शंखपाल काल सर्प योग क्या होता है
shankhpal kaal sarp yog – चतुर्थ भाव में राहू और दशवें भाव में केतु के आ जाने पर और चतुर्थ भाव और दशवें भाव के मध्य एनी सभी ग्रह आ जाने से शंखपाल काल सर्प योग का निर्माण होता है | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह शंखपाल नामक काल सर्प योग जातक के जीवन में कुछ ज्यादा ही ख़राब फल देता है | वैसे तो काल सर्प दोष कोई भी अच्छा नहीं होता, परन्तु कुछ जन्मपत्रिका में काल सर्प दोष होने के बाद भी जातक ने अपना जीवन सफल व्यतीत किया है | इसका कारण यह है कि कुछ ग्रहों की स्थिति एसी बन जाती है कि जिसके प्रभाव से जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होने के बाबजूद भी शुभ ग्रहों के योग से व्यक्ति सफल हो जाते हैं |
यदि किसी जातक की कुंडली में काल सर्प योग है और उसकी जन्म पत्रिका में जन्म के समय चन्द्रमा से केंद्र में गुरु हो और बुध जहां पर स्थित है उससे केंद्र में शनि हो तो इस प्रकार के जातक पर्याप्त मात्र में एश्वर्य भोगते हैं | एसे जातक कुछ कामातुर प्रवृत्ति के भी होते हैं | ये परिश्रिम तो बहुत ही कम करते हैं परन्तु धन अच्छा प्राप्त कर लेते हैं | यह बड़ी से बड़ी कामना पूर्ति करने में सक्षम होते हैं | एसे जातक धार्मिक प्रवृत्ति के भी होते हैं, परन्तु अपनी उपलब्धियों से सदैव ही असंतुष्ट रहते हैं | एसे व्यक्ति अपने शत्रुओं को भी शरण देने वाले होते हैं, किन्तु अपने परिवार के व्यौहार से दुखी होकर वैचेन बने रहते हैं |
शंखपाल योग के दुष्प्रभाव
इस शंखपाल नामक योग में जन्म लेने वाले जातक के सुख में अनेक प्रकार की बाधाएं आतीं रहतीं हैं | चतुर्थ भाव में राहू की स्थिति व्यक्ति को माताजी के सुख में न्यूनता लाता है | एक तो इनके पास वाहन होता ही नहीं है और यदि किसी प्रकार वाहन प्राप्त कर लिया तो उसका सुख नहीं हो सकता | यदि एसे जातका किसी प्रकार का कार्य आरम्भ करते हैं तो सदा ही नौकर-चाकरों से परेशान बने रहते हैं | पिता जी की और से भी निराशा ही हाँथ लगती है | और यदि यह योग किसी स्त्री की कुंडली में है तो पति सुख प्राप्त नहीं होता | विद्द्या अध्यन में अनेक रुकावटें आतीं हैं | किसी-किसी की शिक्षा पूरी ही नहीं हो पाती |
दशम भाव से सफ़लता का विचार करते हैं और वहां पर राहू की पूर्ण दृष्टि के साथ केतु की उपस्थिति असफलता और घोर निराशा मिलती है | इस प्रकार के जातकों के साथ विशवासघात होता है और वह भी उनके अपने विशेष विशवास पात्र लोगों से जिस पर ये सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं | इन्हें मानसिक चिंता हमेशा बनी रहती है जिसके कारण मष्तिष्क सम्बन्धी समस्या से पीड़ा होती है | सुख शान्ति के लिए कितना भी प्रयास करें बाधा उपस्थित हो ही जाती है | कुल मिलकर इनके पुरे जीवन संघर्ष ही करना पड़ता है परन्तु फिर भी यथेष्ठ सुख-शांति और लाभ प्राप्त नहीं होता |
ख़राब ग्रह स्थिति (shankhpal kaal sarp yog)
किसी जातक की कुंडली में काल सर्प दोष हो और शनि और सूर्य एक साथ हों अथवा शनि और मंगल एक साथ हों या राहू या केतु के साथ शनि, मंगल एवं सूर्य में से एकाधिक योग बनता हो तो ऐसे जातक का जन्म ही संघर्ष में होता है | बड़े ही संघर्षों में इनका लालन-पालन होता है | ज्यों-ज्यों ये जातक होश संभालते हैं इनका जीवन स्वयं संघर्षमय हो जाता है | विद्द्या अध्यन, नौकरी, विवाह के क्षेत्र में अनेक अवरोध उत्पन्न होते हैं | संतान उत्पत्ति में भी रुकावटें आतीं हैं |
