धनतेरस, धन, आरोग्य और अकाल मृत्यु से मुक्ति का पावन पर्व | पूजा विधि, कथा और खरीदारी के नियम
प्रस्तावना: दीपावली के पंचपर्व का शुभारंभ
Dhanteras Puja Vidhi – भारतीय संस्कृति में त्योहार केवल परंपराएँ नहीं हैं, बल्कि ये जीवन के विभिन्न पहलुओं—स्वास्थ्य, समृद्धि, ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति—के प्रति हमारी कृतज्ञता व्यक्त करने का माध्यम हैं। धनतेरस (धनत्रयोदशी), जिसे भारत सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। यह पाँच दिवसीय दीपावली महापर्व का प्रथम और अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है।
यह ‘धनतेरस’ शब्द ‘धन’ (संपत्ति/वैभव) और ‘तेरस’ (तेरहवीं तिथि) से मिलकर बना है। यह पर्व धन की देवी माता लक्ष्मी, धन के संरक्षक भगवान कुबेर और स्वास्थ्य के देव भगवान धन्वंतरि को समर्पित है। इस दिन की गई खरीदारी और पूजा, जीवन में तेरह गुना वृद्धि, आरोग्य और समृद्धि लाती है।

Dhanteras Puja Vidhi, पौराणिक और ऐतिहासिक आधार
धनतेरस का महत्व तीन प्रमुख पौराणिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है, जो इस पर्व के बहुआयामी स्वरूप को दर्शाती हैं:
1. समुद्र मंथन और भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य
यह धनतेरस का सबसे महत्वपूर्ण आधार है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण देवताओं का तेज और शक्ति क्षीण हो गई थी। इस समस्या के समाधान हेतु, देवताओं और असुरों ने मिलकर क्षीर सागर (दूध का सागर) का मंथन किया।
समुद्र मंथन के दौरान, चौदह रत्न निकले, और अंत में, भगवान विष्णु के अंशावतार भगवान धन्वंतरि अमृत से भरा हुआ कलश लेकर प्रकट हुए। उनके एक हाथ में अमृत कलश और दूसरे में आयुर्वेद का ग्रंथ था।
- यह तिथि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी थी।
- धन्वंतरि देव को देवताओं का चिकित्सक (वैद्य) माना जाता है, और उनका प्राकट्य आरोग्य, दीर्घायु और अमरता का प्रतीक है।
- इसलिए धनतेरस का पर्व धन और स्वास्थ्य का अद्भुत संगम है, जहाँ धन-संपदा के साथ-साथ निरोगी जीवन की कामना भी की जाती है।
2. Dhanteras Puja Vidhi, देवी लक्ष्मी और कुबेर का पूजन
समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि के कुछ समय बाद ही, देवी लक्ष्मी भी क्षीर सागर से प्रकट हुईं, जिन्होंने धन और ऐश्वर्य का कलश धारण किया था। यही कारण है कि धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा को दीपावली के लिए तैयारी के रूप में देखा जाता है।
इसके साथ ही, भगवान कुबेर, जो देवताओं के खजांची (संपत्ति के रक्षक) माने जाते हैं, उनकी पूजा भी अनिवार्य है। माना जाता है कि कुबेर की पूजा से तिजोरी में धन की स्थिरता आती है, जबकि लक्ष्मी जी की पूजा से धन का आगमन होता है।
3. यम दीपम (अकाल मृत्यु से रक्षा की कथा)
एक अन्य प्रसिद्ध कथा राजा हेमा के सोलह वर्षीय पुत्र से जुड़ी है। ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि विवाह के चौथे दिन साँप के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी। उसकी नवविवाहिता पत्नी ने उस fateful रात अपने पति को जगाए रखा।
- उसने महल के मुख्य द्वार के बाहर सोने और चाँदी के सिक्कों और आभूषणों का एक ढेर लगा दिया।
- उसने उस ढेर के चारों ओर असंख्य दीपक (दीये) प्रज्ज्वलित कर दिए।
- जब मृत्यु के देवता यमराज एक सर्प का रूप धारण करके आए, तो दीपों के तेज और सिक्कों की चमक से उनकी आँखें चौंधिया गईं। वे राजकुमार के कक्ष में प्रवेश नहीं कर पाए और सारी रात द्वार पर ही बैठकर राजकुमार की पत्नी द्वारा गाए जा रहे गीतों को सुनते रहे।
- अगली सुबह, यमराज बिना राजकुमार के प्राण लिए ही वापस लौट गए।
