Pandit Ji

moon transit

moon transit चन्द्र गोचर फल

चन्द्र के गोचर का जातक पर प्रभाव

(moon transit) ब्रह्मांड में स्थित ग्रह अपने अपने मार्ग पर अपनी अपनी गति से सदैव भ्रमण करते हुए एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं | जन्म समय में एक ग्रह जिस राशि में पाए जाते हैं वह राशि उनकी जन्म कालीन राशि कहलाती है | जो की जन्मकुंडली का आधार है | और जन्म के पश्चात किसी भी समय वे अपनी गति से जिस राशि में भ्रमण करते हुए दिखाई देते हैं, उस राशि में उनकी स्थिति गोचर कहलाती है |

\"moon

चन्द्र के ऊपर चन्द्रमा के गोचर का फल –

चंद्रमा जब स्वयं चंद्र लग्न में ही गोचर वश आता है, तब व्यक्ति सुख और आनंद प्राप्त करता है | रोगमुक्त रहता है, उत्तम भोजन वस्त्र और सैया सुख प्राप्त होता है | स्त्री संभोग का अवसर आता है | उपहार आदि व धन की प्राप्ति होती है |

चन्द्रमा से दुसरे भाव में चन्द्र गोचर का फल –

चंद्र लग्न से द्वितीय भाव में गोचर का चंद्रमा मानसिक असंतोष देता है | कुटुम्ब बालों से नहीं बनती नेत्रों में पीड़ा या कोई अन्य रोग होता है | अच्छा भोजन व सुख प्राप्त नहीं होता | कार्यों में असफलता मिलती है | पाप कर्मों में प्रवृत्ति होती है और विद्या में रुचि नहीं रहती |

चन्द्रमा से तीसरे भाव में चन्द्र गोचर का फल –  (moon transit)

चन्द्र से तृतीय भाव में गोचर का चंद्रमा आने से धन की प्राप्ति होती है | वस्त्र आदि का सुख मिलता है | स्वास्थ्य ठीक रहता है | शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है | मन प्रसन्न रहता है | प्रेमिकाओं से सुख प्राप्त होता है | बंधु जनों से लाभ रहता है | व्यक्तियों से संपर्क बढ़ता है और भाग्य में वृद्धि होती है |

चन्द्रमा से चौथे भाव में चन्द्र गोचर का फल –  (moon transit)

चंद्र से चतुर्थ स्थान में चंद्रमा के आने से स्वजनों से विवाद होता है | मन चंचल रहता है, छाती में विकार होता है | भोजन नहीं मिलता और नींद में बाधा उत्पन्न होती है | जल तथा स्त्री जाति से भय होता है | समाज में भी अपमान का भय रहता है और स्त्री सुख में कमी आ जाती है |

चन्द्रमा से पांचवे भाव में चन्द्र गोचर का फल –  

चंद्रमा से पंचम स्थान में गोचर में चंद्रमा आ जाने पर यात्रा में कष्ट और दुर्घटना की संभावना रहती है | कार्य सफल नहीं होता, मन में अशांति रहती है | धन हानि होती है, पेट में जलोदर आदि रोगों की संभावना रहती है | कामुकता में वृद्धि होती है | तथा व्यक्ति उचित सलाह नहीं दे पाता |

चन्द्रमा से छटवे भाव में चन्द्र के गोचर का फल – (moon transit)

चंद्र से षष्ठ भाव में गोचर वश आने पर धन लाभ होता है | तथा जातक का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है | यश और आनंद की प्राप्ति होती है | महिलाओं से संपर्क बढ़ता है, तथा अपने घर में भी सुख प्राप्त होता है | शत्रुओं की पराजय होती है | रोगों का नाश होता है, परंतु व्यय में अधिकता रहती है |

चन्द्रमा से सप्तम भाव में चन्द्र गोचर का फल –  

चंद्र से सातवें स्थान में चंद्र के आने पर धन लाभ होता है | जातक को पर्याप्त कामसुख मिलता है | छोटी-छोटी लाभदायक यात्राएं होतीं हैं | वाणिज्य तथा व्यवसाय में लाभ होता है | स्वास्थ्य अच्छा रहता है, क्षीर आदि पेय पदार्थ तथा शयन शुख की प्राप्ति होती है | वाहन और ख्याति की प्राप्ति होती है, विशेषता यदि शुक्र भी गोचर में शुभ फल दे रहा हो |

