शनि गोचर फल – (Saturn transit)
(Saturn transit) ब्रह्मांड में स्थित ग्रह अपने अपने मार्ग पर अपनी अपनी गति से सदैव भ्रमण करते हुए एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं | जन्म समय में एक ग्रह जिस राशि में पाए जाते हैं वह राशि उनकी जन्म कालीन राशि कहलाती है | जो की जन्मकुंडली का आधार है | और जन्म के पश्चात किसी भी समय वे अपनी गति से जिस राशि में भ्रमण करते हुए दिखाई देते हैं, उस राशि में उनकी स्थिति गोचर कहलाती है |
चन्द्र के ऊपर शनि गोचर का फल –
शनि जब चंद्रमा के ऊपर गोचर वश आता है, तो बुद्धि काम नहीं करती शरीर निस्तेज रहता है | मानसिक और शारीरिक पीड़ा होती है | भाइयों तथा स्त्री आदि से झगड़ा होता है | शस्त्र और पत्थर से चोट का भय रहता है | दूर स्थानों की यात्रा होती है | मित्र और घर हाथ से निकल जाते हैं | सभी कार्यों में असफलता मिलती है अपमान होता है | और कभी-कभी राज्य से बंधन का भय भी रहता है आर्थिक स्थिति में बहुत गिरावट आ जाती है |
चन्द्र से दूसरे भाव में शनि गोचर का फल –
(Saturn transit) जब शनि चंद्रमा से द्वितीय भाव में गोचर वश आता है, तब क्लेश होता है और बिना कारण झगड़ा खड़ा हो जाता है | स्वजनों से बैर होता है धन की हानि होती है और कार्य सफल नहीं होते | जातक शारीरिक दृष्टि से कमजोर रहता है और उसे लाभ तथा सुख में बहुत कमी आ जाती है | स्त्री को कष्ट तथा उसकी मृत्यु तक की संभावना बनी रहती है | घर छोड़कर दूर जाना पड़ता है विदेश यात्रा की भी संभावना रहती है |
चन्द्र से तृतीय भाव में शनि गोचर का फल –
शनि जब चंद्रमा से तृतीय भाव में गोचर वश आता है, तो आरोग्य पराक्रम और सुख में वृद्धि होती है | हर कार्य में सफलता मिलने के साथ-साथ धन और नौकरी मिलती है | जातक स्वयं डरपोक भी हो तो भी वह शत्रुओं पर विजयी होता है, और शत्रु उसे धीर वीर ही समझते हैं | जातक को पशु धन की प्राप्ति होती है, और जमीन जायदाद खरीदने के लिए भी उपयुक्त समय होता है |
चन्द्र से चौथे भाव में शनि गोचर का फल –
चंद्रमा से चतुर्थ भाव में जब शनि गोचर वश आता है, तब शत्रु और रोग बढ़ते हैं | स्थान परिवर्तन अथवा तबादला, ट्रांसफर होता है | संबंधियों से भी वियोग होता है | धन की कमी रहती है यात्रा में कष्ट होता है, और सुखों में कमी आती है | यह समय बहुत अपमानजनक सिद्ध होता है | सामान्य जन तथा राज्य दोनों से कष्ट होता है | जातक के मन में वंचना अर्थात ठगी और कुटिलता का संचार होता है |
चन्द्र से पांचवें भाव में शनि गोचर का फल – (Saturn transit)
शनि जब चंद्रमा से पंचम भाव में गोचर वश आता है, तो बुद्धि भ्रमित होती है | योजनाएं ना तो बन ही पाती हैं और ना सफल ही होते हैं | जनता से ठगी करने का मन होता है | धन और सुख में विशेष कमी आ जाती है | जातक अपना अधिकांश समय दुष्ट स्त्रियों में व्यतीत करता है | पुत्र को रोग अथवा मृत्यु की संभावना रहती है | अपनी स्त्री से वैमनस्य बढ़ता है व्यापार में मंदी रहती है | स्त्री को वायु रोग की संभावना रहती है पुत्र के द्वारा हानि होती है |
चन्द्र से षष्ठ भाव में शनि गोचर का फल –
