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Maa Siddhidatri Puja Vidhi

नवरात्रि का नवम दिवस: माँ सिद्धिदात्री पूजा विधि, महत्व और सिद्धियों की प्राप्ति का रहस्य

Maa Siddhidatri Puja Vidhi – नवरात्रि की नौ दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा का नौवाँ और अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। ‘सिद्धि’ का अर्थ है अलौकिक शक्ति या आध्यात्मिक उपलब्धि, और ‘दात्री’ का अर्थ है देने वाली। इस प्रकार, माँ सिद्धिदात्री का शाब्दिक अर्थ है सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी। यह दिन ‘नवरात्रि’ को ‘महानवमी’ के रूप में भी जाना जाता है और यह इस महापर्व का अंतिम पड़ाव होता है।

यह माना जाता है कि माँ सिद्धिदात्री की पूजा से भक्त को न केवल सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, बल्कि वे जीवन में पूर्णता और मोक्ष की ओर भी अग्रसर होते हैं। उनकी कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है।

Maa Siddhidatri Puja Vidhi, नाम का रहस्य और पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में, भगवान शिव ने अपनी तपस्या से एक निराकार स्वरूप धारण किया था। उस समय, सृष्टि में किसी भी प्रकार का जीवन नहीं था। तब, आदि शक्ति ने शिव के शरीर से प्रकट होकर अपनी ऊर्जा से इस ब्रह्मांड को आकार दिया। देवी का यह स्वरूप माँ सिद्धिदात्री कहलाया।

यह भी माना जाता है कि भगवान शिव ने भी अपनी समस्त सिद्धियाँ इन्हीं देवी की कृपा से प्राप्त की थीं। देवी की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया था, और वे अर्धनारीश्वर कहलाए। इस प्रकार, माँ सिद्धिदात्री केवल मानवों को ही नहीं, बल्कि देवताओं और सिद्धों को भी सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।

maa siddhidatri puja vidhi
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यह स्वरूप हमें सिखाता है कि जीवन में ज्ञान, तपस्या और भक्ति के माध्यम से ही हम अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत कर सकते हैं।

Maa Siddhidatri Puja Vidhi, और दिव्य स्वरूप

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और करुणामयी है। वे ज्ञान, सिद्धि और आध्यात्मिक पूर्णता का प्रतीक हैं।

  • चार हाथ: उनके चार हाथ हैं। उनके दाहिने हाथ में चक्र और गदा हैं, जो उनकी शक्ति और न्याय का प्रतीक हैं।
  • कमल और शंख: उनके बाएँ हाथों में कमल का फूल और शंख है। कमल का फूल पवित्रता और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है, जबकि शंख शुभता और ज्ञान के प्रसार का प्रतीक है।
  • कमल आसन (आसन): वे कमल के फूल पर विराजमान हैं, जो उनकी पवित्रता और दिव्यता को दर्शाता है।
  • आठ सिद्धियाँ: माँ सिद्धिदात्री आठ प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं, जिनके नाम हैं:
    1. अणिमा
    2. महिमा
    3. गरिमा
    4. लघिमा
    5. प्राप्ति
    6. प्राकाम्य
    7. ईशित्व
    8. वशित्व
  • सिंह (वाहन): वे सिंह पर सवार हैं, जो उनकी शक्ति, साहस और अपने भक्तों की रक्षा के लिए उनकी तत्परता को दर्शाता है।

Maa Siddhidatri Puja Vidhi, विशेष महत्व, सिद्धि, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति

नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह नवरात्रि की पूरी यात्रा का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है।

  • सिद्धियों की प्राप्ति: यह माना जाता है कि माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, जिससे वे जीवन में हर क्षेत्र में सफल हो पाते हैं।
  • मोक्ष और पूर्णता: उनकी पूजा से व्यक्ति को भौतिक इच्छाओं से मुक्ति मिलती है और वह मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। वे अपने भक्तों के लिए ज्ञान का द्वार खोलती हैं, जिससे वे जीवन का अंतिम लक्ष्य प्राप्त कर पाते हैं।
  • आत्म-ज्ञान और विवेक: माँ सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों को आत्म-ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है। वे हमें यह सिखाती हैं कि सच्ची सफलता बाहरी वस्तुओं में नहीं, बल्कि हमारी आंतरिक शक्ति और ज्ञान में निहित है।
  • होम और कन्या पूजन: इस दिन हवन (होम) और छोटी लड़कियों (कन्याओं) की पूजा करने का विशेष महत्व है। कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं। यह परंपरा देवी के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है।

Maa Siddhidatri Puja Vidhi और मंत्र: कैसे करें माँ की आराधना

नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से की जाती है।

  1. पूजा की तैयारी: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. संकल्प और पूजा: हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर पूजा का संकल्प लें। माँ को लाल या गुलाबी रंग के फूल और वस्त्र अर्पित करें।
  3. भोग: माँ सिद्धिदात्री को हलवा-पूरी और चना का भोग लगाना अति शुभ माना जाता है। यह कन्या पूजन का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  4. मंत्र और आरती: उनकी पूजा में इस मंत्र का जाप करें:

माँ सिद्धिदात्री का बीज मंत्र: ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

ध्यान मंत्र:

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

निष्कर्ष

माँ सिद्धिदात्री की पूजा हमें यह सिखाती है कि हमारी आध्यात्मिक यात्रा का अंतिम लक्ष्य पूर्णता और ज्ञान की प्राप्ति है। वे हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में सच्ची सफलता तभी मिलती है जब हम अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचानते हैं। नवरात्रि की इस यात्रा में, माँ सिद्धिदात्री हमें सिद्धियों, ज्ञान और मोक्ष का आशीर्वाद प्रदान करें।

यदि यह जानकारी आपको उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें और माँ कात्यायनी का आशीर्वाद प्राप्त करें।

🔶 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

Q1. नवरात्रि के नवें दिन किस देवी की पूजा की जाती है?
A1. नवरात्रि के नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो सभी सिद्धियों और ज्ञान की दात्री मानी जाती हैं।

Q2. माँ सिद्धिदात्री की पूजा का मुख्य लाभ क्या है?
A2. उनकी पूजा से आठ सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, साथ ही मोक्ष और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

Q3. माँ सिद्धिदात्री को कौन-से फूल और भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है?
A3. लाल या गुलाबी रंग के फूल और हलवा-पूरी व चने का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

Q4. माँ सिद्धिदात्री का वाहन कौन-सा है?
A4. उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति, साहस और न्याय का प्रतीक है।

Q5. आठ सिद्धियाँ कौन-सी हैं?
A5. अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व—ये आठ सिद्धियाँ माँ सिद्धिदात्री की कृपा से प्राप्त होती हैं।

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