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bhavanusar surya mahadasha fal

bhavanusar surya mahadasha fal-भावानुसार सूर्य महादशा फल

भावानुसार सूर्य दशा फल

bhavanusar surya mahadasha fal – अलग-अलग भाव में स्थित सूर्य अपनी महादशा में क्या फल देता है इस बारे में जानते हैं | सूर्य यदि लग्न में हो अर्थात प्रथम भाव में हो तो उसकी दशा में जातक को नेत्र रोग, धन हानि, और राज्य से भय होता है | सूर्य यदि द्वितीय स्थान में हो तो उसकी दशा में संतानोत्पत्ति के उपरांत शोक और भय, कुटुंब से संताप तथा झगड़ा इत्यादि होता है | स्त्री और धन की हानि होती है, राज्य से भय, पुत्र, भूमि तथा वाहन आदि का नाश होने का भय रहता है | परंतु यदि सूर्य के साथ कोई शुभ ग्रह हो तो उपर्युक्त अनिष्ट फलों का अभाव होता है | सूर्य यदि तृतीय भाव में हो और उसकी महादशा हो तो राज्य से सम्मान प्राप्त होता है | द्रव्य की प्राप्ति होती है, आनंद की प्राप्ति और पराक्रम में उन्नति होती है |

चतुर्थ भाव में स्थित सूर्य की महादशा में स्त्री, संतान, मित्र, भूमि, भवन और वाहन आदि को तथा विषैले पदार्थ से, अग्नि, चोर एवं शस्त्र से जातक को भय होता है | पंचम भाव में स्थित सूर्य की महादशा में जातक का चित्त विक्षिप्त अथवा अव्यवस्थित तथा आनंद रहित होता है | इस अवधि में पिता की मृत्यु या पिता को मृत्यु तुल्य कष्ट, राज्य से अप्रतिष्ठा और धार्मिक कार्यों से विमुख होता है | छठे भाव में स्थित सूर्य की महादशा में धन की हानि और बहुत दुख होता है | तथा गुल्म रोग, नेत्र और जननेंद्रिय जनित रोग होते हैं | सप्तम भाव में स्थित सूर्य की दशा होने पर ऐसे जातकों की स्त्री को रोग अथवा मृत्यु तुल्य कष्ट होता है | दूध, घृत इत्यादि भोजन के ललित पदार्थों का अभाव और भोजन में अनेक असुविधाएं प्रतीत होते हैं |

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अष्टम भाव में स्थित सूर्य की महादशा में परदेस गमन, शारीरिक असुविधा, ज्वर, नेत्र रोग और संग्रहणी जैसे रोग का भय होता है | नवम भाव में स्थित सूर्य की महादशा में जातक का मन धार्मिक कार्यों में लगता है अर्थात पूजन पाठ में मन लगता है | जातक तीर्थाटन करता है, धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करता है तथा तंत्र मंत्र में रुचि बढ़ती है | दशम भाव में स्थित सूर्य की महादशा में राज्य से सम्मान, राज्य अधिकार और बड़े-बड़े अधिकारियों से प्रेम होता है | धन की प्राप्ति तथा कार्य में सफलता प्राप्त होती है | ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य की महादशा में धन की प्राप्ति, पद प्राप्ति, शारीरिक सुख, और उत्तम कार्यों में अभिरुचि होती है तथा स्त्री पुत्र आदि, भूषण वस्त्र आदि एवं वाहन आदि का सुख होता है | बारहवें भाव में स्थित सूर्य की महादशा में देशाटन (अनेक जगह भ्रमण करना), पुत्र, माता-पिता, भूमि आदि की क्षति तथा झगड़े इत्यादि से भय, वाहन आदि का विनाश एवं पैरों में रोग होता है |

राशि अनुसार सूर्य दशा फल (bhavanusar surya mahadasha fal)

