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Rahu drishti ka fal-राहु की दृष्टि का फल

प्रथम भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-

(Rahu drishti ka fal) – लग्न भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे जातक रोगी होते हैं | इन्हें बात विकार की विशेष परेशानी रहती है | ऐसे जातक उग्र स्वभाव वाले तथा खिन्न चित्त वाले होते हैं | ऐसे व्यक्तियों के पास कोई ठोश व्यापार नहीं रहता, और ऐसे व्यक्ति अधार्मिक भी होते हैं |

द्वतीय भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-

दूसरे भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो व्यक्ति कुटुंब परिवार के सुख से वंचित रहता है | ऐसे जातक धन का नाश करने वाले होते हैं, और ऐसे जातकों को चोट चपेट लगती रहती है | प्रायः ऐसे व्यक्तियों को चंचल प्रकृति का भी देखा गया है |

तृतीय भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल- (Rahu drishti ka fal)

राहु तीसरे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो व्यक्ति पराक्रमी होता है, और पुरुषार्थी भी होता है | परंतु ऐसे जातको को संतान सुख प्राप्त नहीं होता | इन्हें भाग्योंन्ति के लिए विशेष परिश्रम करना पड़ता है |

चतुर्थ भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-(Rahu drishti ka fal)

चौथे भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्तियों को पेट से संबंधित रोग रहते हैं | ऐसे व्यक्ति कुछ मलिन प्रवृत्ति के और साधारण सुखी होते हैं | ऐसे व्यक्तियों को माता जी का भी पूर्ण सुख प्राप्त नहीं होता |

पंचम भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-

पांचवे भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो व्यक्ति भाग्यशाली और धनी होता है | ऐसे व्यक्ति व्यवहार कुशल भी होते हैं | संतान का सुख प्राप्त करने वाले होते हैं, किंतु इन्हें आय बहुत अच्छी नहीं होती |

षष्ठ भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-

राहु छठे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्तियों से कोई शत्रुता करता है, तो इनके बिना नुकसान पहुंचाए उसे हानि होती है | ऐसे व्यक्ति गुप्त रोगों से पीड़ित रहते हैं | ये व्यय बहुत करते हैं | इनके चेहरे पर विशेषकर आंख के आस-पास स्थाई चोट के निशान होते हैं | ऐसे व्यक्ति पराक्रमी होते हैं और ताकतवर भी होते हैं |

सप्तम भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-(Rahu drishti ka fal)

सातवें भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्ति धनी होते हैं किंतु विषय भोग में रत रहने वाले, और कुछ कामी प्रवृत्ति के होते हैं | ऐसे व्यक्तियों की संगति अक्सर निम्न प्रकार के लोगों से होती है |

अष्टम भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-

आठवें भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्ति पराधीन होते हैं | धन का नाश करने वाले तथा कंठ रोगों से पीड़ित होते हैं | ऐसे व्यक्ति धर्म को ना मानने वाले तथा निम्न कार्य करने वाले होते हैं, इसी से ऐसे व्यक्ति कुटुम परिवार से अलग रहने वाले होते
हैं |

नवम भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-

राहु नौवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्ति अपने बड़े भाई बहन या इनके तुल्य व्यक्तियों के सुख से वंचित रहते है | चूँकि ऐसे व्यक्ति ऐश्वर्या वान होते है, भोगी होते हैं, पराक्रमी होता है और संतति वान भी होता है |

दशम भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-(Rahu drishti ka fal)

दसवें भाव को राहु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्तियों को माताजी का सुख प्राप्त नहीं होता, तथा ऐसे जातक पिताजी के लिए कष्ट कारक होते हैं | चूँकि ऐसे व्यक्ति राजमान्य और उद्योगशील होते हैं, और उद्योग के माध्यम से पर्याप्त धन प्राप्त करने वाले होते हैं |

एकादश भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-

राहु ग्यारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्तियों को संतान से संबंधित अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता है | ऐसे व्यक्ति निम्न कार्यों में रत रहते हैं | इसलिए इन्हें विशेष लाभ नहीं होता |

बारहवें भाव पर राहु की पूर्ण दृष्टि का फल-(Rahu drishti ka fal)

राहु बारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्ति गुप्त रोग के शिकार होते हैं | शत्रु का नाश करने वाले होते हैं | ऐसे व्यक्ति अपना धन कुमार्ग में बहुत व्यय करते हैं, और अंत में दरिद्रता को प्राप्त होते हैं | केतु की दृष्टि का फल लगभग राहु के समान ही समझना चाहिए |

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