कुंडली में अरिष्ट भंग योग
(arishta bhanga yoga) – मित्रों पिछले लेख में अर्थात बालारिष्ट योग मैं जाना की ऐसे कौन से योग कुंडली में होते हैं जिससे अल्पायु अर्थात कम आयु में मृत्यु हो जाती है | इस लेख में जानेंगे अरिष्ट भंग योग कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनमें अरिष्ट भंग होता है अर्थात अरिष्ट योग होते हुए भी जातक का अर्थ नहीं होता इस लेख में जानेंगे और अरिष्ट भंग लोगों के बारे में तो चलते हैं विषय की ओर
यहां पर ज्योतिष शास्त्र का एक और मत है कि 4 वर्ष की अवस्था तक लक की मृत्यु माता के पाप के कारण होती है | 4 वर्ष से 8 वर्ष तक पितृ पाप से बालक की मृत्यु या बालक का अरिष्ट होता है | और 8 से 12 वर्ष पर्यंत अपने पूर्वार्जित पाप के कारण बालक की मृत्यु होती है |
निम्नलिखित अरिष्ट भंग योग-
यदि पूर्ण चंद्रमा (पूर्णमासी के लगभग) हो अथवा स्वगृही हो या स्वनवांश का हो और यदि उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि पूर्ण चंद्रमा उच्च व स्वगृही हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तथा पाप या शत्रु ग्रह की दृष्टि व योग ना हो तो भी अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि गुरु, शुक्र अथवा बुध वली होकर केंद्र में स्थित हो और चंद्रमा पाप ग्रहों की दृष्टि व योग से रहित हो तो भी अरिष्ट भंग योग होता है |
बलवान गुरु उच्च होकर यदि केंद्र में हो तो अरिष्ट भंग योग बनता है |
यदि लग्नेश बली होकर केंद्र अथवा त्रिकोण में हो तो भी अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि जन्म समय कई ग्रह उच्च हो और शेष ग्रह स्वगृही हो तो भी अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि राहु तृतीय अर्थात तीसरे भाव में, छठे भाव में अथवा एकादश स्थान में बैठा हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि पढ़ती हो तो अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि मेष अथवा कर्क राशिगत राहु लग्न में बैठा हो तो भी अरिष्ट भंग योग होता है |
arishta bhanga yoga
यदि चंद्रमा शुभ ग्रहों के वर्ग में हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो और चंद्रमा में पूर्ण तेज हो अथवा वह पूर्णमासी के लगभग का हो तो अरिष्टभंग योग बनता है |
यदि चंद्र राशि का स्वामी लग्नगत हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि चंद्रमा उच्च का हो और उस पर शुक्र की दृष्टि हो तो अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि लग्नेश पूर्ण बली होकर केंद्र में बैठा हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो और पाप ग्रह की दृष्टि ना हो तो अरिष्ट भंग योग होता है |
कैसे बनता है कुण्डली में अल्पायु योग
यदि तुला राशि का सूर्य द्वादश स्थान में हो तो अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि बृहस्पति मंगल के साथ हो अथवा मंगल पर उसकी दृष्टि हो तो भी अरिष्ट भंग योग होता है |
चतुर्थ और दशम स्थान में स्थिति यदि पाप ग्रह अशुभ ग्रहों से घिरा हो तथा केंद्र और त्रिकोण में शुभ ग्रह हो तो भी अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि लग्न से चतुर्थ स्थान में पाप ग्रह बैठा हो और गुरु केंद्र अथवा त्रिकोण में हो तो अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि छठे अथवा अष्टमगत चंद्रमा गुरु, बुध अथवा शुक्र के द्रेष्काण में हो तो भी अरिष्ट भंग योग होता है |
पूर्णचंद्र के दोनों ओर शुभ ग्रह रहने से भी अरिष्ट भंग योग होता है |
यदि समस्त ग्रह शीर्षोदय राशि में हो तो भी अरिष्ट भंग योग होता है |
पूर्ण चंद्रमा पर केंद्र स्थित बृहस्पति की पूर्ण दृष्टि हो |
यदि लग्नेश केंद्र गत हो और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तथा पाप ग्रह की दृष्टि ना हो |
यदि पूर्णचंद्र पर सभी ग्रहों की दृष्टि हो तो इनमें से किसी एक योग के रहने से अरिष्ट भंग होता है |
जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?
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