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sunapha yoga

सुनफा योग (sunapha yoga)

क्या है सुनफा योग

आज हम sunapha yoga के बारे में जानेंगे, ज्योतिष में यदि हम योगों की बात करें, तो नों ग्रह और बारह राशियाँ विद्यमान हैं | किसी भी राशि में किसी भी ग्रह की स्थिति, ग्रहों की युति, चन्द्रमा के आगे या पीछे ग्रहों के बैठने से, अनेक प्रकार से अनेक योग जातक की कुण्डली में बनते हैं | और सभी योगों का फल निश्चित रूप से व्यक्ति को प्राप्त होता है | किन्तु जो भी योग आपकी कुण्डली में निर्मित हो रहा है, वह ज्योतिष के नियमानुसार पूर्ण रूप से दोष रहित होना चाहिए | तो निश्चित ही वह अपना पूर्ण फल प्रदान करेगा |

सुनफा योग भी इसी तरह के योगों में एक उत्तम योग माना जाता है | इस योग का निर्माण चन्द्रमा से द्वतीय भाव में कोई ग्रह बैठा हो, परन्तु बारहवां घर ग्रह रहित होना चाहिए | उदहारण कुण्डली में देखें, नीचे दी हुई कुण्डली में सुनफा योग है | कुछ ज्योतिर्विदों का मत है की चन्द्रमा से दुसरे भाव में सूर्य का रहना और न रहना दोनों बराबर माना जाता है | अर्थात चन्द्रमा से द्वतीय में जो ग्रह का रहना बताया गया है, उसमे सूर्य को छोडकर ही अन्य ग्रहों के रहने से उक्त योग संभव है |

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सुनफा योग के बारे में अन्य मत

इसी प्रकार “यवन” का मत है, कि यदि चन्द्रमा से चतुर्थ स्थान में सूर्य के अतिरिक्त कोई ग्रह हो तो सुनफा योग (sunapha yoga) होता है |हाँलाकि देवशर्मा जी के मत से जन्म के समय का चन्द्रमा जिस नवमांश में हो, उस राशि से द्वतीय राशि में सूर्य के अतिरिक्त कोई ग्रह हो, तो सुनफा योग बनता है |

उपरोक्त प्रकार से कुण्डली को देखा जाय तो अनेक कुंडलियों में सुनफा योग मिल जाएगा | यह भी कहा जा सकता है कि प्रत्येक 6 कुण्डली के बाद इस योग की कुण्डली मिल जायेगी | क्योकि चन्द्रमा एक राशि में सवा दो दिन तक रहता है | और शनि लगभग दो वर्ष छः माह तक एक राशि में रहता है | उदाहरण के लिए चन्द्रमा मेष राशि में है, और शनि बृषभ राशि में है | चन्द्रमा पुनः सत्ताईस दिन में मेष राशि में आ जाएगा | इसी प्रकार चन्द्रमा भ्रमण वश अन्य राशियों में जाएगा, उसके आगे के भाव् में सूर्य के अतिरिक्त कोई भी ग्रह के होने से सुनफा योग का निर्माण होगा, किन्तु इस योग का फल प्राप्त नहीं होगा |

ऐसे करें विचार -(sunapha yoga)

सुनफा योग के पूर्ण फल की प्राप्ति के लिए, अन्य ग्रहों की स्थिति पर विचार करना चाहिए | चन्द्रमा को कितना बल प्राप्त है, अर्थात जिस राशि में चन्द्रमा बैठा है वह बली है की नहीं | चन्द्रमा किस नक्षत्र में बैठा है, उस नक्षत्र का स्वामी किस भाव में बैठा है, और उसको कितना बल प्राप्त है | चन्द्रमा के ऊपर किस ग्रह की दृष्टि है, उसके भी बलाबल का विचार अनिवार्य है | चन्द्रमा से दुसरे भाव में बैठे ग्रह की स्थिति पर भी उपरोक्त विधि से विचार कर लेना आवश्यक है, तभी किसी योग के फल को कहें |

sunapha yoga के फल

सुनफा योग में जन्म लेने वाला जातक राजा के सामान होता है, या स्वार्जित धन से राजसी ठाट-बाट से रहने वाला होता है | उसके पास बुद्धि का श्रेष्ठतम भंडार होता है | पुरे परिवार में श्रेष्ठ व्यक्तियों का दर्जा प्राप्त होता है |

पृथक-पृथक ग्रहों से निर्मित सुनफा योग :-

यदि चन्द्रमा से द्वतीयस्थ मंगल के बैठने से निर्मत सुनफा योग (sunfa yoga) में व्यक्ति दम्भी, क्रोधी, धीर, पराक्रमी और धनी होता है |

बुध यदि चन्द्रमा से द्वतीयस्थ है तो उससे निर्मित सुनफा योग में जातक, वेदशास्त्र को जानने वाला, (ज्ञानवान एवं दार्शनिक ) कुशाग्र बुद्धि वाला, मीठा वोलने वाला, और रूपवान होता है |

और गुरु यदि चन्द्रमा से द्वतीयस्थ है उससे निर्मित सुनफा योग में जन्म लेने वाले जातक, अपार धन संपत्ति के मालिक, अनेक विद्द्याओं के जानने वाले, यशस्वी एवं राजानुगृहीत होते हैं |

इसी प्रकार चन्द्रमा से द्वतीयस्थ शुक्र से निर्मित सुनफा योग में जातक, पराक्रमी, बहुत धनी, भू संम्पत्ति का मालिक. चोपयों से युक्त और राजतुल्य जीवन व्यतीत करने वाला होता है |

चन्द्रमा से द्वतीयस्थ शनि से निर्मित सुनफा योग में जन्म लेने वाले जातक, पूज्यवान, (सम्मानीय व्यक्ति) धनी, सुखी तथा सभी कार्यों में निपुण होता है |

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