चन्द्र से आठवे भाव में चन्द्रमा के गोचर का फल – (moon transit)

चंद्रमा से अष्टम भाव में गोचर वश चंद्रमा के आने पर व्यक्ति को अपच, स्वास, खांसी तथा छाती के रोग उत्पन्न होते हैं | झगड़ा विवाद और मानसिक क्लेश रहता है | नियत समय पर अच्छा भोजन प्राप्त नहीं होता | अचानक महान कष्ट में ग्रसित हो जाने की संभावना रहती है | धन का नाश होता है |

चन्द्रमा से नौवें भाव में चन्द्र के गोचर का फल –

चंद्र से नवम भाव में गोचर वश चंद्रमा के जाने पर राज्य की ओर से परेशानी होती है | और व्यवसाय में हानि उठानी पड़ती है | पुत्रों से मतभेद रहता है, और उनका स्वास्थ्य भी नरम गरम रहता है | उदर, छाती की कोई शिकायत जैसे हैजा निमोनिया आदि होती है | जातक का भाग्य उसका साथ नहीं देता | शत्रु परेशान करते हैं, और राज्य की ओर से परेशानी उठानी पड़ती है |

चन्द्रमा से दशवें भाव में चन्द्र के गोचर का फल – (moon transit)

चंद्र से दशम स्थान में गोचर वश चन्द्रमा के जाने पर अभीष्ट की सिद्धि होती है | सभी कार्य सरलता से पूर्ण हो जाते हैं | जातक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है | राज्य की ओर से धन और सम्मान की प्राप्ति होती है | नौकरी में पदोन्नति होती है | उच्चाधिकारी प्रसन्न रहते हैं, और उत्तम गृह सुख मिलता है |

चन्द्र से एकादश भाव में चन्द्रमा के गोचर का फल –

चंद्रमा से ग्यारहवें भाव में गोचर का चंद्र जाने पर मनुष्य की आय में वृद्धि होती है | व्यापार से पर्याप्त लाभ होता है | पुत्रादि से सुख होता है, उत्तम भोजन समय अनुकूल प्राप्त होता है | मित्रों से हास परिहास और स्त्री सुख में समय व्यतीत होता है | प्रफुल्लित मन महत्वाकांक्षा की पूर्ति की ओर अग्रसर होता है | स्त्री पक्ष से लाभ रहता है, और तरल पदार्थों से आय की संभावना होती है |

चन्द्रमा से बारवें भाव में चन्द्र के गोचर का फल –  

चंद्र से बारहवें भाव में गोचर वश चंद्रमा के जाने से शारीरिक कष्ट होता है | विशेषता आंखों में रोग का भय रहता है | धन और मान की हानि होती है | पुत्रादि का सहयोग प्राप्त नहीं होता, और मानसिक चिंताएं बढ़ जाती हैं | द्वादश भाव में गोचर वश आया हुआ चंद्र अधिक व्यय के साथ-साथ उन्मत्त बैल का व्यवहार भी करवाता है, और शक्ति का अपव्यय तथा अनर्थ करवाता है |

विशेष – दूसरे पांचवें तथा नवे स्थान में जो चंद्र का अशुभ फल लिखा है, वह अशुभ फल केवल चंद्रमा के क्षीण होने पर ही होता है | यदि उक्त भावों में प्रकाशमयी चंद्र गोचर वश आए तो शुभ फल ही करता है | सूर्य से 72 अंश आगे अथवा पीछे यदि चंद्र स्थित हों अर्थात अमावस्या से 6 दिन आगे या पीछे का चंद्रमा हो तो वह क्षीण संज्ञा वाला होता है |

इन्हें भी देखें –

जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?

जानें कैसे कराएँ ऑनलाइन पूजा ?

श्री मद्भागवत महापूर्ण मूल पाठ से लाभ

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top