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Chandra Mahadasha fal – चन्द्र की महादशा का फल

चन्द्र की महादशा का फल – जीवन में सुख, संघर्ष और मानसिक स्थिति पर प्रभाव

Chandra Mahadasha fal – चन्द्रमा मन, भावना, माता, परिवार और सुख-सुविधाओं का कारक माना गया है। जब चन्द्र की महादशा चलती है तो जीवन में मानसिक उतार-चढ़ाव, पारिवारिक संबंधों में बदलाव, आर्थिक स्थिति और स्वास्थ्य पर प्रभाव दिखाई देता है। यह समय व्यक्ति को ज्ञान, कला, धार्मिक कार्यों में रुचि भी देता है तो कभी-कभी संघर्ष और मानसिक अस्थिरता का सामना भी कराना पड़ता है। इस ब्लॉग में हम चन्द्र की महादशा के विभिन्न प्रभावों को विस्तार से समझेंगे ताकि आप अपनी कुंडली के अनुसार सही दिशा में चल सकें।

chandra mahadasha fal
chandra mahadasha fal

chandra mahadasha fal – चंद्रमा की महादशा में साधारण रूप से जातक को मंत्र, वेद, ब्राह्मण आदि के कार्यों में रुचि तथा राजा की प्रसन्नता के कारण मंत्री का पद प्राप्त होता है | युवती स्त्रियां को धन, पृथ्वी, पुष्प, गंध, और वस्त्राभूषण आदि अर्थात सुख के पदार्थों का लाभ होता है | अनेक प्रकार की कलाओं में कुशल, कीर्तिमान, विख्यात, नम्र, परोपकारी, यशस्वी, और इधर उधर घूमने में प्रेम रखने वाला होता है | उसे कन्या उत्पन्न होती है | ऐसा जातक आलसी, निंद्रा से व्याकुल और कृषि का प्रेमी होता है | उसे कफ और वात की अधिकता होती है | परंतु यदि चंद्रमा निर्बल होता है तो अर्थ हानि, वात रोग से पीड़ा और सज्जनों से विरोध होता है | वह कलह तथा वाद-विवाद में निरंतर रत रहता है और अच्छे कार्यों में उसका मन नहीं लगता |

चंद्रमा की स्थिति अनुसार दशा का फल (chandra mahadasha fal)

परम उच्च का चंद्रमा होने से उसकी दशा में वस्त्र, पुष्प आदि, स्त्री और धन की प्राप्ति होती है, तथा संतान उत्पत्ति से मनोविनोद होता है | उच्च का चंद्रमा होने से संतान, स्त्री, धन, दुग्ध, वस्त्र और आभूषण आदि की प्राप्ति होती है | विदेश यात्रा तथा स्वजनों से विरोध होता है | आरोही चंद्रमा होने से उसकी दशा में स्त्री, पुत्र, वस्त्र, और भोजन आदि का सुख, राज्य की प्राप्ति तथा देवार्चन में प्रवृत्ति होती है | अवरोही चंद्रमा होने से उसकी दशा में स्त्री, पुत्र, मित्र और वस्त्र आदि के सुख में कमी होती है | मानसिक वेदना, स्वजनों से विरोध, और चोर, अग्नि तथा राजा से भय होता है | जातक को कुआँ, पोखरा इत्यादि में गिरने का भी भय होता है |

नीच का चंद्रमा हो तो उसकी दशा में जातक को विपत्ति तथा अकस्मिक घटना से जंगल में निवास करना पड़ता है | यदि चन्द्रमा के ऊपर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो  कारागार में  बंधन आदि का दुख भोगना पड़ता है | राजा, अग्नि और चोर से भय, भोजन में संदेह तथा स्त्री पुत्र को कष्ट होता है | मूल त्रिकोण राशि में स्थित चंद्रमा की दशा में राजा से प्रतिष्ठा, आभूषण, वस्त्र तथा स्त्री पुत्र आदि का सुख मिलता है | माता से सुख और स्त्री प्रसंग आदि में चित्त की वृत्ति होती है | बंधुओं से विरोध करने के पश्चात जातक स्वयं उनका नायक हो जाता है | चंद्रमा के स्वगृही होने से भूमि से धन की प्राप्ति, राजा से सम्मान, कन्या की उत्पत्ति, बंधु जनों से सुख की प्राप्ति होती है | परन्तु इस अवधि में वेश्याओं के संग से बचना चाहिए |

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मित्र ग्रह में स्थित चंद्रमा की दशा होने से राजा से मित्रता, धन की प्राप्ति, कार्य में सफलता, नौकरी में उन्नति, जलद पदार्थों की प्राप्ति और चित्र विचित्र (रंग-विरंगे) वस्त्र आदि का लाभ होता है | ऐसा जातक चतुर और मिस्ट भाषी होता है | समगृही चंद्रमा की दशा में स्वर्ण और पृथ्वी का लाभ, किन्चित सुख, भी-बंध्यों को रोग और विदेश यात्रा होती है | शत्रु राशि गत चन्द्रमा होने से उसकी दशा में भूषण और वस्त्र आदि की कमी, प्रवासी तथा निम्न लोगों की सेवा करनी पड़ती है, एवं बंधु वर्ग आदि से हीन हो परदेस में दुखद मन से विचरता रहता है |

