+91-7470 934 089

Amalaki Ekadashi Vrat Katha

आमलकी एकादशी: व्रत का रहस्य, कथा और पूजन विधि

 

Amalaki Ekadashi Vrat Katha – आमलकी एकादशी में आँवले के नीचे पूजा का विशेष महत्त्व बताया गया है | नीचे आपको पूजा की विधि एवं उससे मिलने वाले फल के बारे में बताया गया है | यह विधान किसने बताया और किसने किया यह सारी जानकारी प्राप्त होगी |

ऋषि बोले – भगवन ! यदि आप संतुष्ट हैं तो हम लोगों के हित के लिए कोई ऐसा व्रत बतलाइए, जो स्वर्ग और मोक्ष रूपी फल प्रदान करने वाला हो |

Amalaki Ekadashi Vrat Katha
Amalaki Ekadashi Vrat Katha

श्रीविष्णु बोले – महर्षिओ फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो आमलकी एकादशी होती है उसकी विधि सुनो | व्रती को चाहिए कि आवले के वृक्ष के पास जाकर वहां रात्रि में जागरण करना चाहिए | इससे मनुष्य सब पापों से छूट जाता है, और सहस्त्र गोदानों का फल प्राप्त करता है | विप्रगण यह व्रतों में उत्तम व्रत है, जिसे मैंने तुम लोगों को बताया है |

ऋषि बोले – भगवन ! इस व्रत की विधि बतलाइए यह कैसे पूर्ण होता है ? इसके देवता और मंत्र कौन से बताए गए हैं ? उस समय स्नान और दान कैसे किया जाता है ? पूजन की कौन सी विधि है ? तथा उसके लिए मंत्र क्या है ? इन सब बातों का यथार्थ रूप से वर्णन कीजिए |

जानिए होलिका दहन क्यों करते हैं महत्त्व एवं विधि :- 

 

भगवान विष्णु ने कहा – इस व्रत की जो उत्तम विधि है उसको श्रवण करो | एकादशी को प्रातःकाल दंत धावन करके यह संकल्प करें कि, हे पुण्डरीकाक्ष ! हे अच्युत में एकादशी को निराहार रह कर दूसरे दिन भोजन करूंगा आप मुझे शरण में रखें | ऐसा नियम लेने के बाद पतित, चोर, पाखंडी, दुराचारी, मर्यादा भंग करने वाले तथा गुरु माँसाहारी मनुष्यों से वार्तालाप ना करें | अपने मन को वस में रखें | घर में ही स्नान करें | स्नान के पहले शरीर में मिट्टी विद्वान पुरुष को चाहिए कि वह परशुराम जी की सोने की प्रतिमा बनवाए प्रतिमा अपनी शक्ति और धन के अनुसार होनी चाहिए | प्रतिमा के अभाव में चित्र रखें |

तदनंतर पूजन और हवन करें | इसके बाद सब प्रकार की सामग्री लेकर आँवले के वृक्ष के पास जाएं | वहां वृक्ष के चारों ओर की जमीन झाड़-बुहार, लीप पोतकर शुद्ध करें | शुद्ध की हुई भूमि में मंत्र पाठ पूर्वक जल से भरे हुए नवीन कलश की स्थापना करें |

 

कलश में पंचरत्न और दिव्यगंध आदि छोड़ दें | श्वेत चंदन से उसको चर्चित करें | कंठ में फूल की माला पहनायें | सब प्रकार के धूप की सुगंध फैलाए | जलते हुए दीपों की श्रेणी सजा कर रखें | तात्पर्य है कि सुंदर एवं मनोहर दृश्य उपस्थित करें | पूजा केलिए नवीन छाता, जूता और वस्त्र भी मंगा कर रखें | कलश के ऊपर एक पात्र रखकर उसे चावल से भर दें | फिर उसके ऊपर परशुराम जी की स्थापना करें |

पूजन विधि एवं मन्त्र :- Amalaki Ekadashi Vrat Katha

 