जब चंद्रमा से छठे भाव में शनि गोचर वश आता है, तो धन और सुख में वृद्धि होती शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है | भूमि मकान आदि की प्राप्ति का समय होता है | जातक का स्वास्थ्य उत्तम रहता है, और उसे स्त्री भोगादि सुखों की प्राप्ति होती है | और कर्ज से भी मुक्ति मिलती है |
चन्द्र से सप्तम भाव में शनि गोचर का फल – (Saturn transit)
शनि चंद्रमा से जब सातवें भाव में गोचर वश आता है, तो घर छोड़कर दूर जाना पड़ता है | बार-बार यात्राएं होतीं हैं स्त्री को रोग होते रहते हैं | उसकी मृत्यु भी संभव है | जातक गुप्त रोगों से कष्ट पाता है, धन हानि और मानसिक व्यथा होती है | यात्रा में कष्ट होता है और दुर्घटना की संभावना रहती है | मानहानि होती है धन में कमी आती है | नौकरी अथवा व्यापार समाप्त हो जाने तक की नौबत आ जाती है |
चन्द्र से अष्टम भाव में शनि गोचर का फल –
चंद्रमा से जब शनि आठवें भाव में गोचर वश आता है, तो द्रव्य तथा धन हानि होती है | कार्य सफल नहीं होते अपमानित होने का भय होता है | राज्य से भय प्रताड़ना और दंड का भय रहता है | पुत्र से वियोग तथा स्त्री की मृत्यु तक की संभावना रहती है | जुए इत्यादि व्यसनों और दुष्ट व्यक्तियों से मित्रता के कारण कई प्रकार की परेशानियां आती हैं |
चन्द्र से नवम भाव में शनि गोचर का फल – (Saturn transit)
शनि जब चंद्रमा से नौवें भाव में गोचर वश आता है, तो दुख रोग और शत्रुओं की वृद्धि होती है | धर्म के कार्यों से मनुष्य पीछे हट जाता है, अथवा धर्म परिवर्तन तक कर बैठता है | प्रादेशिक अथवा तीर्थ यात्राएं होती है, परंतु लाभप्रद नहीं होती भ्रात्र वर्ग व मित्रों से अनबन व् कष्ट पाता है | आय में कमी आ जाती है भृत्य वर्ग से भी परेशानी रहती है और बंधन एवं आरोपों का भय रहता है |
चन्द्र से दशम भाव में शनि गोचर का फल –
चंद्रमा से दसवें भाव में शनि जब गोचर वश आता है, तब नौकरी अथवा व्यवसाय में परिवर्तन और विघ्न बाधाएं आती हैं | धन का व्यय करने पर भी सफलता नहीं मिलती जातक पाप कर्म करता है | और मानसिक व्यथा सहता है उसे घर से दूर रहना पड़ता है | वह सामान्य जन से विरोध पाता है स्त्री से मनमुटाव के कारण अलग अलग रहना पड़ता है | छाती के रोगों की भी संभावना रहती है |
चन्द्र से एकादश भाव में शनि गोचर का फल – (Saturn transit)
शनि जब चंद्रमा से ग्यारहवें भाव में गोचर वश आता है, तो स्त्री वर्ग से, लोहे आदि से अथवा भूमि से, मशीनरी, पत्थर, सीमेंट, कोयला, चमड़ा, आदि से लाभ प्राप्त करता है | रोग से मुक्ति मिलती है पदोन्नति होती है | भृत्य वर्ग से लाभ रहता है |
चंद्र से बारहवें भाव में शनी गोचर का फल –
चंद्रमा से बारहवें भाव में जब शनि गोचर वश आता है, तो अपने कुटुम से दूर रहना पड़ता है | सम्बन्धियों तथा प्रतिष्ठित लोगों से मतभेद चलता है | व्यर्थ धन व्यय होता है स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता दूर स्थानों की यात्रा करनी पड़ती है | तथा दुख उठाना पड़ता है कुछ भी हो भाग्य पतन का भय रहता है | यह समय संतान के लिए भी कष्टप्रद होता है, तथा उसकी मृत्यु तक की संभावना रहती है |
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