+91-7470 934 089

Education and astrology-कुंडली में शिक्षा योग

क्या आपकी कुंडली में उच्च शिक्षा योग है

Education and astrology – मित्रों इस लेख में जानेंगे जातक की विद्या, कला-कौशल इत्यादि के बारे में यह सर्वविदित है कि विद्या का विचार चतुर्थ भाव से किया जाता है और पंचम भाव से बुद्धि का विचार किया जाता है | दशम भाव से विद्या जनित यश का विचार किया जाता है | जिस प्रकार आप परीक्षा में उत्तरीण होंगे अथवा नहीं होंगे इस पर विचार दशम स्थान से और बुद्धिमत्ता इत्यादि का विचार पंचम स्थान से होता है | वैसे मित्रों विद्या कई प्रकार की होती है जैसे साहित्य (Literature), व्याकरण (Grammer), गणित (mathematics), कानून (Law), ज्योतिष (Astrology), अध्यात्म विद्या (spiritual science), वेदांत (Philosophy) काव्य (Poetry) इत्यादि इत्यादि |

किस ग्रह से किस विद्या के बारे में विचार किया जाता है एक नजर इस पर डालते हैं | तो गुरु से वेद वेदांत व्याकरण और ज्योतिष विद्या का विचार होता है | बुध से वैद्धक, शुक्र से गानविद्या, प्रभावशाली व्याख्यान, शक्ति एवं साहित्य और मंगल से न्याय एवं गणित विद्या का विचार किया जाता है | गणित का विचार बुध से भी किया जाता है | इसी प्रकार सूर्य से वेदांत, चंद्रमा से वैद्यक एवं राहु और शनि से अन्यदेशीय विद्याओं का विचार किया जाता है |

ग्रह स्थिति अनुसार विचार

कुंडली में बुध तथा शुक्र की स्थिति से विद्वता तथा पांडित्य और उहापोह तथा कल्पना शक्ति का विचार किया जाता है | और बृहस्पति से विद्या-विकास का विचार होता है | पुनः द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव और नवम भाव से भी इन्हीं सब बातों का अनुमान किया जाता है | क्योंकि द्वितीय भाव से विद्या में निपुणता प्रवीणता इत्यादि का विचार होता है | बुध ग्रह से विद्या, ज्ञान और विद्या ग्रहण की शक्ति तथा नवम स्थान और चंद्रमा से काव्य कुशलता और धार्मिक विचार तथा अध्यात्म विद्या आदि का विचार किया जाता है | शनि नवम और द्वादश भाव से ज्ञान का विचार होता है | शनी से अंग्रेजी तथा विदेशी भाषाओं का भी विचार किया जाता है |

Education and astrology के अनुसार एक बात का स्मरण रहे की बृहस्पति से (भी) द्वितीय स्थान, तृतीय स्थान, चतुर्थ स्थान, नवम स्थान को यदि बुध से संबंध हो तो विद्या की उत्कृष्टता होती है | चंद्र लग्न से और जन्म लग्न से पंचम स्थान का स्वामी बुध, गुरु, शुक्र के साथ यदि केंद्र, त्रिकोण, एकादश में बैठे हो तो मनुष्य बड़ा विद्वान होता है |

देखिए इस कुंडली को जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है की द्वितीय भाव से विद्या की निपुणता इत्यादि का विचार किया जाता है | इस कुंडली में द्वितीय सूर्य उच्च का होकर केंद्र अर्थात दशम स्थान में बैठा है | पुनः लिखा है कि चतुर्थ और नवम भाव से भी विद्या का विचार होता है | तो चतुर्थ भाव का स्वामी शुक्र जो पांडित्य, कल्पना शक्ति तथा ऊहापोह का दाता है वह भी दशम स्थान में है और के सूर्य के साथ स्थित है |

Education and astrology

पुनः नवमेश को देखें जिससे विद्या, विशेषता अध्यात्म विद्या का विचार होता है वह उच्च का है और केंद्र में स्थित है एवं नवम और पंचम भाव पर पूर्ण दृष्टि डालता है | बुध की बात करें तो बुद्धि का दाता है और बुध भी शुक्र और सूर्य के साथ दशम स्थान में है | और बृहस्पति के लग्न में रहने से पुनः वही सब योग लागू होता है |

इसी प्रकार चंद्र लग्न से देखे तो पंचमेश बुध केंद्र में शुक्र के साथ है | बृहस्पति भी उच्च का लग्न में है और लग्न से पंचमेश मंगल चंद्रमा से केंद्र में है | अतः इन्हीं सब कारणों से अनुमान लगाया जा सकता है कि यह जातक अद्वितीय विद्वान, एवं यशस्वी रहा होगा |

