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Ganga Saptami

गंगा सप्तमी: पावन गंगा नदी का महापर्व 

 

Ganga Saptami, जिसे गंगा अवतरण और गंगोत्री महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह देवी गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का उत्सव है। यह त्योहार प्रतिवर्ष वैशाख मास की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है।

Ganga Saptami
Ganga Saptami

गंगा सप्तमी का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व

Ganga Saptami  का धार्मिक महत्व:

  • पाप नाश: गंगा नदी को “जीवनदायिनी” और “पाप नाशनी” माना जाता है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मन शुद्ध होता है।
  • मोक्ष की प्राप्ति: ऐसा माना जाता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • पुण्य लाभ: इस दिन दान-पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: गंगा सप्तमी का दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी शुभ माना जाता है।

आध्यात्मिक महत्व: 

  • गंगा माता की पूजा: गंगा सप्तमी के दिन गंगा माता की पूजा-अर्चना की जाती है।
  • गंगाजल का महत्व: गंगाजल को अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन लोग गंगाजल अपने घरों में लाकर रखते हैं और इसका उपयोग पूजा-अर्चना में करते हैं।
  • मंत्र जाप और ध्यान: गंगा सप्तमी के दिन लोग गंगा मंत्रों का जाप करते हैं और ध्यान लगाते हैं।

सांस्कृतिक महत्व:

  • गंगा आरती: गंगा नदी के किनारे भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।
  • मेले का आयोजन: गंगा सप्तमी के अवसर पर कई स्थानों पर मेले का आयोजन किया जाता है। इन मेलों में लोग धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, गंगा स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं।
  • गंगा की रक्षा: गंगा सप्तमी के दिन लोगों में गंगा नदी के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।

 

Ganga Saptami की कथा:

 

गंगा सप्तमी के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा इस प्रकार हैं:

  1. भगवान भगीरथ की तपस्या:
  • पूर्वजों का श्राप: राजा सगर के 60,000 पुत्रों को कपिल मुनि के शाप के कारण ऋषि इंद्रद्युम्न के क्रोध से जलकर मर जाना पड़ा था। उनकी आत्माओं की मुक्ति के लिए राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या की।
  • गंगा नदी का अवतरण: भगवान ब्रह्मा ने भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा नदी को पृथ्वी पर भेजने का वरदान दिया। गंगा नदी भगवान विष्णु के चरणों से निकली और भगीरथ के साथ धरती पर आईं।
  • भगीरथ का प्रयास: गंगा नदी को पृथ्वी पर लाते समय, भगीरथ ने उन्हें अपने पूर्वजों की राख पर प्रवाहित करने का प्रयास किया।
  • भगवान शिव का स्पर्श: भगीरथ के प्रयास से भगवान शिव क्रोधित हो गए, जिन्होंने गंगा नदी को अपने मस्तक पर धारण किया। भगवान शिव के स्पर्श से गंगा नदी का वेग कम हो गया और वे धरती पर धीरे-धीरे बहने लगीं।

इस कथा का सार यह है कि गंगा नदी पृथ्वी पर भगवान विष्णु और भगवान शिव के आशीर्वाद से आईं।

गंगा सप्तमी के मुख्य अनुष्ठान:

 

  1. गंगा स्नान:
  • गंगा सप्तमी का मुख्य अनुष्ठान गंगा नदी में स्नान करना है। यदि संभव न हो तो, घर पर ही गंगाजल से स्नान कर सकते हैं।
  • स्नान करने से पहले सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।
  • गंगा स्नान करते समय “गंगा स्तोत्र” या “गायत्री मंत्र” का जाप करना चाहिए।
  1. पूजा-अर्चना:
  • गंगा माता की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
  • पूजा में फल, फूल, मिठाई, दीप, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित किए जाते हैं।
  • “गंगोत्री स्तोत्र”, “गंगಾष्टक”, “गंगालहरी” आदि का पाठ किया जाता है।
  1. दान-पुण्य:
  • गंगा सप्तमी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, धन आदि का दान दिया जाता है।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दक्षिणा दी जाती है।
  1. गंगा आरती:
  • शाम के समय गंगा नदी की आरती उतारी जाती है।
  • आरती में दीप, घंटे, शंख आदि बजाए जाते हैं।
  • भक्त आरती के दौरान “गंगा माता की जय” के नारे लगाते हैं।

निष्कर्ष:

गंगा सप्तमी हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन गंगा नदी की पूजा-अर्चना कर, दान-पुण्य कर हम न केवल अपने पापों को धो सकते हैं, बल्कि पुण्य और आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त कर सकते हैं।

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Pandit Rajkumar Dubey

Pandit Rajkumar Dubey

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