इस घटना के फलस्वरूप, उस राजकुमार का जीवन बच गया। तभी से धनतेरस की रात यमराज के निमित्त दीपदान की परंपरा शुरू हुई, जिसे यम दीपम कहा जाता है। यह दीपदान परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है।
Dhanteras Puja Vidhi और अनुष्ठान
धनतेरस पर तीन प्रमुख देवताओं (धन्वंतरि, लक्ष्मी, कुबेर) और यमराज की पूजा का विधान है। पूजा गोधूलि बेला (प्रदोष काल) में की जाती है।
1. धन्वंतरि देव पूजा
- उद्देश्य: उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति।
- विधि: भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें रोली, चंदन, अक्षत और पुष्प अर्पित करें। विशेष रूप से पीतल के बर्तन (जो उनके कलश का प्रतीक हैं) और औषधियों का भोग लगाएं।
- मंत्र:
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वन्तरये अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्व रोग निवारणाय त्रैलोक्यपथाय त्रैलोक्यनिधये श्री महाविष्णु स्वरूप श्री धन्वन्तरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्राय नमः॥
2. Dhanteras Puja Vidhi में लक्ष्मी-कुबेर पूजा
- उद्देश्य: धन-संपदा का आगमन और स्थिरता।
- विधि: एक स्वच्छ चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। खरीदी गई नई धातु (सोना/चाँदी/बर्तन), नए बही-खाते और धन रखने के स्थान (तिजोरी) की पूजा करें। धनिया के बीज और खील-बताशे का भोग लगाएं।
- कुबेर मंत्र:
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
3. Dhanteras Puja Vidhi में यम दीपम (दीपदान)
- उद्देश्य: परिवार को अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाना।
- विधि: प्रदोष काल के पश्चात्, घर के मुख्य द्वार पर और आँगन में तेरह दीपक जलाए जाते हैं। एक विशेष चौदहवाँ दीपक यमराज के लिए जलाया जाता है।
- यह दीपक घर के सबसे बुजुर्ग सदस्य द्वारा घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखा जाता है, ताकि यमदूतों का मार्ग भ्रमित हो जाए और वे परिवार के किसी सदस्य को न ले जा सकें।
- संकल्प: दीप रखते समय यमराज से अकाल मृत्यु से सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है।
धनतेरस पर खरीदारी (शुभ वस्तुएँ) Dhanteras Puja Vidhi
लोक मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदी गई वस्तुएँ तेरह गुना वृद्धि करती हैं और घर में स्थायी लक्ष्मी का वास कराती हैं।
- सोना और चाँदी का धार्मिक/आध्यात्मिक महत्व – शुद्धता, ऐश्वर्य और स्थायित्व का प्रतीक। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर समृद्धि लाता है।
- नए बर्तन का धार्मिक/आध्यात्मिक महत्व – भगवान धन्वंतरि के अमृत कलश का प्रतीक। खासकर पीतल (भगवान धन्वंतरि का प्रिय धातु) या चाँदी के बर्तन। बर्तन को खाली घर में लाना अशुभ माना जाता है, उसमें चावल या मिठाई भरकर लाएं।
- झाड़ू का धार्मिक/आध्यात्मिक महत्व – झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। यह घर से दरिद्रता और नकारात्मकता को बाहर करती है।
- साबुत धनिया का धार्मिक/आध्यात्मिक महत्व – धन में वृद्धि और खुशहाली का प्रतीक। इसे लक्ष्मी पूजा में अर्पित करके कुछ दाने गमले में बोना शुभ होता है।
- गोमती चक्र का धार्मिक/आध्यात्मिक महत्व – गोमती चक्र खरीदकर पूजा स्थल पर रखने से धन-धान्य में वृद्धि होती है।
वर्जित वस्तुएँ
इस दिन लोहे, एल्युमिनियम या प्लास्टिक से बनी वस्तुएँ खरीदना अशुभ माना जाता है। साथ ही, धारदार वस्तुएँ (चाकू, कैंची) और काले रंग की वस्तुएँ भी नहीं खरीदनी चाहिए।
Dhanteras Puja Vidhi तथा सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