ऐसे व्यक्ति अपनी उपलब्धियों से असंतुष्ट होकर दूसरों के एहसानों के नीचे दबे रहते हैं | जीवन यापन करने के लिए कर्ज लेने तक की स्थिति बन जाती है | और यदि किसी कारणवश एक बार कर्ज ले लिया तो पुराना कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज लेने का सिलसिला बना ही रहता है | ऐसे जातक अपने परिवार, मित्र और रिश्तेदारों से ही छले जाते हैं |
ह्रदय से दयालु होने के कारण कर्ज लेकर अपने मित्रो की मदद करने में पीछे नहीं हटते | बाद में वही मित्र धोखा दे जाते हैं | ये जिसे भी कर्ज देते हैं कभी बापिस नहीं मिलता | और बापिस माँगने पर मनमुटाव होकर दोस्त ही दुश्मन में बदल जाते हैं | इनकी प्रत्येक वास्तु पर दुष्ट व्यक्तियों की नजर बनी रहती है | इनके जान माल की क्षति के लिए कभी-कभी लोग तंत्र-मन्त्र, टोना-टोटका भी इनके ऊपर करते हैं परन्तु ऐसे जातक शान से जीते हैं और शान से ही मरते हैं |
उपाय कब करें (shankhpal kaal sarp yog)
काल सर्प दोष की पूजा या किसी प्रकार का अनुष्ठान कराने से पहले या काल सर्प दोष का नाम सुनते ही डर जाने से पहले इस बात का पूर्ण निश्चित कर लेना चाहिए, कि आपकी कुंडली में जो काल सर्प दोष है वह हानिकारक है भी या नहीं | और यदि हानिकारक है तो किस प्रकार की हानि पहुंचाएगा और इसके लिए किस प्रकार का अनुष्ठान करना चाहिए | कुछ आंशिक काल सर्प दोष भी माने जाते हैं परन्तु इन आंशिक काल सर्प दोषों की अनेक कुंडलियों पर अध्यन करने पर यह ज्ञात हुआ कि आंशिक काल सर्प योग में राहू की स्थिति देखकर केवल राहू की शान्ति करने से आंशिक काल सर्प दोष के द्वारा होने वाले दुष्प्रभाव कम होने लगते हैं |
दरअसल होता यह है कि किसी भी जन्म पत्रिका राहू और केतु के मध्य सभी ग्रहों को देखकर काल सर्प योग बोलकर उसकी पूजा अनुष्ठान शुरू हो जाता है | और कभी आंशिक काल सर्प दोष की पूजा अनुष्ठान शुरू हो जाते हैं | इसलिए प्रथम इस बात पर ध्यान दें कि कुंडली में काल सर्प योग किस प्रकार का है और वह क्या अनिष्ट करेगा तथा उसके लिये किस प्रकार की पूजा अनुष्ठान की आवश्यकता है | तमाम बिन्दुओं पर विचार करने के बाद ही किसी पूजा अनुष्ठान का आरम्भ करना चाहिए | और आंशिक काल सर्प दोष के लिए पहले छोटे-छोटे उपाय कर लेना चाहिए | बहुत से आंशिक काल सर्प दोष छोटी पूजा या छोटे-छोटे उपाय से दुष्प्रभाव कम होने लगते हैं |
जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?
11 thoughts on “shankhpal kaal sarp yog-शंखपाल काल सर्प योग”
Kya mere kundali me kaal sarp yog hai. Agar hai to kaisa aur kya upay karna hoga. 30-march-1979, 08:45 am, Calcutta, West Bengal.
Rajiv Ji आपका जबाब हम आपको मेल कर देंगे |
महाराज जी प्रणाम
मैं उत्तर प्रदेश से गोरखपुर जिले से हु मुझे काल सर्प की पूजा और नारायण नाग बलि भी कराना है । आप अपना no दे बात करनी है ।
आनंद कुमार त्रिपाठी
4 sap 1977
समय 1,05 am
स्थान गोरखपुर उत्तर प्रदेश
त्रपाठी जी हमारा नंबर यह है – 7470934089
Sir main bahut hi pareshaan hoon. Mujhe astrologers ne bataya tha ki bachpan se hi meri kundli mein Shankhpal Kal sarp dosh hai. Kya koi raasta nahi ki main buri kismat ko badal saku?
आप हमारे WhatsApp नंबर पर अपनी डिटेल भेज दीजिये | WhatsApp No. 7470934089
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My dob 27 September 2001 morning 7 am kya meri kundli me dosh hai kya kal sarp ka
जी नहीं आपकी कुंडली में कालसर्प दोष नहीं है | लेकिन आपकी कुंडली में गुरु चंडाल योग है |
Vishal 2nd April 1979, 10:02 AM Chandigarh.
विशाल जी आपको क्या जानना है कृपया आप हमारे Whatsaap नंबर पर या हमसे फोन पर संपर्क करें |