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surya gochar ka jatak par prabhav

Surya gochar ka jatak par prabhav

सूर्य आदि ग्रहों का जन्म कालीन ग्रहों के ऊपर से गोचर विचार –

(Surya gochar ka jatak par prabhav) सूर्य आदि ग्रहों का जन्म कालीन ग्रहों पर तथा उनसे कुछ विशिष्ट स्थानों पर से गोचर, और उसका स्थिति तथा दृष्टि के प्रभाव द्वारा क्या फल होता है |

जन्म कुंडली के ग्रहों पर से जब गोचरवश ग्रह विचरण करते हैं, तो स्थान और राशि के अनुसार विशेष शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं | प्रस्तुत लेख में इसी विचरण से संबंधित कुछ उपयोगी जानकारी आप लोगों को दी जाएगी |

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surya gochar ka jatak par prabhav

सूर्य का जन्म कालीन ग्रहों पर से गोचर

(Surya gochar ka jatak par prabhav) जन्मस्थ सूर्य पर से या उससे सातवें स्थान जन्म कुंडली से गोचर के सूर्य का प्रस्थान व्यक्ति को कष्ट देता है | धन लाभ होता रहता है, परंतु किसी भी स्थिति में टिकता नहीं, खर्च हो जाता है | व्यवसाय ठीक नहीं रहता | पित्त विकार, बुखार आदि होते हैं | नकसीर फूटती रहती है | पाचन क्रिया बिगड़ जाने से कब्ज बनी रहती है | पिता जी का स्वास्थ बिगड़ता रहता है | यदि दशा अंतर्दशा भी अशुभ हो तो पिता की मृत्यु भी हो सकती है | इस अवधि में जातक की अपने पिताजी से नहीं बनती |

जन्मस्थ चन्द्र पर से सूर्य गोचर का फल -(Surya gochar ka jatak par prabhav)

जन्मस्थ चन्द्र पर से या इससे सप्तम स्थान से गुजरता हुआ गोचर का सूर्य अपनी जन्म कालीन स्थिति के अनुसार शुभाशुभ फल देता है | यदि सूर्य जन्म कुंडली में अशुभ स्थान का स्वामी हो, तो गोचर के समय मन को कष्ट होता है | इस अवधि में सर्दी, जुकाम की शिकायत बनी रहती है | यदि रवि शुभ स्थान का स्वामी हो तो शुभ फल देता है | जैसे व्यापार और आमदनी में वृद्धि होती है, तथा मन प्रसन्न रहता है |

जन्म के समय स्थित मंगल के ऊपर से सूर्य गोचर का फल –

जन्म के समय स्थित मंगल के ऊपर से या इससे सातवें स्थान पर से जब रवि गोचर वश आता है, तो प्रायः अशुभ फल ही देता है | झूठ बोलने से, झूठे व्यौहार से मित्रों और संबंधियों में गलतफहमी फैलती है | शारीरिक और मानसिक कष्ट भी देता है | राज्य के अधिकारी असंतुष्ट हो जाते हैं | कुछ दिन के लिए व्यवसाय बंद रह सकता है | यदि जन्म कुंडली के अनुसार मंगल बहुत ही शुभ हो तो व्यवसाय में उन्नति होने लगती है, और अंत में कार्य पूरा हो जाता है |

जन्म कालीन बुध पर से सूर्य गोचर का फल –

जन्म कालीन बुध पर से या उससे सातवें स्थान से जब भी रवि गोचर वश प्रस्थान करता है, तब सामान्यता शुभ रहता है | इस दौरान जातक की बुद्धि तेज हो जाती है | अध्ययन में सफलता मिलती है | परीक्षाओं में व्यक्ति सरलता से उत्तीर्ण हो जाता है | सब कार्यों में मन लगने लगता है, और काम जल्दी हो जाते हैं | लेखन कार्य सरलता से किया जा सकता है, परंतु संबंधियों से वैमनस्य की संभावना रहती है |

जन्मस्थ गुरु के ऊपर सूर्य गोह्कार का फल –

जन्म के समय स्थित गुरु के ऊपर से या उससे सातवें स्थान से जब भी गोचर का सूर्य जाता है, तो वह शुभ नहीं होता | घर के सभी लोग प्रायः अस्वस्थ रहते हैं | धन हानि भी बहुत होती है, और व्यापार ठीक नहीं चलता | नौकरी में कष्ट होता है, तथा इस अवधि में पदोन्नति की संभावना बहुत कम रहती है |

जन्मस्थ शुक्र के ऊपर से सूर्य गोचर का फल –

जन्मस्थ शुक्र के ऊपर से या उससे सातवें स्थान पर से सूर्य के जाने के समय स्त्री सुख नहीं मिलाता | अधिकतर स्त्री बीमार रहती है | कई प्रकार की बाधाएं उत्पन्न होती हैं | मनोरंजन, भोग-विलास, व्यभिचार, और अतिथियों पर धन व्यय होता है | राज्य की ओर से भी कष्ट होता है |

जन्मस्थ शनि के ऊपर से सूर्य गोचर का फल –

जन्म के समय स्थित शनि तथा उसे सप्तम स्थान पर से जब गोचर का सूर्य आता है, तब वह समय कष्ट पूर्ण व्ययातीत होता है | यात्राओं में परेशानी तथा धन हानि होती है | आर्थिक अड़चनों तथा विभिन्न असफलताओं का सामना करना पड़ता है | नौकर आदि आज्ञा का पालन नहीं करते | व्यवसाय में हानि होती है | वृद्ध-बुजुर्ग लोगों से नहीं बनती | स्त्री पक्ष से हानि रहती है, और पैर आदि में कष्ट की संभावना रहती है |

राहु-केतु के ऊपर सूर्य गोचर का फल –

वैसे राहु केतु एक छाया ग्रह हैं , इसीलिए गोचर में इनका वर्णन नहीं मिलता | किन्तु प्रत्यक्ष प्रभाव जो अनुभव में आया है, उसके अनुसार राहु के ऊपर से जब भी सूर्य का गोचर होता है | उस समय व्यक्ति का विवाद होता है | तथा मन दुर्व्यसन की ओर आकर्षित होता है | इसी प्रकार केतु के ऊपर से सूर्य का गोचर मन में अशांति पैदा करता है | विशेष फल राहु-केतु किस राशि में स्थित हैं उस पर भी निर्भर करता है |

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