व्रत उपवास से अनंत पुण्य और आरोग्य
पिछले लेख में हमने \” तीन महाव्रत \” इस बारे में संक्षेप में चर्चा की इस लेख में \” व्रत उपवास से अनंत पुण्य और आरोग्य की प्राप्ति \” इस विषय में संक्षेप में चर्चा करेंगे |
ऐसा कहा जाता है कि अकेला एक उपवास अनेक रोंगो का नाश करता है | नियमतः व्रत- उपवासों से उत्तम स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन प्राप्त होता है | हमारे देश के अशिक्षित ग्रामीण भी इस बात को जानते हैं कि अरुचि, अजीर्ण, उदरशूल, मलावरोध, सिरदर्द एवं ज्वर जैसे साधारण रोगों से लेकर असाध्य महा ब्याधियां भी व्रत-उपवासों से निर्मूल हो जातीं हैं | उससे अपूर्व एवं स्थाई आरोग्यता प्राप्त हो जाती है | सभी देशों तथा धर्मों में व्रत-उपवास का महत्वपूर्ण स्थान है | इनके द्वारा मनुष्य की अंतरात्मा शुद्ध होती है | ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रता की बढ़ोत्तरी भी होती है |
आज की तुलना में पिछली सदियों के लोगों का स्वास्थ अच्छा हुआ करता था और वे निरोग रहते थे | आज के अनेक भयंकर रोगों से कोसों दूर थे | रोगों का उनपर आक्रमण नहीं हुआ करता था ऐसी बात नहीं परन्तु वे लोग शास्त्रानुसार आचरण करके स्वस्थ रहने का प्रयास करते थे | इन प्रयासों में वे सफल भी होते थे | हमारे पूर्व मनीषियों द्वारा आयुर्वेद के आधार पर धार्मिक व्रत अनुष्ठानों का अनुपालन करने का उपाय प्रस्तुत किया गया है | इन व्रतों के पालन द्वारा सामान्य रोगों से मानव मुक्ति प्राप्त कर स्वस्थ जीवन का अनुभव कर मानसिक तनाव से भी छुटकारा पाकर ईश-प्राप्ति का सहज सुलभ साधन भी पा लेता था |
भारत देश के व्रत (व्रत उपवास से अनंत)
हमारे देश में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से संवत्सर पर्यन्त सभी तिथियों में व्रत का विधान है | तिथि-व्रत, वार-व्रत, मास-व्रत, नक्षत्र-व्रत आदि तो प्रसिद्द हैं ही | यह संभव नहीं कि प्रत्येक दिन व्रत किया जय तथापि हर माह एक या दो व्रत किए जा सकते हैं | चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से एक सप्ताह प्रतिदिन स्नानादि से निवृत्त होकर सर्वप्रथम कड़वे नीम की नई कपोलों के सेवन से रक्त-शुद्धि और चर्मरोगों से मुक्त होने का साधन बताया गया है |
वैशाख मास की अक्षयतृतीया एक शुभ मुहूर्त है | इस दिन उपवास पूर्वक जल से भर घड़ा, मटकी, फल एवं पंखा दान देने का विधान बताया गया है | मिटटी के संपर्क से जल शुद्ध होता है पाँच तत्व में से दो तत्व जल और पृथ्वी शरीर के लिए पोषक हैं | वैशाख मास में मिटटी का घड़ा दान करना परोपकारी बात मणि जाती है |
कहते हैं चंद्र किरणों से अमृत की वर्षा होती है | मानव की सम्पूर्ण क्रिया मन से संचालित होती है | चन्द्रमा मन का प्रतिनिधिकारक तत्व है | चन्द्रमा और श्रीगणेशजी का अद्वतीय सम्बन्ध है | इसी दृष्टि से मनःशांति हेतु, बुद्धि प्राप्ति हेतु श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखते हैं | दिनभर उपवास करके शामको श्रीगणेशजी का पूजन कर चंद्रोदय के उपरांत दर्शन कर भोजन करना उपयुक्त बताया गया है | ऐसा करने से उत्पन्न चन्द्रमा का अमृत प्रभाव तथा उसकी शीतलता मन को शांति प्रदान करती है |
धार्मिक व्रत
हमारे धार्मिक व्रतों में एकदशी, प्रदोष और शिवरात्रि, श्रीकृष्णजन्माष्टमी, रामनवमी आदि का भी बड़ा महत्त्व है | वर्ष की सभी एकदशियों में विष्णुशयनी एवं प्रबोधिनी एकादशी तथा महाशिवरात्रि व्रत का अपने आप में बड़ा महत्त्व है | चातुर्मास व्रतों के पालन का आरोग्य प्राप्ति की दृष्टि से अनोखा एवं अद्वतीय महत्त्व मन गया है | यदि हम चातुर्मास में व्रतों का सही पालन करें तो आरोग्य प्राप्ति के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति भी प् सकते हैं | चातुर्मासों में बात-पित्त का प्रकोप अधिक रहता है इसलिए सैग-सब्जियों का त्याग करना श्रेस्कर होता है | इन दिनों एक समय हल्का भोजन करना चाहिए |
धार्मिक व्रतों का उचित पालन शरीर-शुद्धि, आत्मिक और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति में सहायक हैं | इन व्रतों के माध्यम से मनुष्य ईश्वर या अपने इष्टदेव की आराधना और भक्ति भी कर सकते हैं | व्रत हिन्दू संस्कृति एवं धर्म के प्राण बताये गए हैं | नियमतः व्रत उपवासों के पालन से स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन की प्राप्ति होती है |
इस लेख में हमने \” व्रत उपवास से अनंत पुण्य और आरोग्य की प्राप्ति \” इस बारे में संक्षेप में चर्चा की अगले लेख में \” तप और करुणा से भरे हैं महिलाओं के व्रत -त्यौहार \” इस विषय में संक्षेप में चर्चा करेंगे |
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