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budh gocharfal

budh gocharfal-बुध गोचर फल

जन्मस्थ ग्रहों के ऊपर से बुध का गोचर –

(budh gocharfal) सूर्य आदि ग्रहों का जन्म कालीन ग्रहों पर तथा उनसे कुछ विशिष्ट स्थानों पर से गोचर, और उसका स्थिति तथा दृष्टि के प्रभाव द्वारा क्या फल होता है |

जन्म कुंडली के ग्रहों पर से जब गोचरवश ग्रह विचरण करते हैं, तो स्थान और राशि के अनुसार विशेष शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं | प्रस्तुत लेख में इसी विचरण से संबंधित कुछ उपयोगी जानकारी आप लोगों को दी जाएगी |

गोचर में बुध के संबंध में यह मौलिक नियम है, कि यदि बुध शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो शुभ और पापी ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो पाप फल करता है | इसलिए गोचर के बुध का फल उस ग्रह के फल के अनुरूप होता है, जिससे जन्म कुंडली में बुध अधिक प्रभावित होता है |

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जन्मस्थ सूर्य के ऊपर बुध का गोचर –

जन्म कुंडली में स्थित सूर्य के ऊपर से जब बुध गोचर वश आता है, तब यदि बुध शुभ ग्रहों से युक्त है तो व्यक्ति को अच्छे विचार, रोगों से छुटकारा, पद-प्रतिष्ठा, सम्मान की वृद्धि होती है | नौकरी आदि में उसे सम्मान प्राप्त होता है | यदि जन्म के समय बुध अशुभ ग्रहों से युक्त हो क्या अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो बुध मानसिक तनाव, वाणी में कठोरता, विवाद, सिर में पीड़ा, आंखों में परेशानी आदि अशुभ फल देता है |

जन्मस्थ चन्द्र के ऊपर बुध का गोचर – (budh gocharfal)

जन्म कुंडली में स्थित चन्द्र के ऊपर से जब बुध गोचर वश आता है, तब यदि बुध शुभ ग्रहों से युक्त है तो लिखने पढ़ने का अवसर नहीं मिलता | अशुभ तथा चिंताजनक समाचार मिलते हैं | व्यापार में कई प्रकार की परेशानियां खड़ी हो जाती हैं | किसी संबंधी से भी तू-तू मैं-मैं हो जाती है | यदि जन्म के समय बुध बलवान और शुभ है तो, ऊपर बताए गए फल का विपरीत फल प्राप्त होगा अर्थात शुभ फल प्राप्त होगा |

जन्मस्थ मंगल के ऊपर बुध का गोचर –

जन्म कुंडली में स्थित मंगल के ऊपर से जब बुध गोचर वश आता है, तब यदि बुध अशुभ ग्रहों से युक्त है तो, बड़े व्यापारियों के दो नंबर के खाते किसी शत्रु द्वारा शिकायत के कारण इसी गोचर में पकड़े जाते हैं | झूठी गवाही या जाली हस्ताक्षरों से संबंधित मुकदमे चलते हैं | लोग निंदा करते हैं | लेखकों  का प्रकाशकों से वाद विवाद होता है | उनकी पुस्तकों की सराहना नहीं होती | व्यापार में हानि होती है, तथा विशेषकर मातृ पक्ष के संबंधों को कष्ट होता है | और यदि जन्मस्थ बुध शुभ है तो ऊपर लिखे फल के बिपरीत फल मिलता है |

जन्मस्थ बुध के ऊपर बुध का गोचर – (budh gocharfal)

जन्म कुंडली में स्थित बुध के ऊपर से जब बुध गोचर वश आता है, तब यदि बुध शुभ ग्रहों से युक्त है तो, शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त होती है | पढ़ाई में मन लगता है | लेखन कार्य में रुचि बढ़ती है | और यदि इस अवधि में व्यक्ति कोई लेख लिखता है तो, उसकी सराहना भी की जाती है | शुभ समाचार प्राप्त होते हैं | पेटरोग, चरम रोग आदि से इस अवधि में छुटकारा मिलता है | और यदि जन्मस्थ बुध अशुभ हो तो इसके विपरीत फल मिलते हैं |

जन्मस्थ गुरु के ऊपर बुध का गोचर –

जन्म कुंडली में स्थित गुरु के ऊपर से जब बुध गोचर वश आता है, तब यदि बुध शुभ ग्रहों से युक्त है तो, विद्या में बढ़ोतरी, सम्बन्धियों से लाभ, व्यापार का प्रचार प्रसार होता है | लेखन कला में पारंगतता आती है | भाषण दक्षता तथा पर्याप्त धन देता है | और यदि बुध ग्रह आसुरी श्रेणी अर्थात शनि राहु अधिष्ठित  राशियों का स्वामी हो तो, फलों में विषमता आ जाती है अर्थात विपरीत फल प्राप्त होते हैं |

जन्मस्थ शुक्र के ऊपर बुध का गोचर – (budh gocharfal)

जन्म कुंडली में स्थित शुक्र के ऊपर से जब बुध गोचर वश आता है, तब यदि बुध शुभ ग्रहों से युक्त है तो, इस अवधि में सगे संबंधियों से खूब प्यार बढ़ता है | स्त्री वर्ग से तथा व्यापार से अधिक लाभ रहता है | यह फल तब ही होता है जब जन्मस्थ बुध अकेला हो | यदि बुध दुष्ट ग्रहों से प्रभावित हो तो गोचर का फल उसी ग्रह से संबंधित समझना चाहिए अर्थात परिवार में विवाद, परिवारिक व्यक्तियों से मनमुटाव, व्यापार में हानि, पत्नी का स्वास्थ्य खराब तथा स्वयं को उदर संबंधी बीमारियां होती है |

जन्मस्थ शनि के ऊपर बुध का गोचर –

जन्म कुंडली में स्थित शनि के ऊपर से जब बुध गोचर वश आता है, तब यदि बुध शुभ ग्रहों से युक्त है तो, इस अवधि में बुद्धि का नाश, विद्या में हानि, संबंधियों से वियोग, व्यापार में विशेष मंदी, कभी-कभी व्यापार बंद भी हो जाता है | मामा पक्ष से अनबन तथा आँतों के रोग होते हैं | और यदि बुध आसुरी ग्रहों से सम्बन्ध रखता हो तो धन में विशेष वृद्धि करता है |

जन्मस्थ राहु-केतु के ऊपर बुध का गोचर – (budh gocharfal)

राहु और केतु एक छाया ग्रह है और इनकी अपनी कोई राशि नहीं होती, इसीलिए शायद ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को गोचर में नहीं लिया गया | फिर भी जो अनुभव में आया है, उसके अनुसार राहु केतु के ऊपर जब गोचर वश बुध आता है, तो चर्मरोग, पेट से सम्बंधित व्याधियां, पढ़ाई में मन नहीं लगना मन का दुर्व्यसन की ओर आकर्षित होना आदि व्याधियां उत्पन्न होतीं हैं | बुध जन्म के समय जिस प्रकार के ग्रहों के प्रभाव में होता है उनका भी असर रहता है |

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