Pandit Ji

rashmi fal in astrology

Rashmi fal in astrology-ग्रहों की रश्मियों का फल

ग्रहों की रश्मि द्वारा फल

Rashmi fal in astrology – रश्मि अर्थात ग्रह की किरण जो गणित द्वारा प्राप्त की जाती है | जिस ग्रह की सबसे ज्यादा रश्मि होती है वह ग्रह उस स्थान का श्रेष्ठ फल देता है | अधिक रश्मि हो तो बड़ा राज्य प्राप्त हो अर्थात राजा के समान वैभवशाली हो | बल में श्रेष्ठ हो तथा युद्ध में विजय प्राप्त करने वाला हो | यदि पांच रश्मि है तो ऐसे जातक का जीवन दुख में व्यतीत होता है | जातक दरिद्री होता और ऐसे व्यक्ति  निम्न संगति करते हैं | और यदि वह ग्रह नीच का हो तो कैद तक कराता है |  जितनी रश्मि अधिक हो उतना अच्छा फल होता है |

रश्मि है तो ऐसे जातक का जीवन दुख में व्यतीत होता है | जातक दरिद्री होता और ऐसे व्यक्ति  निम्न संगति करते हैं | और यदि वह ग्रह नीच का हो तो कैद तक कराता है |  जितनी रश्मि अधिक हो उतना अच्छा फल होता है |

1 से 4 तक रश्मि हों तो जातक का जीवन कष्टपूर्ण व्यतीत होता है | ऐसे जातक कुल से हीन, पतित, दुष्ट प्रवृत्ति वाले, दरिद्री, निम्न कुल से स्नेह रखने वाले, उत्तम कुल में भी पैदा हो तो भी निम्न श्रेणी की नौकरी चाकरी करने वाले सदा धन से दुखी रहने वाले होते हैं |  

पांच से 10 तक रश्मि वाले जातक अति हीन, परदेस जाने में मन रखने वाले, भाग्य से ही सदा मलिन रहने वाले, क्लेश युक्त, ऐश्वर्य हीन, निरंतर दूसरों के आश्रित उदार पोषण करने वाले, निर्धन भार वाहक, स्त्री पुत्र आदि से हीन, ऐसा कर्म करें जिससे वंश-कुल की हानि हो |

11 से अधिक का फल

10 से 15 तक रश्मि प्राप्त हो तो ऐसे जातक प्रधान तथा पूजनीय जनों में भक्ति रखने वाले होते हैं | उत्तम सुख भोगने वाले, अपने कुल के अनुकूल कार्य करने वाले, अल्प धनी, किन्तु धर्म युक्त, सुंदर भेष धारण करने वाले होते हैं | यदि 11 रश्मि प्राप्त हो तो अल्प पुत्र वान, अल्प धन, अल्प कुटुंब का भी पालन बड़े कष्टों के साथ हो पाता है | 12 रश्मि हो अल्प धन, मूर्खता पूर्ण कार्य करने वाले, सत्य हीन तथा निर्धन होते हैं | 13 रश्मि हो चोरों की प्रवृत्ति वाले तथा निर्धन होते हैं | 14 रश्मि हो धनी, कुटुंब पालक, विद्वान, कार्यकुशलता में निपुण, धर्मी, क्रोध रहित और द्रव्य उपार्जन करने में तत्पर रहते हैं |

पन्द्रह रश्मि हो कुटुंब से सुख हो, धनववान, सब प्रकार की विद्या अर्जित करने में सक्षम हो, गुण और धन से युक्त तथा कुल में श्रेष्ठ होते हैं | यदि 16 रश्मि प्राप्त हो तो ऐसे जातक कुल में श्रेष्ठ होते हैं और अपने कुल का नाम रोशन करते हैं | 17 रश्मि हो तो ऐसे जातकों के बहुत से नौकर चाकर होते हैं | 18 रश्मि वाले जातक जातकों का कुटुम बहुत बड़ा होता है और ये अपने कुटुंब में श्रेष्ठ पड़ प्राप्त करते हैं | 19 रश्मि वाले जातक अपनी कीर्ति बहुत फैलाते हैं |