नीच नवांश में स्थित चंद्रमा की दशा में नाना प्रकार से अर्थ की हानि, रूचि रहित भोजन, बुरे मालिक मालिक की नौकरी, मानसिक वेदना, पैर और नेत्रों में रोग तथा विवाद में पराजय होती है | उच्च नवांश में यदि चंद्रमा हो तो उसकी दशा में देह की पुष्टि, अनेक प्रकार से धन प्राप्ति, राजा से सम्मान और जातक सुखी होता है | पूर्ण चंद्रमा की महादशा में जातक विद्या तथा पुस्तक आदि के प्रकाशन द्वारा राजा तथा जनता से सम्मानित, स्त्री और पुत्र आदि से बहुत सुखी एवं उत्तम कार्य करने की अभिरुचि होती है |

उच्च ग्रह के साथ चंद्रमा के रहने से उसकी दशा में चित्त में आनंद, स्त्री पुत्र नौकर और स्त्री प्रसंग आदि का सुख प्राप्त होता है | पाप ग्रह के साथ यदि चंद्रमा हो तो उसकी दशा में अग्नि, चोर और राजा से भय, स्त्री, संतान तथा बंधु जनों की हानि होती है | जातक को विदेश यात्रा करनी पड़ती है और बुरे कामों में उसकी प्रवृत्ति होती है |

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यदि चंद्रमा के ऊपर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो उसकी दशा में जातक परोपकारी और कीर्तिमान होता है | उसकी इच्छा की पूर्ति होती है, राजा से सम्मानित और जलद पदार्थों की प्राप्ति से जातक का चित्त अह्लादित होता है | पाप ग्रह की दृष्टि चंद्रमा पर रहने से उसकी दशा में जातक कार्यों में असफल, कुत्सित अन्न का भोजन करने वाला, और क्रोधी तथा उसकी माता अथवा मातृ पक्ष से किसी स्वजन की मृत्यु होती है | यदि अस्त चंद्रमा अर्थात अमावस्या का चंद्रमा हो तो ऐसी दशा में जातक को दुख, स्वजनों से विरोध, भार्या और माता को मृत्यु तुल्य कष्ट, कृषि में क्षति और राजा, अग्नि एवं चोरों से भय होता है |

chandra mahadasha fal – नोट – यह चन्द्रमा की महादशा का स्थूल फलादेश है चन्द्रमा की कुंडली में क्या स्थिति है यह देखकर ही सही निर्णय लिया जा सकता है | चन्द्रमा की सही स्थिति एवं उसका फल जानने के लिए हमसे संपर्क कर सकते हैं |

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) chandra mahadasha fal

प्रश्न 1. चन्द्र की महादशा में व्यक्ति को कौन-कौन से शुभ फल मिल सकते हैं?
➡ चन्द्र की महादशा में मानसिक शांति, पारिवारिक सुख, संतान की प्राप्ति, राजा से सम्मान, जल से संबंधित लाभ, वस्त्र, आभूषण, भोजन आदि का सुख मिलता है। कला, धर्म और परोपकार में रुचि बढ़ती है।

प्रश्न 2. चन्द्र की महादशा में किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है?
➡ यदि चन्द्र निर्बल या पाप ग्रहों से प्रभावित हो तो अर्थ हानि, मानसिक तनाव, रोग, स्वजनों से विरोध, भोजन में अशुद्धता, चोर-अग्नि का भय, माता-पत्नी को कष्ट आदि समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

प्रश्न 3. चन्द्र की महादशा का प्रभाव किन बातों पर निर्भर करता है?
➡ चन्द्र की स्थिति कुंडली में किस भाव, राशि और नवांश में है; वह किस ग्रह से दृष्ट है; उसका बल कैसा है; और शुभ-अशुभ ग्रहों से उसका संबंध कैसा है – इन सब पर महादशा का प्रभाव निर्भर करता है।

प्रश्न 4. चन्द्र की महादशा में किन उपायों से अशुभ प्रभाव कम किया जा सकता है?
➡ चन्द्र मंत्र का जाप, सोमवारी व्रत, माता की सेवा, दान, जल तत्व से जुड़े कार्य, ध्यान, संयमित भोजन और सकारात्मक सोच से चन्द्र की महादशा के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।

प्रश्न 5. क्या हर व्यक्ति को चन्द्र की महादशा में एक जैसा फल मिलता है?
➡ नहीं। प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली अलग होती है। चन्द्र की स्थिति, बल और ग्रहों के साथ संबंध के आधार पर महादशा के शुभ और अशुभ परिणाम अलग-अलग हो सकते हैं।

प्रश्न 6. चन्द्र की महादशा कितने वर्षों तक रहती है?
➡ सामान्यतः चन्द्र की महादशा 10 वर्षों तक चलती है। इस समय मानसिक और भावनात्मक जीवन पर इसका गहरा प्रभाव रहता है।

प्रश्न 7. क्या चन्द्र की महादशा में यात्रा लाभकारी होती है?
➡ हाँ, यदि चन्द्र शुभ स्थिति में हो तो विदेश यात्रा, जल से संबंधित कार्य, भूमि और संपत्ति से लाभ होता है। परंतु अशुभ चन्द्र होने पर यात्रा में बाधाएँ और समस्याएँ भी हो सकती हैं।

प्रश्न 8. चन्द्र की महादशा में किस तरह के कार्य करने चाहिए?
➡ धार्मिक कार्य, दान-पुण्य, माता की सेवा, जल संरक्षण, ध्यान, कला, शिक्षा और परोपकार जैसे कार्य चन्द्र की महादशा में शुभ परिणाम देते हैं।

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