योग भंग हो जाता है |  

काल सर्प योग भंग तो हो जाता है परन्तु इस बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि काल सर्प योग के भंग हो जाने पर भी राहू जिस भाव में होता है उस भाव के सुख से वंचित रखता है |

यदि किसी प्रकार से काल सर्प योग भंग होता है तो केवल राहू की शान्ति अवश्य करानी चाहिए | या राहू का यंत्र धारण करना चाहिए किन्तु किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर ही कोई क्रिया करनी चाहिए |

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