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Mauni Amavasya Vrat Vidhi

मौनी अमावस्या व्रत: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

 

Mauni Amavasya Vrat Vidhi – मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो माघ महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। मौनी अमावस्या को मौन व्रत के भी नाम से जाना जाता है |

Mauni Amavasya Vrat Vidhi
Mauni Amavasya Vrat Vidhi

मौनी अमावस्या की कथा:

कांचीपुर नमक नगर में एक देवस्वामी नाम के ब्राम्हण रहते थे | देवस्वामी के सात पुत्र एवं एक पुत्री थी | पुत्री का नाम गुणवती था | सबसे छोटी होंने के कारण सभी को बहुत ही प्यारी थी | जब गुणवती विवाह योग्य हुई तो देवस्वामी ने अपने बड़े पुत्र को वर खोजने के लिए भेजा | उसी समय वहां पर एक विद्वान पंडित जी आये जिन्हें देवस्वामी ने अपनी पुत्री गुणवती की कुंडली उन्हें दिखाई | पंडित जी ने कुंडली का विश्लेषण करके बताया कि इस कन्या का विवाह जिस भी होगा विवाह के पश्चात् वर की मृत्यु हो जाएगी |

जब देवस्वामी ने यह बात सुनी तो वे बहुत दुखी हुए, और उन्होंने पंडित जी से इस दोष के निवारण का उपाय पूछा तो पंडित जी ने कहा – सिंघल द्वीप में एक सोमा नाम की धोबिन रहती है | यदि गुणवती उस सोम धोबिन की सेवा करेगी तो इस दोष से छुटकारा मिल जायेगा | पंडितजी की बात सुनकर देवस्वामी ने अपनी पुत्री गुणवती को सोमा के घर भेज दिया | देववती ने सोमा की मन लगाकर सेवा की | इसके बाद गुणवती का विवाह हुआ और विवाह के पश्चात् जैसे की पंडितजी ने भविष्यवाणी की थी उसके पति की मृत्यु हो गयी |

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तब सोमा धोबिन ने गुणवती को अपने पूण्य का फल गुणवती को दे दिया जिससे उसका पति जीवित हो गया | सोमा ने गुणवती को आशीर्बाद दिया और अपने घर चली गयी | लेकिन सोमा के पुण्यों के फल गुणवती को देने से उसके पति, पुत्र और जामाता की मृत्यु हो गयी | सोमा ने फिर से अपने पूण्य फल संचित करने के लिए एक अश्वत्थ (पीपल) वृक्ष के नीचे श्री विष्णु जी पूजा की और उस वृक्ष की 108 परिक्रमा की | इसके पूर्ण होने पर उसके परिवार के मृतक सदस्य जीवित हो गए | इस प्रकार जो भी इस व्रत को करता है तथा श्रद्धा पूर्वक भगवान की पूजा कर अश्वत्थ के 108 परिक्रमा करता है उसे अनंत पूण्य की प्राप्ति होती है |

मौनी अमावस्या की व्रत की विधि:-

सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि नदी में स्नान संभव न हो तो घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

सूर्योदय के समय सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।

पूरे दिन मौन रहकर मन को शांत रखना चाहिए।

भगवान विष्णु, शिव और माता सरस्वती की पूजा करना चाहिए।

इस दिन दान पूण्य करने का 16 गुना फल प्राप्त होता है |

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:-

1 – मौनी अमावस्या का क्या महत्व है? Mauni Amavasya Vrat Vidhi

 

मौनी अमावस्या का महत्व आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से है। यह हमें मन को शांत करने, आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने, दान-पुण्य करने और जरूरतमंदों की मदद करने का अवसर प्रदान करता है।

2 – मौनी अमावस्या का व्रत कैसे रखा जाता है?

मौनी अमावस्या का व्रत रखने के लिए, आपको पूरे दिन मौन रहना चाहिए, स्नान करना चाहिए, भगवान विष्णु, शिव और माता सरस्वती की पूजा करनी चाहिए, दान-पुण्य करना चाहिए, और हवन करना चाहिए।

3 – मौनी अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए? (Mauni Amavasya Vrat Vidhi)

मौनी अमावस्या के दिन आपको मौन रहना चाहिए, स्नान करना चाहिए, भगवान विष्णु, शिव और माता सरस्वती की पूजा करनी चाहिए, दान-पुण्य करना चाहिए, हवन करना चाहिए, और गंगा स्नान करना चाहिए।

4 – मौनी अमावस्या के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

मौनी अमावस्या के दिन आपको झूठ बोलना, बुरा-भला कहना, क्रोध करना, और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए

5 – मौनी अमावस्या का व्रत रखने के क्या लाभ हैं?

 

मौनी अमावस्या का व्रत रखने से मन को शांति मिलती है, आत्म-साक्षात्कार प्राप्त होता है, पापों का नाश होता है, और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

6 – क्या मौनी अमावस्या का व्रत सभी के लिए है?

मौनी अमावस्या का व्रत सभी के लिए है। यदि आप गर्भवती हैं, स्तनपान करा रही हैं, या किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको यह व्रत नहीं रखना चाहिए।

7 – यदि मैं मौन व्रत नहीं रख सकता तो क्या करूं?

यदि आप मौन व्रत नहीं रख सकते हैं तो कम से कम कटु शब्द न बोलें। यदि आप पूरे दिन मौन नहीं रह सकते हैं तो कुछ समय के लिए मौन रहने का प्रयास करें।

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