माँ का सुख देने वाले योग-
(matr sukh aur jyotish) – इस लेख में माताजी के सुख के बारे में विचार करेंगे कि जातक को माताजी का सुख प्राप्त होगा या नहीं होगा इस प्रकार के योग कुंडली में होते हैं तो उन लोगों की चर्चा इस लेख में करेंगे माता जी का विचार चतुर्थ स्थान से चतुर्थ स्थान के स्वामी से और चंद्रमा से किया जाता है |

यदि चतुर्थ स्थान में शुभ ग्रह हो चतुर्थ अधिपति उच्च राशि गत हो और मातृकारक ग्रह बलवान हो तो माता दीर्घायु होते हैं |
यदि चतुर्थ स्थान में शुभ ग्रह हो अथवा मातृकारक ग्रह शुभ ग्रह के साथ हो और चतुर्धापति बली हो तो माता दीर्घायु होते हैं |
यदि चंद्रमा अथवा शुक्र अच्छे नवांश में हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो अथवा केंद्रगत हो और चतुर्थ स्थान में शुभ ग्रह हो या शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो माता दीर्घायु होती हैं |
matr sukh aur jyotish
यदि चंद्रमा दो पाप ग्रहों के मध्य में हो और उसके साथ पाप ग्रह हो तो माता दीर्घ जीवी नहीं होती और प्रायः शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त होती है | दो पाप ग्रह अथवा शुभ ग्रहों के मध्य में होने का रहस्य यह है कि किसी ग्रह से 30 अंश पूर्व और 30 अंश पश्चात के अंतर में पाप ग्रह अथवा शुभ ग्रह हो | जैसे किसी का चंद्रमा मेष राशि के 5 अंश पर हो तो इस 5 अंश के पूर्व अर्थात मीन के 5 अंश के बाद से वृष के 4 अंश तक तथा मेष के 5 अंश के बाद से वृष के 5 अंश तक के अंतर में यदि दोनों तरफ केवल पाप ग्रह ही हों तो वह चंद्रमा पाप मध्यगत अथवा पाप से घिरा हुआ कहा जाता है |
यदि शनि पाप राशि में हो और उस पर पाप ग्रह की दृष्टि भी हो तो माता की मृत्यु शीघ्र होती है |
यदि शनि के साथ पाप ग्रह हों तो भी माता की मृत्यु शीघ्र होती है परंतु उस पर यदि शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो कुछ दिनों तक माता की रक्षा हो जाती है |
यदि अमावस्या का चंद्रमा हो अथवा सूर्य से 10 अंश के अंतर पर हो और वह चंद्रमा नीच हो अथवा नीच नवांश में हो तो माता की मृत्यु शीघ्र होती है |
जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?
2 thoughts on “matr sukh aur jyotish-मातृसुख एवं ज्योतिष”
Great content! Super high-quality! Keep it up
Thanks