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ayurveda in Hindi

Ayurveda in Hindi में आपका स्वागत है

ayurveda in hindi – हमारे जीवन में आयुर्वेद उतना ही जरुरी है जितनी की हमें श्वांस की जरूरत पड़ती है | हम विदेशी दवाएं खाकर अल्पायु होते जा रहे हैं | विदेशी दवाओं से हमें तत्काल आराम तो मिल जाता है किन्तु उनके दुष्प्रभाव (side effects) हमारे शारीर को खोखला कर देते हैं जिसके प्रभाव से हमारे शारीर में नयी-नयी बीमारियों का जन्म होता है | अर्थात एक बीमारी का इलाज करते हैं दूसरी नयी बीमारी का जन्म हो जाता है |

आयुर्वेद सतयुग से अर्थात देवताओं के समय से चला आ रहा है | समुद्र मंथन से भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ | चरक संहिता के अनुसार सर्वप्रथम ब्रम्हाजी से प्रजापति ने प्रजापति से अश्वनीकुमारों ने अश्वनीकुमारों से इंद्र ने इंद्र से भारतद्वाज ने आयुर्वेद का अध्यन किया | च्यवन ऋषि भी अश्वनिकुमारों के समय के माने जाते हैं | आयुर्वेद के विकाश में सबसे ज्यादा योगदान च्यवन ऋषि का ही रहा |

हिन्दी आयुर्वेद का मुख्य उद्दयेश रोग को जड़ से मिटाना रहा | इसमें में थोडा समय जरुर लगता है किन्तु रोग का समूल नाश करने वाला होता है | यदि आप स्वस्थ हैं तो भी आयुर्वेद का उपयोग करना चाहिए जिससे आप रोगग्रस्त न हों | और यदि रोगी हैं तो आपको इसका ही सहारा लेना चाहिए |

इस श्रंखला में हम आयुर्वेद से जुडी हुई समस्त छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी सभी प्रकार की जानकारियाँ लेकर आये हैं | मानव शरीर में होने वाले किसी भी प्रकार के रोग को नाश करने के लिए हर प्रकार की आयुर्वेदिक् सलाह इस श्रंखला के माध्यम से आपको प्राप्त होती रहेगी |
ayurveda in Hindi इस श्रंखला से जुड़कर व्यक्ति विना वैद्ध के स्वयं अपना इलाज कर सकते हैं |

आयुर्वेद की इस श्रंखला में सम्मलित रहेंगीं

1 – भस्म निर्माण और उनके गुण-धर्म | 2 – रसायन प्रकरण | 3 – बटी | 4 – अवलेह- पाक प्रकरण | 5 – अर्क प्रकरण | 6 – शर्बत प्रकरण | 7 – चूर्ण प्रकरण | 8 – सत्व प्रकरण | 9 – आसवारिष्ट प्रकरण | 10 – तेल प्रकरण | 11 – क्वाथ प्रकरण | 12 – मलहम आदि सभी विषयों की सम्पूर्ण एवं सरल जानकारी प्राप्त होगी | साथ ही जो आयुर्वेद में उपयुक्त होने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटियां है उनका विकल्प (substitute) रहेगा | जो सुगमता से प्राप्त हो जाये |

1 – भस्म निर्माण –

आयुर्वेद में भस्म बनाने के लिए अलग – अलग धातुओं की अलग – अलग विधि है | प्रत्येक धातु की भस्म बनाने के लिए पुट तथा अग्नि का परिमाण अलग होता है | जो आयुर्वेद की विशेष जानकारी नहीं रखते वो भस्म खरीद कर बताये गए अनुपान से ही उपयोग करें |

2 – रसायन प्रकरण –

रसायन प्रकरण में सबसे पहले आता है पारद | पारद एक ऐसा रसायन है जो बुढ़ापा का भी नाश करने की शक्ति रखता है | आठ महारसों में श्रेष्ठ होने के कारण इसे रसेन्द्र कहा जाता है |

3 – बटी प्रकरण –

आयुर्वेद में बटी (गुटिका) आदि अनेक नाम हैं | आयुर्वेद के अनुसार ओषधि के चूर्ण को क्वाथ या शहद आदि के साथ मिलकर गोली बनायीं जाती है उसे बटी कहते हैं |

4 – अवलेह- पाक प्रकरण –

पाक प्रकरण में आयुर्वेद के अनुसार जड़ी बूटियों के रस में अन्य जड़ी बूटियों की भस्म मिलाकर उसको पकाकर गाढ़ा किया जाता है | उसे अवलेह या पाक कहते हैं | अवलेह अर्थात जिसे शहद जैसे चाटा जा सकता है तथा पाक अर्थात गाढ़ा करके खाने लायक |

5 – अर्क प्रकरण –

अर्क किसी जड़ी बूटी का सार तत्व लिकालने को ही अर्क कहते हैं | जो ओषधि मुलायम होती है जैसे गुरवेल आदि का अर्क निकलना आसान होता है किन्तु जो ओषधि कठोर होतीं हैं जैसे खादिर (कत्था) आदि का अर्क निकलना थोडा कठिन होता है | आयुर्वेद के अनुसार अर्क शीघ्र ही घुलनशील होने के कारण तत्काल लाभ देने वाला धोता है |

6 – शर्बत प्रकरण –

वर्त्तमान समय में आयुर्वेद में सर्बतों का प्रयोग काफी बढ़ गया हैं | आयुर्वेदिक शर्बत सभी रूचि से ग्रहण कर लेते हैं | यह आयुर्वेदिक शर्बत वनस्पतियों के स्वरस, क्वाथ, अर्क, और फलों के रस, चीनी, मिश्री आदि से बनाये जाते हैं |

7 – चूर्ण प्रकरण –

आयुर्वेद में चूर्ण का विशेष महत्त्व है | चूर्ण बनाने के लिए अत्यंत सूखे स्वच्छ द्रव्यों को अच्छी तरह पीस कर छान कर रख लेना चाहिए | रोगानुसार आयुर्वेद के बताये ढंग से पत्था पथ्य के साथ ग्रहण करना चाहिए |

8 – सत्व प्रकरण –

आयुर्वेद के अनुसार जिस वनस्पति का सत्व निकलना हो उसके उपरी भाग को छीलकर अलग करके बाकि के टुकडे करके अच्छी तरह से कुचल कर चोगने पानी में डालना चाहिए | दुसरे दिन छान कर रखा देना चाहिए | तीसरे दिन ऊपर का पानी अलग कर दे निचे जमा हुआ पदार्थ ही सत्व कहलाता है |

9 – आसवारिष्ट प्रकरण –

जल में ओषधि द्रव्य एवं मीठा तथा धायफूल, बबूल छाल, मधुक पुष्प आदि आयुर्वेद के मतानुसार सामग्री डालकर कुछ दिनों तक पात्रों में रखकर जो संधान किया जाता है उसे आसव, और अरिष्ट कहते हैं |

10 – तेल प्रकरण –

तेल में पानी तथा ओषधि मिलकर आयुर्वेद के मतानुसार आग पर पकाकर तेल तैयार किया जाता है | तेल रोम छिद्रों से आसानी से शारीर में प्रविष्ट कर जाता है | आयुर्वेद के अनुसार तैयार किया तेल बहुत ही गुणकारी होता है |

ayurveda in Hindi की इस श्रंखला में आपकी सलाह की आवश्यकता है सभी से अनुरोध है की हमारा मार्गदर्शन कर हमारा हौसला बढ़ाएं धन्यवाद |

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Pandit Rajkumar Dubey

Pandit Rajkumar Dubey

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