“लक्ष्मी योग: कुंडली में धन और समृद्धि का रहस्य”
Laxmi yoga in kundali – हमारे महर्षियों ने बारह राशियों और नव ग्रहों की जन्म कालीन स्थति के अनुसार राशियों और नवग्रहों की जो अलग-अलग आकृतियाँ बन जातीं हैं | उन आकृतियों का अलग – अलग नाम रखा है | ग्रहों का राशियों में स्थिति के अनुसार योगों का नाम दिया है | उसी में एक नाम Laxmi yoga का आता है | इसी योग का जो फल जातक को प्राप्त होता है इस लेख में वह बतलाया है |
नवम भाव का स्वामी अपनी उच्च राशि का, अपनी मूल त्रकोंण राशि का अथवा अपने क्षेत्र का होकर लग्न से केंद्र में स्थित हो और लग्नाधिपति बलवान हो तो लक्ष्मी योग होता है |
इस योग में उत्पन्न मनुष्य बहुत गुणी बहुत देश से धन प्राप्ति, विद्या, कीर्ति तथा सुंदरता से युक्त यशस्वी और राज्य सरकार से पुरस्कार प्राप्त करने वाला होता है |
भाग्याधिपति का उक्त प्रकार से बलवान होना भाग्य की वृद्धि करेगा ही | ऐसे प्रबल भाग्याधिपति का केंद्र में स्थित होना भाग्य का संबंध लग्न से स्थपित कर देता है | उदहारण के लिए नवम भाव का स्वामी शनि प्रमुख दशम केंद्र में स्वक्षेत्र में स्थित है | और लग्नाधिपति शुक्र एक शुभ स्थान द्वितीय भाव में मित्र राशि का स्थित है | अतः बलवान है इस प्रकार यह भी एक लक्ष्मी योग बना |
यदि नवम भाव का स्वामी तथा शुक्र अपनी उच्च या स्वराशि में स्थित होकर केंद्र अथवा त्रिकोण में स्थित हो तो भी लक्ष्मी योग होता है
इस योग से मनुष्य धार्मिक सुशील स्त्री वाला रोगरहित, धनवान, तेजस्वी, अपने जनों की रक्षा करने वाला, सुखोपभोग आदि सामग्री से युक्त दानी और राजा जैसा जीवन जीने वाला होता है |
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जैसे नवमाधिपति का स्वरासी स्थिति तथा केंद्र आदि स्थिति द्वारा बलवान होना और पुनः शुभ युक्त होना भाग्य की अत्यधिक वृद्धि करेगा ऐसा युक्त सम्मत है | भाग्य के साथ शुक्र का संबंध होने से सुंदर स्त्री का योग और स्वयं भाग्य के सुंदर होने से नवम भाव संबंधी अर्थात राज्य अथवा राज्यकृपाकी उपलब्धि कराता है | पुनः यह बात भी है कि दो बहुत बाली तथा शुभ ग्रह लग्न से केंद्र में होकर लग्न को भी बलवान कर देंगे जिससे धन, राज्य आदि की प्राप्ति निश्चित हो जाएगी |
अर्थात भाग्येश तथा शुक्र यदि केंद्र अथवा त्रकोंण में अपनी राशि अथवा अपनी उच्च राशि स्थति हों तो लक्ष्मी नामक योग बनता है |
अर्थात रोग रहित, धनी, तेजस्वी, निज जनों की रक्षा करने वाला, घर में महान धन की प्राप्ति, वाहन आदि से युक्त, लोगों को आनंदकारी तथा राजा जैसा दान करने वाला एसा मनुष्य इस योग में उत्पन्न होता है |
उदाहरण के लिए नमाधिपति बुध तथा शुक्र लग्न में एकत्रित हों और शुक्र स्वक्षेत्री हो लग्नाधिपति शुक्र गुरु से दृष्ट होने से बलवान हुआ अतः लक्ष्मी योग बना |
Laxmi yoga in kundali – लक्ष्मी योग निर्माण के कुछ नियम :-
लक्ष्मी योग कुंडली में तब बनता है जब निम्नलिखित परिस्थितियाँ पूरी होती हैं:
- ग्रह स्थिति:
- कुंडली में बृहस्पति (गुरु) का बलवान और शुभ स्थिति में होना अत्यंत आवश्यक है।
- गुरु किसी केंद्र (1, 4, 7, 10) या त्रिकोण (5, 9) भाव में स्थित हों।
- लग्न के स्वामी और गुरु के बीच शुभ संबंध होना चाहिए।
- राशि और भाव:
