जन्मस्थ ग्रहों के ऊपर से शुक्र का गोचर –
(shukra gocharfal) सूर्य आदि ग्रहों का जन्म कालीन ग्रहों पर तथा उनसे कुछ विशिष्ट स्थानों पर से गोचर, और उसका स्थिति तथा दृष्टि के प्रभाव द्वारा क्या फल होता है |
जन्म कुंडली के ग्रहों पर से जब गोचरवश ग्रह विचरण करते हैं, तो स्थान और राशि के अनुसार विशेष शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं | प्रस्तुत लेख में इसी विचरण से संबंधित कुछ उपयोगी जानकारी आप लोगों को दी जाएगी |
जन्मस्थ सूर्य के ऊपर शुक्र का गोचर –
जन्म के समय कुंडली में स्थित सूर्य के ऊपर से अथवा सप्तम स्थान में जब भी गोचर वश शुक्र जाता है तो प्रायः स्वास्थ्य के लिए शुभप्रद होता है | इस अवधि में मनुष्य शतकर्मों की ओर प्रेरित होता है | यदि शुक्र का आधिपत्य अशुभ हो तो ऐसे जातक इस अवधि में व्यसनों में अपना समय व्यतीत करते हैं |
जन्मस्थ चन्द्र के ऊपर शुक्र का गोचर –
जन्म के समय कुंडली में स्थित चंद्रमा के ऊपर से तथा इससे सप्तम स्थान में गोचर वश आया हुआ शुक्र अधिकतर मन में विलासिता उत्पन्न करता है | और योगात्मक रुचि देता है | इस समय मोटर-कार आदि वाहनों का सुख रहता है | धन की वृद्धि निरंतर होती रहती है | विशेषकर स्त्री वर्ग से विशेष लाभ होता है | और चंद्र यदि निर्बल हुआ तो धनादि अल्प मात्रा में मिलते हैं |
जन्मस्थ मंगल के ऊपर शुक्र का गोचर-(shukra gocharfal)
जन्म के समय कुंडली में स्थित मंगल के ऊपर से अथवा उससे सप्तम भाव में जब भी गोचर वश शुक्र आएगा तो वह जातक के बल की वृद्धि करेगा | कामवासना में भी वृद्धि करता है | भाइयों के सुख को बढ़ाता है | यदि जन्म कुंडली में जन्म के समय का शुक्र शुभ राशियों में स्थित हो और बलवान हो तो भूमि का लाभ कराता है | सम राशियों में मित्र राशियों में स्थित होकर सामान्य बली हो तो भूमि आदि से लाभ कराता है | और यदि शत्रु राशि में स्थित हो निर्बल हो सूर्य से अस्त हो तो ऐसा शुक्र भूमि आदि के कार्यों में विवाद उत्पन्न करता है |
जन्मस्थ बुध के ऊपर शुक्र का गोचर –
जन्म के समय कुंडली में स्थित बुध के ऊपर से अथवा उससे सप्तम भाव में गोचर वश जब शुक्र आता है तो वह इस अवधि में जातक को विद्या का लाभ देता है | इस अवधि में सगे संबंधियों से अत्यधिक प्यार बढ़ता है | तथा उनसे लाभ भी अधिक होता है | स्त्री वर्ग से तथा व्यापार से अधिक लाभ रहता है | यह फल तभी घटित होता है जब बुध अकेला हो यदि बुध किसी ग्रह विशेष से प्रभावित हो तो गोचर का फल उस ग्रह पर से शुक्र के गोचर जैसा ही होता है |
जन्मस्थ गुरु के ऊपर शुक्र का गोचर – (shukra gocharfal)
जन्म के समय के गुरु के ऊपर से अथवा उससे सातवें भाव में गोचर वश जब शुक्र जाता है तो सज्जनों से संपर्क बढ़ता है | सत्संग में मन लगता है | विद्वानों की सेवा करने में मन लगता है | धार्मिक कार्यों में दान देना, श्रमदान करना और धार्मिक कार्यों में रुचि बढती है | विद्या आदि में भी वृद्धि होती है | पुत्र से धन मिलता है | राज्य कृपा में वृद्धि होती है और परिवारिक सुख बढ़ता है | यदि शुक्र निर्बल हो और शनि या राहु अधिष्ठत राशियों का स्वामी हो तो फल इसके विपरीत जाना चाहिए |
जन्मस्थ शुक्र के ऊपर शुक्र का गोचर –
जन्म के समय कुंडली में स्थित शुक्र के ऊपर से अथवा उस से सप्तम स्थान से जब शुक्र जाता है तो विलास की वस्तुओं और स्त्रियों से संपर्क में वृद्धि करता है | यदि कुंडली स्त्री की है तो पुरुषों से संपर्क बढ़ता है | तरल पदार्थों से लाभ प्राप्त होता है | पुरुष जातक स्त्री सुख को अधिक महत्व देता है | और स्त्री के सहयोग से व्यापार में वृद्धि होती है | यदि जन्म कालीन शुक्र निर्बल हुआ तो यह फल कम हो जाता है |
जन्मस्थ शनि के ऊपर शुक्र का गोचर – (shukra gocharfal)
जन्म कालीन शनि के ऊपर से और इससे सप्तम भाव से गोचर वश जब शुक्र आता है तो मित्रों की वृद्धि करता है | भूमि आदि की प्राप्ति होती है | स्त्री वर्ग से लाभ और स्त्रियों को पुरुष वर्ग से लाभ होता है | भृत्य (नौकर) आदि की प्राप्ति होती है | परिश्रम में कमी आदि शुभ फल प्राप्त होते हैं | और यदि शुक्र निर्बल हो तो यह फल अल्प मात्रा में प्राप्त होता है |
जन्मस्थ राहु-केतु के ऊपर शुक्र का गोचर – (shukra gocharfal)
राहु और केतु एक छाया ग्रह है और इनकी अपनी कोई राशि नहीं होती, इसीलिए शायद ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को गोचर में नहीं लिया गया | फिर भी जो अनुभव में आया है, उसके अनुसार राहु केतु के ऊपर जब गोचर वश शुक्र आता है, तो जातक के दाम्पत्य जीवन को अस्त-व्यस्त कर देता हैं | और यदि शुक्र कमजोर हुआ तथा सप्तम भाव का स्वामी भी कमजोर हुआ तो तलाक तक हो जाती है |
इन्हें भी देखें –
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1 thought on “shukra gocharfal-शुक्र गोचर फल”
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