राहू की महादशा का फल
Rahu Mahadasha fal – राहू को हमारे ज्योतिष शास्त्र में कोई स्थान प्राप्त नहीं है | न तो राहू की अपनी कोई राशि होती और न ही कोई स्थान परन्तु राहू एक छाया ग्रह माना जाता है | राहू को ज्योतिष में फल देने में शनि से अधिक वलाबन माना गया है | और अनुभव में भी राहू के फल का प्रभाव में देखने आये हैं | राहू एक छाया ग्रह होने के कारण विशेषकर गुप्त प्रकार की बीमारियाँ, मति भ्रम, डिप्रेशन आदि बीमारी, पेट से सम्बंधित बीमारी, प्रत्येक कार्य में असफ़लता, गुप्त शत्रुओं की वृद्धि, गुप्त शत्रुओं से हानि, शिक्षा में अवरोध उत्पन्न करना आदि कार्य राहू के अधिकार में आते हैं |
राहु की महादशा में साधारण रूप से सुख संपत्ति और सांसारिक सुखों का नाश होता है | स्त्री, पुत्र आदि के वियोग का दुख तथा परदेश वास करना पड़ता है | ऐसे जातक अक्सर रोगी ही बने रहते हैं और वाद विवाद की ओर इनकी अभिरुचि होती है | परंतु जब राहु उत्तम फल देने वाला होता है (अर्थात उसकी उत्कृष्ट दशा में) तो लक्ष्मी की प्राप्ति, धर्म और अर्थ का आगमन तथा पुण्य का उदय होता है | राहु की दशा 18 वर्ष की होती है, जिसमें से षष्ठ और अष्टम वर्ष बहुत कष्ट दायक होते हैं | राहु वृष राशि में उच्च, कर्क, कुंभ में मूलत्रिकोण और मेष में मित्र गृही माना जाता है |
राहू महादशा का विशेष फल –
राहु की महादशा के विशेष फल जानने के लिए निम्न बिंदुओं पर विचार करना आवश्यक है | उच्च का राहु होने से उसकी दशा में धन और सुख की प्राप्ति तथा बड़े अधिकारीयों से मित्रता होती है | मनोबल तथा पराक्रम की भी वृद्धि होती है और सेवकों अथवा अपने से नीचे कार्य करने वाले कर्मचारियों से लाभ तथा सम्मान की प्राप्ति होती है | नीच राशि में स्थित राहु की दशा में शत्रुओं की वृद्धि होती है, अग्नि के द्वारा हानि तथा विषाक्त वस्तुओं से भय होता है | राज्य द्वारा दण्ड के स्वरुप जेल या मृत्यु दण्ड आदि का भय होता है |
पाप क्षेत्र में स्थित राहु की महादशा में शरीर में कृशता, (कमजोरी) कुटुम्ब के लोगों को बड़ी हानि का सामना करना पड़ता है | राज्य भय गुप्त शत्रुओं से ठगे जाने का भय, प्रमेह रोग, क्षय रोग, कास-स्वांस रोग और मूत्र स्थली जनित रोगों का भय होता है | यदि राहु उच्च ग्रह के साथ बैठा हो और उसकी दशा चल रही हो तो राज्य की प्राप्ति, अर्थात धनलाभ, स्त्री, पुत्र से सुख और वस्त्र आभूषण तथा सुगंधित पदार्थों का लाभ होता है |
(Rahu Mahadasha fal)
नीच ग्रह के साथ स्थित राहु की दशा में जातक निम्न वृत्ति से जीवन व्यतीत करता है | इच्छा के विरुद्ध भोजन करना पड़ता है अर्थात रूचि अनुसार भोजन प्राप्त नहीं होते | ऐसे जातक की स्त्री तथा उसके पुत्र सज्जन नहीं होते | यदि राहु पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो और उसकी दशा ही चल रही है तो राज्य से सम्मान, राज्य द्वारा धन की प्राप्ति होती है | परन्तु बंधु जनों की मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट होता है | पाप ग्रह की दृष्टि यदि राहु पर हो तो उसकी दशा में जातक धर्म-कर्म रहित और रोगी होता है | शत्रुओं से भय, पेट की अग्नि कमजोर होने से पेट की बीमारी तथा राज्य से भय रहता है | जातक के उद्योग में उपद्रव होता है अर्थात नौकरी इत्यादि छूट जाती है |
राहू महादशा का फल विचार करते समय राहू के साथ किस ग्रह की युति है, किस ग्रह की दृष्टि राहू के ऊपर है, राहू नवांश कुंडली में किस राशि में किस ग्रह के साथ बैठा है | जन्म कुंडली में किस भाव में स्थित है एवं राहू जिस नक्षत्र में स्थित है उस नक्षत्र का स्वामी की क्या स्थिति है इत्यादि बातों पर विचार करने के बाद ही राहू की महादशा का फल कहना चाहिए |
जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?