बुध की महादशा का फल
Budh Mahadasha Fal – बुध की महादशा का साधारण फल – बुध की महादशा में अपने से उम्र में एवं धन में बड़े मनुष्यों से, मित्र और कुटुंब द्वारा धन की प्राप्ति होती है | सुख तथा कीर्ति पाता है, धार्मिक कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त होता है | स्वर्ण आदि के क्रय-विक्रय से धन की प्राप्ति होती है | अनेक उद्यमों से धनवान, जनता का स्वामी और यज्ञ आदि करने वाला होता है, तथा कृषि कर्म में उसकी अभिरुचि होती है |
वह कारीगरी में कुशल, विद्या और संगीत का प्रेमी तथा स्थान का निर्माण करने वाला होता है | हास्य क्रीड़ा और सुख से जीवन व्यतीत करने वाला, भाई तथा पुत्र आदि से सुख प्राप्त करने वाला होता है, परंतु जातक को बात रोग का भय होता है | यदि बुध नीच अथवा छठे आठवें 12 बे भाव में बैठा हो तो जातक वात, पित्त, कफ रोग से पीड़ित होता है, और संचित धन का नाश होता है | साधारण रूप से बुध अपनी दशा में ऐसा फल देता है, परंतु बुध के अन्यान्य भेद अनुसार फल में परिवर्तन होता है जिसका उल्लेख नीचे किया गया है |
स्थिति अनुसार बुध महादशा के विशेष फल
बुध महादशा का विशेष फल – परम उच्च में स्थित बुध की महादशा में धन की प्राप्ति, सुख और ख्याति होती है | मनुष्य का स्वामित्व, ज्ञान और कीर्ति की उन्नति तथा पुत्र, भूमि, धन एवं भूमि की वृद्धि होती है | उच्च राशि में स्थित बुध की महादशा में महत्व की वृद्धि, धन से सुखी, शरीर से पुष्ट, घोड़े हाथी संतान और धनधान्य से पूर्ण होता है | उच्चाभिलाषी बुध की महादशा में यज्ञ उत्सव, बैल और गाय का सुख, वाणिज्य में उन्नति, परोपकार, धन तथा पृथ्वी आदि की प्राप्ति एवं वाहन, वस्त्र और भोजन आदि का सुख होता है |
नीचाभिलाषी बुध की महादशा में बहुत कष्ट और दुख होता है तथा बहुधा पर स्त्री गमन, ग्राम से तथा ज्ञान हीन होता है, ऐसे जातकों को चोर, अग्नि और राज्य से भय होता है | नीच राशि में स्थित बुध की महादशा में स्वजनों से विरोध, पद से पतन, कुटुंब की हानि, परदेस यात्रा और बनवास का दुख होता है | मूल त्रिकोण राशि में स्थित बुध की महादशा में धन सुख और कीर्ति की प्राप्ति होती है, धार्मिक पुस्तक तथा पुराण आदि की ओर रूचि एवं सत्य की खोज में ज्यादा जातक निमग्न रहता है | स्वगृही बुध की महादशा में धन संपत्ति, वाणिज्य, भूमि, स्त्री, संतान, सुंदर भोजन, आभूषण और वस्त्र आदि की प्राप्ति होती है | मित्र ग्रह बुध की दशा में राजा से प्रेम, स्त्री पुत्र और धन से सुख तथा बंधु जनों से सम्मान एवं आनंद की प्राप्ति होती है |
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मित्र गृही बुध की महादशा में धन और सुख की प्राप्ति होती है | जातक के नाम से पुस्तकों का प्रकाशन होता है, और जातक के नाम की भी ख्याति होती है | अति शत्रु गृही बुध की महादशा में शत्रु और राजा से भय, कुलहीन की सेवा से भोजन की प्राप्ति तथा स्त्री पुत्र आदि का नाश एवं जातक विद्या विहीन होता है | शत्रु गृही बुध की महादशा में विपद और दुख का आगमन, शुभ कर्मों का नाश, उत्सव आदि में विघ्न, स्वजनों से विरोध और उद्योग में कमी होती है | सम क्षेत्र गृही बुध की महादशा में अन्न धन और संतान का सुख प्राप्त होता है | भोजन आदि में कमी, उपवास, पद से पतन, चित्त में अशांति तथा चर्मादि रोग से जातक व्यथित होता है |
उच्च ग्रह बुध की महादशा में नाना प्रकार के सुख, वाणिज्य, कृषि, विद्या और भाग्योदय की प्राप्ति होती है | शुभ ग्रह के साथ बुध हो और उसकी दशा हो तो अति सुख, कीर्ति, स्त्री पुत्र आदि का सुख और राज्य की प्राप्ति होती है | पाप ग्रह युत बुध की महादशा में पाप कर्म की वृद्धि, धन, पृथ्वी, कृषि, धर्म और पुत्र आदि का नाश होता है | नीच ग्रह युत बुध की महादशा में नाना प्रकार के कष्ट, पद से च्युत, बंधु और कार्यों का नाश तथा मन में व्यथा होती है |
सूर्य के साथ बुध हो तो उसकी महादशा में नाना प्रकार की आपत्ति, मानसिक दुख, अपने परिवार के लोग और राजा से वैमनस्य, निंदा की बौछार तथा नेत्र रोग होता है | जन्म कुंडली में उच्च नवांश में स्थित बुध की महादशा हो तो संतान और आभूषण की प्राप्ति, मन में विलास तथा उत्साह एवं धैर्य, स्त्री प्रसंग और तीर्थ आदि में स्नान करने का सौभाग्य होता है |
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नीच नवांश में स्थित बुध की महादशा हो तो उसे निम्न वृत्ति से जीवन और अधीनता स्वीकारनी पड़ती है | वक्री बुध की महादशा में स्त्री संतान और धन की प्राप्ति, पुराण आदि श्रवण तथा समुद्र में स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त होता है | शुभ ग्रहों से दृष्ट बुध की महादशा में कीर्ति, विद्या की प्राप्ति से राज द्वार में सम्मान, यश और प्रताप की वृद्धि होती है | पाप ग्रहों से दृष्ट बुध की महादशा हो तो अन्न की हानि, बंधु जनों से वियोग, अपने पद से च्युति, विदेश यात्रा, छोटी नौकरी और परिवार में भी कलह होती है |
यदि जन्म कुंडली में बुध नीच राशि में स्थित हो और नवांश कुंडली में उच्च राशि में स्थित हो तो उसकी महादशा के आदि में अशुभ परंतु अंत में शुभ फल प्राप्त होता है | यदि जन्म कुंडली में बुध उच्च राशि में स्थित हो और नीच नवांश में स्थित हो तो उस की महादशा में शुक्रत, कीर्ति और धन की प्राप्ति होती है, परंतु इन सभी का विनाश भी तुरंत ही हो जाता है |
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