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chandra mahadasha ka fal

Chandra Mahadasha ka fal – भावानुसार चन्द्र महादशा का फल

अलग-अलग भाव ने स्थित चन्द्र महादशा का फल

Chandra Mahadasha ka fal – पहले, दुसरे, तीसरे भाव में स्थित चंद्रमा की दशा का फल – पथम भाव में स्थित चन्द्रमा की महादशा में मन में चंचलता आती है | यदि चन्द्रमा पूर्ण हो अथवा बलि हो तो जातक निरोग एवं अनेक प्रकार के सुखों को भोगता है | चन्द्रमा निर्बल हो अथवा अस्त हो तो बात रोग, शिरोव्यथा, स्वास से सम्बंधित परेशानी और गुप्त रोग से पीड़ित रहता है | द्वितीय भाव में स्थित चंद्रमा के रहने से उसकी दशा में जातक को स्त्री पुत्र और धन से सुख तथा धन का आगमन होता है | उत्तम भोजन आदि मिलते हैं, रति सुख की प्राप्ति होती है और तीर्थ के पवित्र जलों के स्नान का सौभाग्य प्राप्त होता है |

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तृतीय स्थान में स्थित चंद्रमा की महादशा में जातक नाना प्रकार से वित्त का उपार्जन करने वाला, अत्यंत सुखी मन से दृढ़ संकल्प वाला, भाइयों से सुख प्राप्ति करने वाला, कृषि में उन्नति करने वाला, अच्छा भोजन करने वाला और वस्त्राभूषण आदि की प्राप्ति करने वाला होता है |

चौथे, पांचवे, छटें भाव में स्थित चन्द्र महादशा का फल

चतुर्थ स्थान में स्थित चंद्रमा की महादशा में माता की मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट, भूमि और वाहन आदि से सुख, कृषि तथा नवीन ग्रह का लाभ एवं अपने नाम से कुछ पुस्तक आदि प्रकाशित करने का सौभाग्य प्राप्त होता है | पंचम भाव में स्थित चन्द्रमा की महादशा में जातक प्रसन्न चित्त, चंचल, आडम्बर युक्त देवताओं की पूजन में रूचि, वाहनादि का सुख और पुराणी वतुओं का संग्रह करता है | छठे भाव में स्थित चंद्रमा की महादशा में जातक को दुख, कलह तथा वियोग, चोर, अग्नि, जेल और राजा से भय, मूत्रक्रश रोग से पीड़ा तथा धन का नाश होता है |

सातवें, आठवे, नौवे भाव में स्थित चन्द्र महादशा का फल (Chandra Mahadasha ka fal)

सप्तम भाव में स्थित चंद्रमा की महादशा में स्त्री और पुत्रों से सुख तथा नए वस्त्रों की प्राप्ति, सैया सुख की प्राप्ति होती है | परन्तु जातक प्रमेह और मूत्र-कृच्छ आदि रोगों से पीड़ित रहता है | अष्टम स्थान में स्थित चंद्रमा की दशा में जातक शरीर से दुबला होता है | उसे जल से भय रहता है और सभी से विरोध होता है | वह विदेश यात्रा करता है, उसे भोजन की असुविधा और उसकी माता अथवा मातृ पक्ष के स्वजनों की मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट होता है | नवम स्थान में स्थित चन्द्रमा की महादशा में श्रेष्ठ क्रिया करने वाला, पुराणादि श्रवण करने वाला, तीर्थाटन करने वाला, सत्कर्मशील, ब्राम्हण-पुरोहितों द्वारा सम्मान प्राप्त करता है | यदि चन्द्रमा अशुभ ग्रहों से युक्त हो तो यह दशा माता पिता के लिए अशुभ, और जातक को पद से च्युत होना पड़ता है |   

दशवे, ग्यारहवें, बारहवें भाव में स्थित चन्द्र महादशा का फल

दशम स्थान में स्थित चंद्रमा की दशा में जातक की कीर्ति, विद्योन्नती, यज्ञ आदि कर्म में अभि९रुचि होती है | पृथ्वी, वस्त्र और वाहन आदि से सुख प्राप्त होता है | ग्यारहवें भाव में स्थित चंद्रमा की दशा में जातक को अनेक प्रकार के अर्थ, उत्तम भोजन और वस्त्र आदि की प्राप्ति होती है  | उसे कन्या होती है और वह चित्त से अह्लादित रहता है | बारहवें भाव में स्थित चंद्रमा की दशा में झगड़े के कारण अंत में उपार्जित धन का नाश होता है | अपने स्थान से हटना पड़ता है, असहनीय दुख सहन करना पड़ता है |

भिन्न भिन्न राशियों में स्थित चंद्र दशा का फल –

मेष, वृषभ, मिथुन राशि में स्थित चन्द्र महादशा का फल (Chandra Mahadasha ka fal)

