Pandit Ji

shani mahadasha effects

Shani Mahadasha effects – शनि महादशा का फल

शनि की महादशा का फल

Shani Mahadasha effects – शनी की सामान्य महादशा का फल – शनि की महादशा में जातक को चौपाया जानवर, पक्षी, वृद्धा स्त्री और किसी ग्राम शहर अथवा जाति के अधिकार द्वारा धन की प्राप्ति होती है | अथवा किसी निम्न जाति का अधिकार अधिपत्य मिलता है | जातक बुद्धिमान, दानी और कला में प्रवीण होता है | स्वर्ण, वस्त्र आदि से संपन्न चौपाया वाहनों से सुशोभित, देवता आदि में प्रेम रखने वाला और किसी प्राचीन स्थान की प्राप्ति से सुखी, देवालय आदि बनवाने वाला, अपने कुल को उज्जवल करने वाला, और कीर्तिमान होता है |

\"shani
shani mahadasha effects

परंतु नीच आदि दोष युक्त शनि की महादशा में आलस्य, निद्रा, कफ, वात, पित्त जनित रोग, ज्वर पीड़ा, स्त्री संग से रोग की उत्पत्ति और चर्म रोग अर्थात दद्दू आदि रोग से पीड़ित होता है | सामान्य रूप से शनि की महादशा का फल ऐसा ही होता है परंतु स्थान आदि भेद से फलों का विवरण नीचे लिखा जाता है |

विशेष फल (Shani Mahadasha effects)

शनि की महादशा का विशेष फल जानने के लिए निम्न बिंदुओं पर विचार करना आवश्यक है | उच्च राशि में स्थित शनि की महादशा में जातक ग्राम देश और सभा इत्यादि का आधिपत्य प्राप्त करता है | अनेक प्रकार से आनंद मिलता है, परंतु पिता की मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट और बंधु जनों से वैमनस्यता होती है | नीच राशि में स्थित शनि की दशा में स्थान परिवर्तन, दुख, चिंता, वाणिज्य और कृषि से धन की हानि तथा राजा से विरोध होता है | आरोही शनि की दशा में राज्य से भाग का उदय, वाणिज्य से धन प्राप्ति, कृषि और भूमि का लाभ, घोड़े और गोउ आदि से सुख तथा स्त्री एवं पुत्र की प्राप्ति होती है |

अवरोही शनि की दशा में भाग्य का ह्रास, राज्य से पीड़ा, स्त्री पुत्र और धन का नाश, किसी की अधीनता एवं नेत्र और गुप्त रोग होते हैं | मूल त्रिकोण राशि में स्थित शनि की दशा में प्रदेश और जंगल आदि में वास, ग्राम तथा सभा का अधिपत्य, स्त्री पुत्र और जनता से मतभेद एवं जातक के नाम अर्थात उपनाम या पदवी प्राप्त होती है | स्वगृही शनि की दशा में जातक के बल, पौरस और कीर्ति की वृद्धि होती है, तथा राज्य से आश्रय मिलता है | भूमि और आभूषण आदि की प्राप्ति तथा अपने गुण के अनुसार सुख प्राप्त करता है |

गुरु की महादशा का फल जानें

नीच राशि में स्थित शनि की महादशा में स्त्री, संतान और भाइयों का पतन, बहुत कष्ट, कृषि की हानि तथा नीचे दर्जे की नौकरी करनी पड़ती है | अति मित्र ग्रह में स्थित शनि होने से उसकी दशा में सुख, राज्य से सम्मान, पशु, कृषि, वाणिज्य, धन, स्त्री और पुत्र आदि की वृद्धि होती है | मित्र ग्रह शनि की महादशा में शिल्प आदि विद्या का जानकार, ज्ञानी, बली और प्रतापी होता है |

