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27 nakshatra ke mantra

27 nakshatra ke mantra-27 नक्षत्रों के वैदिक मन्त्र

नक्षत्रों के मंत्र जप संख्या एवं माला

27 nakshatra ke mantra – ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माने जाने वाले 27 नक्षत्रों के मंत्र निम्नलिखित हैं |

 अश्विनी नक्षत्र
ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वतीवीर्य्यम वाचेन्द्रो बलेनेन्द्रायदद्युरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम:। जप संख्या – 27,000 | माला मिट्टी की होनी चाहिए |
भरणी नक्षत्र
ॐ यमाय त्वाङ्गिरस्य्ते पितृमते स्वाहा स्वाहा धर्माय स्वाहा धर्मपित्रे
जप संख्या – 21,000 | माला स्फटिक की लें अच्छा रहेगा |
कृतिका नक्षत्र
ॐ अयमग्नि सहस्रीणो वाजयस्य शान्ति (गुं) वनस्पति: मूर्द्धा कबोरयीणाम् ।
ऊँ अग्नये नम:। जप संख्या – 12,000 | माला लाल गुंजा की उत्तम रहेगी |
रोहिणी नक्षत्र
ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचे वेन आवय: सबुधन्या उपमा अस्यविष्ठा: सतश्चयोनिमसतश्चविध:। ॐ ब्रह्मणे नम:। जप संख्या – 21,000 | माला मोती की होनी चाहिए |
मृगशिरा नक्षत्र
ॐ सोमोधनु (गुं) सोमाअवंतुमाशु (गुं) सोमवीर: कर्मणयंददाती यदत्यविदध्य (गुं) सभेयमपितृ श्रवणयोम। ॐ चन्द्रमसे नम: । जप संख्या – 21,000 | माला मूंगा की उपयुक्त रहेगी |
आर्द्रा नक्षत्र
ॐ नमस्ते रूद्र मन्यवSउतोत इषवे नम: बाहुभ्यामुतते नम: । ॐ रुद्राय नम: ।
जप संख्या – 36,000 | बांवी की मिट्टी की माला का उपयोग करना चाहिए |
पुनर्वस नक्षत्र
ॐ अदितिद्योरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता: स पिता स पुत्र: विश्वेदेवा अदिति: पंचजना अदितिजातिमादितिर्रजनित्वम । ॐ आदित्याय नम: । जप संख्या – 31,000 | हल्दी की माला का उपयोग करें |
पुष्य नक्षत्र
ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद द्युमद्विभाति क्रतमज्जनेषु । यदीदयच्छवस ॠत प्रजात तदस्मासु द्रविणम धेहि चित्रम । ॐ बृहस्पतये नम: । जप संख्या – 41,000 | पीपल की जड़ की मिट्टी की बनी हुई माला का उपयोग करें |
अशलेषा नक्षत्र

ॐ नमोSस्तु सर्पेभ्योये के च पृथ्विमनु:। ये अन्तरिक्षे यो देवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: । ॐ सर्पेभ्यो नमः। जप संख्या – 1,25,000 | तुलसी की माला का उपयोग करना चाहिए | 

नक्षत्र और उनकी विशेषताएं


मघा नक्षत्र

ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: । प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्यो नम:। जप संख्या – 27,000 | मिट्टी की माला का उपयोग करें |
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र
ॐ भगप्रणेतर्भगसत्यराधो भगे मां धियमुदवाददन्न: । भगप्रजाननाय गोभिरश्वैर्भगप्रणेतृभिर्नुवन्त: स्याम: । ऊँ भगाय नम: । जप संख्या – 21,000 | स्फटिक की माला होनी चाहिए |
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र
ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत (गुं) रथेन सूर्य्यतव्चा । मध्वायज्ञ (गुं) समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम । ॐ अर्यमणे नम:। जप संख्या – 12,000 | लाल गुंजा की माला का उपयोग करना चाहिए |
हस्त नक्षत्र
ॐ विभ्राडवृहन्पिवतु सोम्यं मध्वार्य्युदधज्ञ पत्त व विहुतम वातजूतोयो अभि रक्षतित्मना प्रजा पुपोष: पुरुधाविराजति । ॐ सावित्रे नम:। जप संख्या – 21,000 | माला मोती की लेना चाहिए |
चित्रा नक्षत्र
ॐ त्वष्टातुरीयो अद्धुत इन्द्रागी पुष्टिवर्द्धनम । द्विपदापदाया: च्छ्न्द इन्द्रियमुक्षा गौत्र वयोदधु: । त्वष्द्रेनम: । ॐ विश्वकर्मणे नम:। जप संख्या – 21,000 | मूंगा की माला का उपयोग करना चाहिए |
स्वाती नक्षत्र
ॐ वायरन्नरदि बुध: सुमेध श्वेत सिशिक्तिनो युतामभि श्री तं वायवे सुमनसा वितस्थुर्विश्वेनर: स्वपत्थ्या निचक्रु: । ॐ वायवे नम:। जप संख्या – 36,000 | बांवी की मिट्टी की माला होनी चाहिए |
विशाखा नक्षत्र
ॐ इन्द्रान्गी आगत (गुं) सुतं गार्भिर्नमो वरेण्यम । अस्य पात घियोषिता।
ॐ इन्द्राग्निभ्यां नम: । जप संख्या – 31,000 | हल्दी की माला का उपयोग करना चाहिए |
अनुराधा नक्षत्र
ॐ नमो मित्रस्यवरुणस्य चक्षसे महो देवाय तदृत (गुं) सपर्यत दूरंदृशे देव जाताय केतवे दिवस्पुत्राय सूर्योयश (गुं) सत । ॐ मित्राय नम:। जप संख्या – 41,000 | पीपल की जड़ की मिट्टी की माला बनाकर जप करना चाहिए |