सर्वार्थ चिंतामणि के अनुसार यदि विद्या कारक बृहस्पति और बुद्धि कारक बुध दोनों एकत्रित हो या अन्योन दृष्टि संबंध हो तो ऐसे जातक राजदरवार एवं जनता के बीच में बहुत सम्मान पाते हैं | साधारण बुद्धि से भी यही प्रतीत होता है कि विद्या और बुद्धि की उत्कृष्टता जातक को अवश्य माननीय बनाता है | यदि ये दो ग्रह नवान्शादि मैं भी अच्छे हो तो उसी के तारतम्य अनुसार फल होता है | परंतु केवल योग मात्र से ही विचार करें तो जातक की बुद्धि में तीक्ष्णता अवश्य होती है |

इन उपर्युक्त नियमों के अनुसार यदि चतुर्थ स्थान का स्वामी लग्न में हो और लग्न का स्वामी चतुर्थ भाव में हो अथवा बुध लग्न में हो और चतुर्थ स्थान बली हो और उस पर पाप ग्रह की दृष्टि ना हो तो जातक विद्यावान एवं यशस्वी होता है | यदि चतुर्थ भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में और लग्नेश लग्न में हो तो भी जातक विद्यावान और यशस्वी होता है |

ज्योतिष रिपोर्ट Education and astrology

यदि चतुर्थ स्थान में चतुर्थेश हो अर्थात चतुर्थ स्थान का स्वामी चतुर्थ स्थान में ही हो अथवा शुभ ग्रह की उस पर दृष्टि हो या वहां शुभ ग्रह बैठा हो तो जातक विद्या-विनयी होता है | यदि बुध ग्रह बलिष्ट हो तो भी वैसा ही फल होता है |

यदि चतुर्थेश छटवें, आठवें, बारहवें स्थान में हो अथवा पाप ग्रह के साथ हो या पाप ग्रह से दृष्ट हो अथवा चतुर्थेश अर्थात चतुर्थ स्थान का स्वामी पाप राशि गत हो तो जातक विद्या विहीन होता है | या उसके विद्या अध्ययन में बाधा आती है | चतुर्थ भाव का स्वामी गुरु अथवा बुध के तृतीय व छठे आठवें बारहवें में पढ़ने से वा शत्रुगृहगत (शत्रु के घर में) होने से विद्या के लिए अनिष्ट माना जाता है |

बुध स्वगृही अथवा उच्च का होकर लग्न से केंद्र अथवा त्रिकोण में रहे तो विद्या, वाहन और संपत्ति आदि की प्राप्ति होती है |

नवम भाव में स्थित गुरु पर बुध और शुक्र की दृष्टि हो तो भी जातक पूर्ण विद्वान होता है | यदि बुध, गुरु और शुक्र नवम स्थान में हो तो ऐसे जातक प्रसिद्ध विद्वान होते हैं | यदि बुध और गुरु के साथ शनि नवम स्थान में हो तो जातक विद्वान और वाग्मी अर्थात अधिक बोलने वाले होते हैं |

बुद्धि विचार(Education and astrology)

सर्वप्रथम विद्या और बुद्धि इन दोनों को अलग-अलग बताया था | अभी विद्या के बारे में ऊपर विचार कर रहे थे | यहां पर बुद्धि के ऊपर विचार करते हैं | यदि पंचम स्थान का स्वामी बुध हो और वह किसी शुभ ग्रह के साथ हो अथवा उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो जातक बुद्धिमान होता है |  

यदि पंचमेश शुभ ग्रहों से घिरा हो तो भी जातक होशियार होता है |  

यदि बुध उच्च का हो तो भी उपरोक्त फल होता है |

यदि बुध पंचमस्त हो अर्थात पंचम स्थान में स्थित हो और पंचम भाव का स्वामी जिस नवांश में हो और उसका स्वामी केंद्र में स्थित हो और शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो इन उपर्युक्त योगों में से किसी के रहने से जातक समझदार होशियार और बुद्धिमान होता है |

पंचम भाव का स्वामी जिस स्थान में हो उस स्थान के स्वामी पर यदि शुभ ग्रह की दृष्टि हो अथवा उसके दोनों तरफ शुभ ग्रह बैठे हो तो ऐसे जातकों की बुद्धि बड़ी तीव्र और सूक्ष्म होती है |

यदि पंचम स्थान दो शुभ ग्रहों के बीच में हो और बृहस्पति पंचम भाव में स्थित हो तथा बुध दोषरहित हो तो ऐसे जातक तीक्ष्ण बुद्धि वाले होते हैं | यदि लग्न का स्वामी नीच हो अथवा पाप युक्त हो तो उसकी बुद्धि अच्छी नहीं होती |

जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?

जानें कैसे कराएँ ऑनलाइन पूजा ?

श्री मद्भागवत महापूर्ण मूल पाठ

Pandit Rajkumar Dubey

Pandit Rajkumar Dubey

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

0
    0
    Your Cart
    Your cart is emptyReturn to Shop
    Scroll to Top