19 से ज्यादा का फल (Rashmi fal in astrology)

20 रश्मि वाले स्वजनों से परिपूर्ण होते हैं तथा परिवार के सबसे प्रिय होते हैं |  21 रश्मि वाले कर्मशील होते हैं जो 50 मनुष्यों का पालन करने की क्षमता रखने वाले, दान शील और दयावान होते हैं | 22 रश्मि वाले कुछ लोभी प्रवृत्ति के होते हैं परंतु धनवान होते हैं इनके शत्रु नहीं होते, ये समर्थ होते हैं, अल्पगुनी होते हुए भी दयालु और दान शील होते हैं | 23 रश्मि वाले यदि विद्या हीन भी हो तब भी सब जगह इनकी प्रधानता होती है | यह धनवान होते हैं अपने कुटुंब परिवार में सुखी रहते हैं तथा बहुत ही सुशील होते हैं |

24 से 30 रश्मि वाले जातक लक्ष्मीवान, बलवान, राज प्रिय, प्रतापी, धनवान, बहुत जनों से युक्त, तेजस्वी, राजा से धन और सुख प्राप्त करने वाले, राज्यमंत्री, मनुष्यों में पूज्य, सेनापति आदि होते हैं | 31 रश्मि हो तो ऐसे जातक बहुत विख्यात होते हैं | इनके पास पृथ्वी संपत्ति बहुत होती है ये बहुत चतुर होते हैं, राजा के तुल्य होते हैं और सेनापति, प्रधान आदि का पद प्राप्त होता है | 32 रश्मि हो तो ऐसे जातक इतने कर्मशील होते हैं कि 500 लोगों का भरण-पोषण करने की क्षमता रखने वाले, अनेक ग्राम पर्वतों के स्वामी तथा अनेक नगरों के बसाने वाले कभी-कभी अनेक ग्रामों के अधिपति होते हैं |

जानिये आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?

33 रश्मि हो तो 1000 से अधिक लोगों का भरण पोषण कर सकते हैं | अनेक ग्रामों में इनका अधिपत्य रहता है | 34 रश्मि हो तो हजार ग्रामों से 3000 ग्रामों तक इनका शासन रहता है | 35 रश्मि हो तो ऐसे जातक अनेक प्रकार के सुख से संपन्न, बड़े पराक्रमी, लोगों में विख्यात, सौंदर्य युक्त मंडल का स्वामी, विजय प्राप्त करने वाले, निर्मल मन वाले, सुशील, विलासप्रिय होते हैं | 36 राशि वाले जातक दस हजार गांव को नियंत्रण करने की क्षमता रखने वाले होते हैं तथा दूर-दूर तक विख्यात होते हैं | 37 रश्मि वाले जातक बहुत बड़े प्रतापी होते हैं | और यदि इनसे कोई शत्रुता करता है तो वह अपने आप नष्ट हो जाता है 37 रश्मि वाले जातक तीस हजार ग्रामों तक विख्यात होते हैं |

38 रश्मि वाले जातक संपूर्ण जनों को संतुष्ट करने वाले, बहुत विशाल भूमि के मालिक होते हैं | ऐसे जातक बड़े ही प्रतापी होते हैं | 39 रश्मि वाले जातक राजा के समान रहन-सहन, ठाटबाट, तेजस्वी, कीर्तिवान, कठिन धर्म वाले, शत्रु नाशक होते हैं | 40 रश्मि यदि हो तो जातक बड़ा प्रतापी राजा होता है | सेवा, वाहन से परिपूर्ण, हर जगह विजय प्राप्त करने वाले, और राजाओं को जीतने की क्षमता रखने वाले होते हैं |

जानिए कैसे कराएँ ऑनलाइन पूजा ? (Rashmi fal in astrology)

