महापद्म काल सर्प योग का निर्माण
mahapadma kaal sarp yog – इस महापद्म काल सर्पयोग नामक योग का निर्माण छटवें भाव से बारहवे भाव तक ग्रहों की स्थिति के कारण होता है | जब छटवें भाव में राहू और बारहवें भाव में केतु स्थिति होता है और इनके मध्य सभी ग्रह आ जाते हैं तब माहापद्म काल सर्प योग का निर्माण होता है | जैसा कि “काल सर्प दोष” में बता चुके हैं कि केवल राहू और केतु के मध्य ग्रहों की स्थिति को देखकर फलित नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस बात का सदा स्मरण रखना चाहिए कि राहू जिस भाव में स्थित होता है उस भाव् के फल में सदा ही न्यूनता लाता है | यहाँ पर राहू छटवें भाव में स्थित है |
Anant Kaal Sarp Yog-अनंत कालसर्प योग
छटवें भाव से रोग का विचार किया जाता है | जब भी बीमारी से जुड़े कोई भी सवाल आते हैं तो हम छटवें भाव को देखते हैं | बीमारी कब होगी, किस प्रकार की बीमारी होगी आदि इस बारे में हम छटवें भाव को देखते हैं | छटवें भाव से नौकर देखे जाते हैं | जातक की काम करने की क्षमता का विचार भी छटवें भाव से ही किया जाता है | छटवे भाव से शत्रु देखे जाते हैं और कर्ज का विचार भी छटवें भाव से ही किया जाता है | माताजी के भ्राता अर्थात मामा का विचार भी इसी भाव से किया जाता है | शरीर विभाग में छटवें भाव का अधिपत्य पेट पर होता है इसी लिए पेट से सम्बंधित बीमारी विशेषकर इसी भाव से देखते हैं |
mahapadma kaal sarp yog से मिलाने वाले फल
जिस जातक की कुंडली में महापद्म काल सर्प योग होता है उनकी ये विशेषता होती है कि ऐसे जातकों को लम्बे समय तक चलने वाली बीमारी नहीं होती | अर्थात ऐसे जातको में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, इन्हें बीमारी तो होती है परन्तु ज्यादा दिन तक रहती नहीं है | दूसरी विशेषता यह है कि इनके या तो शत्रु होते नहीं हैं और यदि होते हैं चाहे वो गुप्त शत्रु हों या प्रत्यक्ष परन्तु इनको नुकसान नहीं पहुंचा पाते | यदि इनके शत्रु इनका बुरा करने की सोचते हैं तो इनके बिना नुकसान पहुंचाए उनको हानि होने लगती है | इनका जीवन संघर्ष पूर्ण अवश्य होता है परन्तु इन्हें कभी कर्ज नहीं लेना पड़ता | और यदि कभी किसी कारण से कर्ज लिए तो शीघ्र ही चुक जाता है |
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महापद्म कल सर्प योग के जातकों की यात्राएं बहुत होतीं हैं परन्तु जातक जिस कार्य के लिये यात्रा करता है उसमे सफलता महीन मिलती | घर से बाहर रहने के कारण इनके पारिवारिक जीवन एवं आर्थिक दोनों में संकट बना रहता है | ऐसे जातको को पूर्ण सैइया सुख प्राप्त नहीं होता | व्यय अधिक होता है | इस प्रकार के जातक के स्वयं का चरित्र संदेहास्पद रहता है | आत्म बल कमजोर रहता है और किसी कार्य में स्थिरता नहीं मिलती | यदि कुंडली में कोई ग्रह स्वग्रही है या किसी प्रकार से बलवान है तो फल में न्युनाधिकता हो सकती है | इसलिए कुंडली का बारीकी से विवेचन करने के बाद ही फलित कहना चाहिए |
क्या न करें (mahapadma kaal sarp yog)
महापद्म काल सर्प योग के जातकों को कभी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए | यदि लग्नेश कामजोर हो तो भोजन शुद्ध एवं सुपाच्य लेना चाहिए तथा पेट का ख़ास ध्यान रखना चाहिए | यदि षष्ठेश निर्बल हो तो शत्रुओं से सावधान रहना आवश्यक है और भूलकर भी कर्ज न लें | किसी भी व्यक्ति के साथ सांझेदारी का कार्य न करें | मामा पक्ष से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें | यदि द्वादशेश निर्बल हो तो व्यक्ति को कोट कचहरी के मामलों में नहीं पड़ना चाहिए बारहवें भाव के स्वामी के कमजोर होने से और कुंडली में काल सर्प दोष होने से जातक की जेल यात्रा होती है |
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यह मकर लग्न की कुंडली है जिसमे महापद्म काल सर्प योग बन रहा है | मकर और कुम्भ लग्न की कुंडली में यदि काल सर्प योग बनता हो तो ऐसे जातक को अक्सर विदेश में रहने का अवसर मिलता है | अवसर मिलने पर देश से अधिक परदेश में कामयाब होते हैं | किन्तु पत्नी और बच्चों से दूर रहना पड़ता है जिसके कारण मन अशांत रहता है | पैतृक संपत्ति का लाभ भी ऐसे जातको को प्राप्त नहीं होता | परदेश में सम्पति तो एकत्र कर लेते हैं परन्तु न तो स्वयं संतुष्ट रहते हैं और न ही परिवार को संतुष्ट कर पाते हैं | ऐसे जातकों को खदान, पेट्रोलियम, एसिड, कोयला, दवाइयां या केमिकल लाइन में नौकरी अथवा व्यापर करना चाहिए | किन्तु दुर्व्यसन में पड़ गए तो ऐसा झटका लगता है कि तमाम कमाई पूरी हो जाती है |
दाम्पत्य जीवन में सामंजस्यता बना कर रखें | विवाह के पहले ही काल सर्प दोष की शान्ति अवश्य कराएँ |