ज्येष्ठा नक्षत्र
ॐ त्रातारभिंद्रमबितारमिंद्र (गुं) हवेसुहव (गुं) शूरमिंद्रम वहयामि शक्रं पुरुहूतभिंद्र (गुं) स्वास्ति नो मधवा धात्विन्द्र: । ॐ इन्द्राय नम:। जप संख्या – 1,25,000 | तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें |

27 नक्षत्रों का चरणानुसार फल (27 nakshatra ke mantra)


मूल नक्षत्र
ॐ मातेवपुत्रम पृथिवी पुरीष्यमग्नि (गुं) स्वयोनावभारुषा तां विश्वेदैवॠतुभि: संविदान: प्रजापति विश्वकर्मा विमुञ्च्त । ॐ निॠतये नम:। जप संख्या – 1,25,000 | रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए |
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र
ॐ अपाघ मम कील्वषम पकृल्यामपोरप: अपामार्गत्वमस्मद यदु: स्वपन्य-सुव: । ॐ अदुभ्यो नम: । जप संख्या – 21,000 | स्फटिक की माला लें आभाव वश तुलसी की माला से भी जप किया जा सकता है |
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र
ॐ विश्वे अद्य मरुत विश्वSउतो विश्वे भवत्यग्नय: समिद्धा: विश्वेनोदेवा अवसागमन्तु विश्वेमस्तु द्रविणं बाजो अस्मै । जप संख्या – 12,000 | लाल गुंजा अभाव वश लाल मिट्टी की माला बनाकर भी जप कर सकते हैं |  
श्रवण नक्षत्र
ॐ विष्णोरराटमसि विष्णो श्नपत्रेस्थो विष्णो स्युरसिविष्णो धुर्वोसि वैष्णवमसि विष्नवेत्वा । ॐ विष्णवे नम: । जप संख्या – 21,000 | मोती की माला का ही उपयोग करना चाहिए |
धनिष्ठा नक्षत्र
ॐ वसो:पवित्रमसि शतधारंवसो: पवित्रमसि सहत्रधारम । देवस्त्वासविता पुनातुवसो: पवित्रेणशतधारेण सुप्वाकामधुक्ष: । ॐ वसुभ्यो नम: । जप संख्या – 21,000 | मूंगा की माला से जप करना चाहिए |
शतभिषा नक्षत्र
ॐ वरुणस्योत्त्मभनमसिवरुणस्यस्कुं मसर्जनी स्थो वरुणस्य ॠतसदन्य सि वरुण स्यॠतमदन ससि वरुणस्यॠतसदनमसि । ॐ वरुणाय नम: । जप संख्या – 36,000 | बांवी की मिट्टी की माला बनाकर जप करना चाहिए |
पूर्वभाद्रपद नक्षत्र
ॐ उतनाहिर्वुधन्य: श्रृणोत्वज एकपापृथिवी समुद्र: विश्वेदेवा ॠता वृधो हुवाना स्तुतामंत्रा कविशस्ता अवन्तु । ॐ अजैकपदे नम:। जप संख्या – 31,000 | हल्दी की माला पर जप करें |

उत्तरभाद्रपद नक्षत्र
ॐ शिवोनामासिस्वधितिस्तो पिता नमस्तेSस्तुमामाहि (गुं) सो निर्वत्तयाम्यायुषेSत्राद्याय प्रजननायर रायपोषाय ( सुप्रजास्वाय ) । ॐ अहिर्बुधाय नम: । जप संख्या – 41,000 | पीपल की जड़ मिट्टी की माला बनाकर जप करना चाहिए |  
रेवती नक्षत्र
ॐ पूषन तव व्रते वय नरिषेभ्य कदाचन । स्तोतारस्तेइहस्मसि । ॐ पूषणे नम: । जप संख्या – 27,000 | तुलसी की माला से जप करना चाहिए |

ग्रहों की रश्मियों का फल (27 nakshatra ke mantra)

जिस नक्षत्र में जातक का जन्म होता है उसी नक्षत्र का मन्त्र का जप करना चाहिए | किन्तु गण्डमूल में जन्म लेने वाले जातकों की शांति विधि विधान से करवानी चाहिए |

नक्षत्रों के मन्त्रों के जप के पश्चात् दशांश (10%) हवन करना चाहिए | जिस नक्षत्र के मन्त्र का जप किया हो उसी मन्त्र के अंत में स्वाहा बोलकर हवन करना चाहिए | यदि आप स्वयं जप करने में सक्षम न हों तो किसी ब्रम्हाण से जप करा सकते हैं |  

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