- गुरु अपनी उच्च राशि (कर्क) में हो, अपनी मूलत्रिकोण राशि (धनु) में हो, या अपनी स्वयं की राशि (मीन) में हो।
- धन स्थान (द्वितीय भाव) और लाभ स्थान (ग्यारहवाँ भाव) भी बलवान हों।
- अन्य ग्रहों का सहयोग:
- कुंडली में चंद्रमा और शुक्र की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। यदि ये ग्रह शुभ भावों में स्थित हैं और पाप ग्रहों से मुक्त हैं, तो लक्ष्मी योग और भी प्रभावशाली बनता है।
Laxmi yoga in kundali – लक्ष्मी योग के लाभ और प्रभाव
लक्ष्मी योग का जातक पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसके मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं:
- आर्थिक समृद्धि:
- इस योग के प्रभाव से जातक को आर्थिक दृष्टि से स्थायित्व और प्रचुर धन प्राप्त होता है।
- व्यापार, नौकरी या किसी भी पेशे में अत्यधिक सफलता मिलती है।
- मान-सम्मान:
- लक्ष्मी योग से जातक को समाज में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और उच्च पद प्राप्त होता है।
- जातक का व्यक्तित्व आकर्षक और प्रेरणादायक होता है।
- सुख-समृद्धि:
- घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- जातक को विलासिता की वस्तुएँ और ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं।
- धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति:
- लक्ष्मी योग से जातक का रुझान धर्म और आध्यात्म की ओर बढ़ता है।
- ऐसे व्यक्ति दान-पुण्य में विश्वास करते हैं और धार्मिक कार्यों में रुचि रखते हैं।
निष्कर्ष – Laxmi yoga in kundali
लक्ष्मी योग एक ऐसा दिव्य योग है, जो जातक के जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य का संचार करता है। हालांकि, कुंडली के संपूर्ण विश्लेषण के बिना इस योग के पूर्ण फल का अनुमान लगाना कठिन है। यदि आपकी कुंडली में लक्ष्मी योग नहीं है, तो भी उचित उपायों द्वारा आप जीवन में समृद्धि और सुख प्राप्त कर सकते हैं।
यदि आप अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहते हैं या लक्ष्मी योग से जुड़ी किसी अन्य जानकारी की आवश्यकता है, तो अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श अवश्य करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. लक्ष्मी योग क्या है?
लक्ष्मी योग एक ऐसा शुभ योग है, जो कुंडली में धन, सुख-समृद्धि, मान-सम्मान और ऐश्वर्य की प्राप्ति कराता है। यह योग नवम और लग्न भाव के संबंध से बनता है।
2. क्या मेरी कुंडली में लक्ष्मी योग है?
लक्ष्मी योग का पता लगाने के लिए कुंडली का गहन विश्लेषण आवश्यक है। इसके लिए किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लें।
3. लक्ष्मी योग में कौन-कौन से ग्रह महत्वपूर्ण हैं?
इस योग में नवम भाव के स्वामी, लग्नाधिपति, गुरु, शुक्र और चंद्रमा की स्थिति विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है।
4. क्या लक्ष्मी योग के बिना भी धन और समृद्धि प्राप्त हो सकती है?
जी हां, उचित उपायों और प्रयासों के माध्यम से जीवन में समृद्धि और सुख प्राप्त किया जा सकता है, भले ही कुंडली में लक्ष्मी योग न हो।
5. लक्ष्मी योग को मजबूत करने के उपाय क्या हैं?
ज्योतिषी से परामर्श के बाद जो ग्रह लक्ष्मी योग में बाधक बन रहे हैं उन ग्रहों से सम्बन्धित उपाय करना चाहिए |
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