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Surya drishti ka fal-सूर्य की दृष्टि का फल

प्रथम भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-

surya drishti ka fal
surya drishti ka fal

(Surya drishti ka fal)-सूर्य यदि प्रथम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे जातक रजोगुण प्रधान होते हैं | नेत्ररोगी, सामान्य धनी और बुजुर्गों तथा साधु संतों की सेवा करने वाले होते हैं | ऐसे जातक मंत्रज्ञ अर्थात मंत्र विद्या का ज्ञान रखने वाले, वेदांती पिताजी की आज्ञा का पालन करने वाले और राजमान्य तथा चिकित्सक आदि होते हैं |

द्वतीय भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-(Surya drishti ka fal)

सूर्य यदि द्वितीय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखताहो तो ऐसे जातक धन तथा कुटुंब से सामान्य सुख प्राप्त करते हैं | तथा निरोगी भी रहते हैं | पशु व्यवसाय करने वाले तथा संचित धन को नाश करने वाले होते हैं | ऐसे जातक परिश्रम तो बहुत करते हैं परन्तु थोड़े धन का लाभ करने वाले, और कष्टों को सहन करने वाले होते हैं |

तृतीय भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-

सूर्य यदि तृतीय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे जातक कुलीन, राजमान्य तथा बड़े भाई के सुख से रहित होते हैं | परन्तु ऐसे जातक उद्यमी होते हैं जिसके प्रभाव से शासन करते हैं | ऐसे जातक कुशल नेता और पराक्रमी होते हैं |

चतुर्थ भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-(Surya drishti ka fal)

सूर्य चतुर्थ भाव को यदि पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे जातकों की 22 वर्ष पर्यंत सुख की हानि होती है विशेषकर ऐसे जातक स्वयं अपने सुख की हानि करने वाले होते हैं | सामान्य मातृ सुखी परन्तु सूर्य यदि वलावन हो तो 22 वर्ष की आयु के पश्चात वाहन आदि सुखों को प्राप्त करने वाले होते हैं | ऐसे जातक विशेष स्वाभिमानी होते हैं |

पंचम भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-

पंचम भाव को सूर्य पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे जातक जातकों की प्रथम  संतान नष्ट हो जाती है | और यदि जीवित रहे तो स्वयं नाशक होते है | ऐसे जातक पुत्र के लिए चिंतित, मंत्र शास्त्रज्ञ, विद्वान, सेवावृत्ति करने वाले होते हैं | और ऐसे जातकों को कम आयु में संतान की प्राप्ति हो जाती है |

छटवें भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-(Surya drishti ka fal)

छटवें भाव को सूर्य पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो शत्रु भय बना रहता है | ऐसे जातक दुखी, बांयें नेत्र में कोई समस्या रहती है | व्यक्ति ऋणी और मातृ पक्ष  को नष्ट करने वाला होता है |  

सातवें भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-

सूर्य यदि सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो व्यक्ति जीवन भर ऋणी रहता है, और अल्पायु में ही स्त्री रहित हो जाता है | चूँकि जातक व्यापारी होता है परंतु उग्र स्वभाव वाला होता है | ऐसे जातक प्रारंभिक जीवन में दुखी तथा अंतिम जीवन में सुखी होते हैं |  

आठवें भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-

आठवें भाव पर जब सूर्य पूर्ण दृष्टि से देखता है तो ऐसे जातकों को बवासीर रोग होने की संभावना होती है | ऐसे जातक कुछ व्यभिचारी तथा मिथ्या भाषी भी होते हैं | पाखंड और निन्दित कार्य को करने वाले भी होते हैं |  

नवम भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-(Surya drishti ka fal)

सूर्य का नौवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखने के कारण जातक धर्म भीरु, बड़े भाई से रहित होते हैं | ऐसे अनेक जातक अनुभव में आये है कि ऐसे व्यक्तियों की ससुराल में साले नहीं होते हैं |

दशम भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-

दसवें भाव को पूर्ण दृष्टि से यदि सूर्य देखता हो तो व्यक्ति राजमान्य, धनी किंतु माताजी के लिए कष्टकारक होते हैं | और यदि उच्च राशि का सूर्य हो तो माता, वाहन और धन का पूर्ण सुख प्राप्त करने वाले होते हैं |  

एकादश भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-(Surya drishti ka fal)

ग्यारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखने वाला सूर्य जातक को धन लाभ कराने वाला होता है | ऐसे जातक प्रसिद्ध व्यापारी होते हैं | किंतु इनकी प्रथम संतान नष्ट होने का भय रहता है | ऐसे जातक बुद्धिमान, विद्वान, कुलीन और धर्मात्मा होते हैं |  

बारहवें भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि का फल-

बारहवें भाव को पूर्ण दृष्टि से सूर्य देखता हो तो ऐसे जातक अधिकतर प्रवासी होते हैं | नेत्र रोगी रोगी होते हैं | कान या नाक पर तिल या मस्से का चिन्ह होता है | ऐसे व्यक्ति शुभ कार्यों में व्यय करने वाले होते हैं | और सवारी के शौकीन होते हैं, किंतु मामा के लिए कष्ट कारक रहते हैं |

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Pandit Rajkumar Dubey

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