समगृही शनि की दशा में जातक सामान्य बुद्धि का होता है, उसे स्त्री से प्रेम, भाई और बंधु जनों से वैमनस्य, शरीर में पीड़ा, क्षय तथा वात पित्त जनित रोग होता है | शत्रु गृही शनी की महादशा में पृथ्वी की हानि, पद से च्युति, कृषि का विनाश और दुर्बलता होती है, परंतु उसे वेश्याओं से धन की प्राप्ति होती है | अति शत्रु गृही शनि की दशा में स्थान से पतन, बंधु वर्गों से विरोध, राजा और चोर से भय, नौकर तथा स्त्री पुत्र की ओर जातक की दुष्टता होती है |

राहू की महादशा का फल जानने की लिए यहाँ किलिक करें (Shani Mahadasha effects)

उच्च नवांश में स्थित शनि रहने से उसकी महादशा में जातक हर प्रकार का आनंद और सुख पाता है | विदेश जाने तथा ग्राम मंडली, जिला अथवा सभा इत्यादि का अधिपति होता है | नीच नवांश में स्थित शनि की महादशा में किसी व्यक्ति द्वारा जीवन निर्वाह करना पड़ता है | जातक परतंत्र रहता है, और स्त्री पुत्र तथा धन का नाश अथवा उनके द्वारा दुख होता है | उच्च ग्रह के साथ स्थित शनि की महादशा हो तो थोड़ी सी जमीदारी एवं खेती और सुख की प्राप्ति होती है |

नीच ग्रह के साथ यदि शनि हो तो उसकी महादशा में किसी छोटे व्यक्ति से जीवन व्यतीत करना पड़ता है, उसे प्रवास भय और विद्वानों से विरोध होता है | पाप ग्रह के साथ यदि शनी हो और उस की महादशा चल रही हो तो निम्न स्त्री के साथ प्रसंग, छिपकर पाप कर्म, चोर आदि नीच मनुष्य के साथ विवाद और कलह करने वाला होता है |

मंगल की महादशा का फल जानने के लिए यहाँ किलिक करें

सूर्य के साथ यदि शनि हो तो उसकी दशा में स्वजनों से मतभेद, पर स्त्री गमन, नौकर और संतान से असंतोष तथा अपात्र क्रिया करने में तत्परता होती है | शुभ ग्रह के साथ यदि शनि हो तो उसकी दशा में बुद्धि का उदय, राजा से भाग्य उन्नति, रूप का धन का लाभ, खेती में उन्नति और काले अन्न की प्राप्ति होती है | पाप ग्रह की दृष्टि शनी पर हो और उसकी महादशा चल रही हो तो उस महादशा में धन, स्त्री, संतान, भाई और नौकर की हानि, बुरे प्रकार का भोजन तथा कलंक लगता है | शुभ ग्रह की दृष्टि यदि शनी पर पढ़ती हो और उसकी महादशा हो तो धन, स्त्री पुत्र और नौकर की प्राप्ति होती है, परंतु दशा के अंत में वाणिज्य, कृषि, पृथ्वी तथा चतुर्थ पदों की हानि होती है |

चन्द्र की महादशा का फल जानने के लिए यहाँ किलिक करें (Shani Mahadasha effects)

यदि जन्म कुंडली में शनि नीच राशि में स्थित होकर नवांश कुंडली में उच्च राशि में स्थित हो तो उसकी महादशा के आदि में शत्रु, चोर और विदेशाटन से तथा अंत में आनंद प्राप्त होता है | जन्म कुंडली में शनी उच्च राशि का हो और यदि नवांश कुंडली में नीच में हो तो उसकी महादशा के आरंभ में सुख और आनंद प्राप्त होता है, परंतु अंत में दुख और नाना प्रकार के संताप होते हैं | वक्री शनि की महादशा में समस्त कार्य और उद्योगों की हानि तथा दुख एवं भाइयों का विनाश होता है |

जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?

जानें कैसे कराएँ ऑनलाइन पूजा ?

श्री मद्भागवत महापूर्ण मूल पाठ

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top