मेष राशि में यदि चंद्रमा बैठा हो तो उसकी महादशा में स्त्री, पुत्र आदि से सुख पाने वाला, विदेश के कार्य में प्रेम करने वाला, किन्तु स्वभाव में कठोरता, खर्चीला, सिरो रोग से पीड़ा, भ्राता और शत्रु से झगड़ने वाला होता है | वृषभ राशि में स्थित चंद्रमा की दशा में अस्वस्थता, कुल की अवस्था के अनुसार राज्य की प्राप्ति होती है | अर्थात यदि जातक राजा की संतान हो तो अवश्य राजा और यदि साधारण कुल का पुत्र हो तो विशेष सुख होता है | जातक को स्त्री, पुत्र तथा चोपाया वाहन की प्राप्ति होती है, तथा विजय मिलती है |

यदि चंद्रमा मूल त्रिकोण में हो (वृष राशि में चंद्रमा 4 अंश से 30 अंश तक मूल त्रिकोण में होता है) तो उसकी दशा में जातक विदेश यात्रा करता है | वह खेती और धन का लाभ तथा बात कफ जनित रोग से पीड़ित होता है, एवं उसे स्वजनों से विरोध होता है | मिथुन राशि में स्थित चंद्रमा की दशा में जातक ब्राह्मण और देवताओं का पूजक, धन का भोग करने वाला, देशांतर भ्रमणशील, मान-सम्मान प्राप्त करने वाला तथा वैभवशाली होता है |

कर्क, सिंह, कन्या राशि में स्थित चन्द्र महादशा का फल

कर्क राशि में स्थित चंद्रमा की दशा में धन और खेती की वृद्धि होती है | जातक कथाओं की रचना करने वाला, वन और पर्वत में रहने में रहने का इच्छुक तथा गुप्त रोग से पीड़ित होता है | सिंह राशि में स्थित चंद्रमा की दशा में धन और उत्तम प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है, परंतु शरीर में विकलता रहती है तथा जातक कामदेव से हीन (पौरुष शक्ति का क्षीण होना) होता है | कन्या राशि में स्थित चंद्रमा होने से उसकी दशा में जातक विदेश यात्रा, स्त्री की प्राप्ति, शिल्प में बुद्धि की प्रवृत्ति और अल्प धन की प्राप्ति होती है |

तुला, वृश्चिक, धनु राशि में स्थित चन्द्र महादशा का फल (Chandra Mahadasha ka fal)

तुला राशि में स्थित चंद्रमा की महादशा मैं मन चंचल, स्त्री जनों से विवाद, किसी मनुष्य से विवाद, धन की कमी, उत्साह भंग, और निम्न जनों की संगति होती है | वृश्चिक राशि में स्थित चंद्रमा होने से उसकी दशा में शरीर से रुग्ण, प्रतिष्ठा में अल्पता, मानसिक चिंता की अधिकता और स्वजनों से वियोग होता है | यदि ऐसा चंद्रमा अष्टम भाव में हो तो जातक रोगाक्रांत होता है | यदि वैसे चंद्रमा के साथ पाप ग्रह हो तो मृत्यु का भय अथवा जाति से च्युत होता है | धनु राशि में स्थित चंद्रमा की दशा में क्रय-विक्रय से लाभ, धार्मिक कार्य की अवनति, मित्रों से अल्प सुख, पूर्वार्जित धन का विनाश और अन्यत्र स्थान में सुख सौभाग्य की उन्नति अवश्य होती है |

मकर, कुम्भ, मीन राशि में स्थित चन्द्र महादशा का फल

मकर राशि में स्थित चंद्रमा की दशा में पुत्र आदि का सुख और धन की वृद्धि होती है | परंतु वादी से शरीर में दुर्बलता रहती है तथा इधर-उधर सर्वदा आना जाना पड़ता है | कुंभ राशि में स्थित चंद्रमा होने से जातक के वक्ष स्थल में पीड़ा होती है, अनेक प्रकार से दुखी, शरीर से दुबला, घृणा और दूर देश की यात्रा करने वाला होता है | यदि ऐसा चंद्रमा वर्गोत्तम में हो तो अपने से बड़े लोगों के साथ विरोध, स्त्री, पुत्र, धन और मित्रादिको से उद्योग तथा दांत एवं मुख्य में पीड़ा होती है |

मीन राशि में स्थित चंद्रमा की दशा में जातक को जल से उत्पन्न धन का लाभ, स्त्री, पुत्रादि से सुख, शत्रु का विनाश और बुद्धि की वृद्धि होती है | यदि वर्गोत्तम में का चंद्रमा हो तो चोपया वाहन का लाभ, पुत्रों से सुख, शत्रु का विनाश, यशस्वी तथा बुद्धिमान होता है |

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