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shani drishti ka fal-शनि की दृष्टि का फल

प्रथम भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-

(shani drishti ka fal) – लग्न भाव को शनि पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्ति देखने में कुछ सांवले कलर के होते हैं | ऐसे जातक निम्न प्रकार की स्त्रियों से संबंध रखते हैं | ऐसे जातकों की अपनी पत्नी से अच्छे संबंध नहीं रहते | शनि यदि शुभ ग्रह युक्त और शुभ दृष्ट ना हो तो ऐसे व्यक्ति लंपट प्रवृत्ति के होते हैं |

द्वतीय भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-

शुक्र दूसरे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्तियों के हाथ से लगभग 36 वर्ष की अवस्था तक बहुत धन का नुकसान होता है | ऐसे व्यक्ति अपने कुटुम परिवार का ही विरोध करने वाले होते हैं | लगभग 19 वर्ष की अवस्था में इन्हें शारीरिक कष्ट प्राप्त होता है | ऐसे जातक नाना प्रकार के रोगों के शिकार रहते हैं |

तृतीय भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-

तीसरे भाव को शनि पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे जातक बहुत ही पराक्रमी होते हैं | ऐसे व्यक्तियों को भाइयों का विशेष सुख तथा सहयोग प्राप्त नहीं होता | ऐसे व्यक्ति निम्न प्रकार की संगति में पढ़कर बुरे कार्य करने लगते हैं, और अधार्मिक हो जाते हैं |

चतुर्थ भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-(shani drishti ka fal)

शनि चौथे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्तियों को प्रथम वर्ष में ही शारीरिक कष्ट भोगना पड़ता है | चूँकि ऐसे व्यक्ति राजमान्य होते हैं | 35 -36 वर्ष की अवस्था में राज्य अधिकार में वृद्धि प्राप्त करने वाले होते हैं, और ऐसे व्यक्ति लब्ध प्रतिष्ठित होते हैं |

पंचम भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-

शनि पांचवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्तियों को बहुत ही कम संतान होती है | और यदि शनि पाप ग्रह युक्त या नीच का हो तो संतान ही नहीं होती | ऐसे व्यक्ति विद्या में भी बहुत सफल नहीं होते | निम्न प्रकार के लोगों से इनकी संगत होती है, और इनके कार्य भी निम्न स्तर के ही होते हैं |

षष्ठ भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-

छठे भाव को शनि पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो व्यक्ति शत्रु का नाश करने वाला होता है | किंतु माता के लिए भी कष्ट कारक रहता है | ऐसे व्यक्ति प्रायः नेत्र रोगी और प्रमेह रोगी होते हैं | ऐसे व्यक्ति धर्म से विमुख होते हैं, और कुमार्गरत रहते हैं |

सप्तम भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-(shani drishti ka fal)

शनि सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्ति कलह उत्पन्न करने वाले होते हैं | लगभग 36 वर्ष की अवस्था में ऐसे जातकों को मृत्यु तुल्य कष्ट होता है | ऐसे व्यक्ति धन का व्यर्थ व्यय करने वाले और मलीन स्वभाव के होते हैं |

अष्टम भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-

शनि आठवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्ति कुटुंब विरोधी होते हैं | राज्य के द्वारा इन्हें दंड प्राप्त होता है | ऐसे व्यक्ति अपनी पैतृक संपत्ति को लगभग 36 वर्ष की अवस्था तक पहुंचते-पहुंचते समस्त संपत्ति का नाश करने वाले होते हैं |

नवम भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-

नौवें भाव को शनि पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्ति देशाटन करने वाले होते हैं | भाई बहनों से इनका सदा ही विरोध बना रहता है | यह अधिकतर प्रवासी ही रहते हैं | यह धन तो प्राप्त करते हैं, किंतु निम्न कार्यों द्वारा ही धन अर्जन करते हैं | पराक्रमी होते हैं, किंतु धर्म हीन होते हैं और इसी के कारण ऐसे जातक निंदक रहते हैं |

दशम भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-(shani drishti ka fal)

दसवें भाव को पूर्ण दृष्टि से शनि देखता हो तो ऐसे जातक पिता के सुख से वंचित रहते हैं | माताजी के लिए भी कष्ट कारक होते हैं | परन्तु भूमि भवन के अधिपति होते हैं राजमान्य होते हैं, और स्वयं सुखी रहते हैं |

एकादश भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-

ग्यारहवें भाव को शनि पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे जातकों को वृद्धावस्था में पुत्र सुख प्राप्त होता है | ऐसे व्यक्ति अनेक भाषाओं के जानने वाले होते हैं, और साधारण व्यापार से ही पर्याप्त लाभ प्राप्त करने वाले होते हैं |

बारहवें भाव पर शनि की पूर्ण दृष्टि का फल-(shani drishti ka fal)

शनि बारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे व्यक्ति खर्चीले स्वभाव के होते हैं | और खर्च भी अशुभ कार्यों में ही करते हैं | माताजी को कष्टदायक होते हैं, किंतु इनमें शत्रु नाशक क्षमता पर्याप्त मात्रा में होती है | लाभ के क्षेत्र में ऐसे व्यक्ति सामान्य लाभ प्राप्त करते हैं |

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Pandit Rajkumar Dubey

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