राशियों के अनुसार सूर्य महादशा का फल – मेष राशि में स्थित सूर्य की दशा में धर्म-कर्म में प्रीति, पिता से संचित धन तथा भूमि का लाभ, और स्त्री पुत्र आदि  से अनेक सुख होते हैं | यदि उच्च का सूर्य अष्टम भाव में हो तो रोग और छटें भाव में हो तो व्रण रोग होता है तथा माता-पिता के लिए कष्टकारी होता है | वृषभ राशि में स्थित सूर्य की दशा में स्त्री तथा पुत्र को पीड़ा होती है | वाहनों से और कृषि से क्षति, बहुधा हृदय रोग से पीड़ित तथा मुख एवं नेत्र में भी पीड़ा होती है |

मिथुन राशि में स्थित सूर्य की दशा में जातक मंत्र विद्या तथा शास्त्र में अधिकार प्राप्त करता है | उत्तम काव्य में रुचि होती है पुराण आदि श्रवण में प्रेम बढ़ता है | कृषि से लाभ और नाना प्रकार के सुख होते हैं | कर्क राशि में स्थित सूर्य की दशा में कीर्ति की वृद्धि और राजा का प्रेम पात्र होता है | परंतु जातक स्त्री के अधीन रहता है, क्रोधाग्नि भड़कती रहती है, तथा उसे मित्रों से पीड़ा होती है | सिंह राशि में स्थित सूर्य की दशा में खेती और जंगल इत्यादि नाना प्रकार से धन की प्राप्ति तथा उसकी कीर्ति बढ़ती है एवं जातक राज दरबार में सम्मान प्राप्त करता है | कन्या राशि में स्थित सूर्य की महादशा में जातक को कन्या उत्पत्ति और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है | गुरुजन तथा देवताओं में जातक की प्रीति और वाहन आदि का लाभ होता है |

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तुला राशि में स्थित सूर्य की दशा होने से धन और स्थान की हानि, स्त्री पुत्र आदि को पीड़ा, चोर तथा अग्नि से भय, विदेश यात्रा एवं निम्न कर्म में जातक की प्रवृत्ति होती है | परंतु सूर्य तुला के 10 अंश से आगे बढ़ गया हो तो उसकी दशा में सुख, धन लाभ, दूसरों को ठगने में समर्थ, स्त्री के हेतु दुखी और निम्न लोगों से मित्रता होती है | वृश्चिक राशि में स्थित सूर्य की दशा में जातक का माता-पिता से मतभेद और खटपट तथा अग्नि एवं शस्त्र से पीड़ा होती है |

धनु राशि में स्थित सूर्य की दशा में जातक को संगीत विद्या से प्रेम होता है, स्त्री पुत्र और धन आदि से सुखी तथा राजा एवं गुरुजनों से गौरव प्राप्त होता है | मकर राशि में स्थित सूर्य की दशा में स्त्री पुत्र और धन का अल्प सुख, रोग से शरीर पीड़ित तथा पराधीनता के कारण चिंता में निमग्न रहता है | कुंभ राशि में स्थित सूर्य की दशा में जातक स्त्री पुत्र तथा धन के लिए चिंतित और दीन मलीन रहता है | उसके शत्रुओं की वृद्धि तथा वह है हृदय रोग से पीड़ित रहता है | मीन राशि में स्थित सूर्य की दशा में स्त्री धन तथा सुख की वृद्धि होती है और जातक प्रतिष्ठा प्राप्त करता है | परंतु व्यर्थ भ्रमण होता है और उसके पुत्रादिकों को ज्वर की पीड़ा होती है |

bhavanusar surya mahadasha fal

विशेष – सूर्य की दशा के आदि में माता-पिता को रोग, दुःख, मानसिक व्यथा और अधिक व्यय होता है | दशा के मध्य में वाहनों की हानि और मनुष्य को पीड़ा तथा दशा के अंत में विद्या जनित उन्नति और सुख होता है |

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