विशोकाय नमः कहकर उनके चरणों की,  विश्वरूपणे नमः से दोनों घुटनों की, उग्राय नमः से जांगों की, दामोदराय नमः से कटिभाग की, पद्मनाभाय नमः से उदर की, श्रीवत्सधारणे नमः से वक्षस्थल की, चक्रणे नमः से बांयीं बांह की, वैकुंठाय नमः से कंठ की, यग्यमुखाय नमः से मुख की, विशोक निधये नमः से नासिका की, वासुदेवाय नमः से नेत्रों की, वामनाय नमः से ललाट की, सर्वात्मने नमः से सम्पूर्ण अंगों की तथा मस्तक की पूजा करें | तदनंतर भक्ति युक्त चित्र से शुद्ध फल के द्वारा देवाधिदेव परशुराम जी को अर्घ्य प्रदान करें अर्घ्य का मंत्र इस प्रकार है:-

नमस्ते देवदेवेश जामदग्न्य नमोस्तु ते |

गृहाणार्घ्यमिमं दत्तमामलक्या युतं हरे ||  

हे देव देवेश्वर ! श्रीविष्णु स्वरुप परशुराम जी आपको नमस्कार है, नमस्कार है | आँवले के फल के साथ दिया हुआ मेरा अर्घ्य ग्रहण कीजिए | तदनंतर भक्ति युक्त चित्त से जागरण करें, नृत्य, संगीत, वाद्य, धार्मिक उपाख्यान तथा श्रीविष्णु संबंधनी  कथा वार्ता आदि के द्वारा वह रात्रि व्यतीत करें | इसके बाद भगवान विष्णु के नाम ले लेकर आँवले के वृक्ष की परिक्रमा 108 या 28 बार करें | फिर सबेरा होने पर श्रीहरि की आरती करें | ब्राम्हण की पूजा करके वहां की सब समग्री उसे दान करदें | परशुरामजी का कलश, दो वस्त्र, जूता आदि सभी वस्तुएं दान करदें, और यह भावना करें कि परशुराम जी के स्वरूप में भगवान विष्णु मुझ पर प्रसन्न हों | तत्पश्चात आमलकी का स्पर्श करके उसकी प्रदक्षण करें और स्नान करने के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मणों को भोजन कराएँ |

जानिए गुड़ी पड़वा की सम्पूर्ण जानकारी :-  Amalaki Ekadashi Vrat Katha

 

तदनंतर कुटुंबियों के साथ बैठकर स्वयं भी भोजन करें | ऐसा करने से जो पुण्य होता है, वह सब बतलाता हूं, सुनो सम्पूर्ण तीर्थों के सेवन से जो पुण्य प्राप्त होता है तथा सब प्रकार के दान देने से बुखार मिलता है, वह सब उपयुक्त विधि के पालन से सुलभ होता है | समस्त यज्ञों की अपेक्षा भी अधिक फल मिलता है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है | यह व्रत सब व्रतों में उत्तम है, जिसका मैंने तुमसे पूरा वर्णन किया है |

वशिष्ठ जी कहते हैं – महाराज इतना कह कर देवदेवेश्वर भगवान विष्णु वहीं अंतर्ध्यान हो गए | तत्पश्चात उन समस्त महर्षियों ने उक्त व्रत का पूर्ण रूप से पालन किया | नृपश्रेष्ठ इसी प्रकार तुम्हें भी इस व्रत का अनुष्ठान करना चाहिए |  भगवान श्री कृष्ण कहते हैं – युधिष्ठिर यह दुर्धर्ष व्रत मनुष्य को सब पापों से मुक्त करने वाला है |

अमलकी एकादशी का महत्व क्या है? Amalaki Ekadashi Vrat Katha

स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने इस दिन अमलकी के पेड़ के नीचे विश्राम किया था।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है।

आँवले के पेड़ को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है।

अमलकी एकादशी पर क्या-क्या किया जाता है?

घरों को सजाया जाता है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

आँवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है।

लोग उपवास करते हैं और दान-पुण्य करते हैं।

आँवले का सेवन किया जाता है।

इन्हें भी देखें –

जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?

जानें कैसे कराएँ ऑनलाइन पूजा ?

श्री मद्भागवत महापूर्ण मूल पाठ से लाभ

Pandit Rajkumar Dubey

Pandit Rajkumar Dubey

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

0
    0
    Your Cart
    Your cart is emptyReturn to Shop
    Scroll to Top