41 रश्मि वाले जातक बहुत ही तेजस्वी बहुत ही बड़े भूमि के स्वामी या यों कहे की बहुत बड़ी जनसत्ता के पालन करने की क्षमता इनमें होती है | समुद्र पर्यंत विख्यात कीर्ति होती है | ऐसे जातक निश्चय ही राजा होते हैं और एक एक देश में राज्य करते हैं | 42 रश्मि हो तो मनुष्य 2 देशों का राज्य करता है और दो देशों को पालन करने की क्षमता रखता है | 43, 44, 45, रश्मि वाले जातक द्वीपों के मालिक होते हैं | महाबली होते हैं, पूजनीय होते हैं और सौभाग्य संपन्न एवं बहुत बड़े प्रतापी होते हैं |

45 से अधिक रश्मि वाले जातक अच्छे कुल में उत्पन्न, राजा के समान शासन करने वाले, यदि ऐसे जातक शूद्र कुल में भी जन्म ले तो भी धनवान होते हैं | ये बहुत ही विद्वान होते हैं और बड़े शुभ कार्य करने वाले होते हैं | रश्मि किरण रहित ग्रह होने से उसी प्रकार विपरीत फल होता है जिस समय ग्रहों की अंतिम अवस्था हो तो करोड़ों का छह और प्रथम अवस्था हो तो करोड़ों की वृद्धि होती है |

विशेष विचार (Rashmi fal in astrology)

उच्चाभिमुख (नीच से उच्च की ओर जाने वाले) ग्रहों के किरण अनुसार पूर्ण फल होता है | और नीचाभिमुख (उच्च से नीच की ओर जाने वाले) ग्रहों की किरण अनुसार फल से न्यून फल होता है | सब ग्रहों का शुभ या अशुभ फल रश्मि संख्या के अनुसार ही होता है | बिना रश्मि ज्ञान से वास्तविक फल समझ में नहीं आता इसलिए रश्मि ज्ञान करने के उपरांत फल का विचार करना चाहिए |

वृहत्पाराशरी के अनुसार रश्मि साधन इस प्रकार बताया गया है | (Rashmi fal in astrology)

(ग्रह स्पष्ट – ग्रह नीच) शेष 6 से अधिक हो तो षडभाल करने को 12 राशि से घटा कर जो शेष बचे वह लेना | इस शेष में उस ग्रह के ध्रुवांक से गुणा कर 6 का भाग देने से लब्धि रश्मि प्राप्त होतीं हैं | ग्रहों के ध्रुवांक निम्नलिखित हैं |

ग्रह सूर्य चन्द्र मंगल बुध गुरु शुक्र शनि
ध्रुवांक 10 9 5 5 5 8 5

यहाँ बताये ध्रुवांक से परमोच्च की रश्मि प्राप्त होती है | मध्य की रशमि अनुपात से निकलना चाहिए |

विशेष संस्कार (Rashmi fal in astrology)

यदि ग्रह उच्च का हो तो उक्त विधि से प्राप्त रश्मि संख्या  ×3

——– मूल त्रकोण – – – – – – – – – – – – – – – – –  –  ×

——   स्वराशि    – – – – – –  – – – –  – – – – – – –  ×3/2

——– अधिमित्र   – – – – – – – – – – – – – – – – – – –  ×4/3

——— मित्र      – – – – – – – – – – – – – – – – – – –  ×6/5

——    शत्रु      – – – – – – – – – – – – –  – – –  – –  ×1/2

——–  अधिशत्रु   – – – – – – – – – – – – – – – –  — –  ×2/5

———  समग्रही हो तो  – – – पूर्व प्राप्त रश्मि ही लेना चाहिए |

इस प्रकार सब ग्रहों की रश्मि निकाल कर सबको योग करना चाहिए | जिस प्रकार ग्रहों में रश्मि निकाली गयी है उसी प्रकार षडबल में भी रश्मि निकाली जाती है |    

इन्हें भी देखें –

ज्योतिष में चन्द्रमा का महत्त्व

ज्योतिष में सूर्य का महत्व

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top