- सफाई और नवीनीकरण: धनतेरस से पूर्व ही घरों की साफ-सफाई, लिपाई-पुताई और रंगाई-पुताई शुरू कर दी जाती है। माना जाता है कि लक्ष्मी केवल स्वच्छ घर में ही प्रवेश करती हैं।
- व्यापारियों का पर्व: यह व्यापारियों के लिए विशेष महत्व रखता है। वे पुराने बही-खातों को बंद करके इस दिन से नए बही-खातों की शुरुआत करते हैं, जिसे शुभ माना जाता है।
- आयुर्वेद दिवस: भगवान धन्वंतरि का जन्म दिवस होने के कारण यह आयुर्वेद चिकित्सकों और औषध क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उपसंहार
धनतेरस का पर्व हमें यह संदेश देता है कि जीवन में केवल धन (सम्पत्ति) ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य (आरोग्य) भी उतना ही आवश्यक है। यह पंचदिवसीय दीपावली उत्सव का मांगलिक द्वार है, जो हमें भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की समृद्धियों के लिए तैयार करता है।
इस दिन धन्वंतरि, लक्ष्मी, कुबेर और यमराज का पूजन हमें धन-वैभव, चिरंजीवी जीवन और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति का आशीर्वाद प्रदान करता है।
।। ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः ।। ।। ॐ धन्वन्तरये नमः ।।
Dhanteras Puja Vidhi से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. धनतेरस किस तिथि को मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है?
उत्तर:
धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का प्रथम दिन होता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और यमराज की पूजा की जाती है। इसका उद्देश्य धन, आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति करना है।
2. धनतेरस का नाम ‘धनतेरस’ क्यों पड़ा?
उत्तर:
‘धनतेरस’ शब्द ‘धन’ (संपत्ति/वैभव) और ‘तेरस’ (तेरहवीं तिथि) से बना है। यह दिन धन-संपत्ति और आरोग्य दोनों की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
3. धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर:
समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। वे देवताओं के वैद्य हैं और आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की जाती है।
4. धनतेरस और यम दीपदान का क्या संबंध है?
उत्तर:
धनतेरस की रात “यम दीपम” का विशेष महत्व है। इस दिन घर के द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाया जाता है ताकि यमदूत घर में प्रवेश न कर सकें। इससे परिवार को अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है।
5. धनतेरस पर कौन-सी वस्तुएँ खरीदना शुभ माना जाता है?
उत्तर:
इस दिन सोना-चाँदी, पीतल या चाँदी के बर्तन, झाड़ू, गोमती चक्र, साबुत धनिया, धातु के सिक्के और दीपक खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे घर में धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
6. धनतेरस पर किन वस्तुओं की खरीदारी नहीं करनी चाहिए?
उत्तर:
इस दिन लोहे, स्टील, एल्युमिनियम, धारदार वस्तुएँ (चाकू, कैंची), काले वस्त्र, और प्लास्टिक की वस्तुएँ खरीदना अशुभ माना गया है। साथ ही, इस दिन किसी को उधार देना या लेना भी टालना चाहिए।
7. क्या धनतेरस पर केवल धन की पूजा करनी चाहिए या स्वास्थ्य की भी?
उत्तर:
धनतेरस केवल धन-संपत्ति का ही नहीं बल्कि आरोग्य का भी पर्व है। भगवान धन्वंतरि की पूजा से स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त होती है, जबकि लक्ष्मी-कुबेर की पूजा से धन और समृद्धि आती है।
8. क्या धनतेरस पर दीप जलाना आवश्यक है?
उत्तर:
हाँ, धनतेरस की रात यमराज के लिए दीपदान (यम दीपम) अवश्य करना चाहिए। इसे घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा की ओर जलाया जाता है। यह दीपक परिवार को अकाल मृत्यु के भय से मुक्त करता है।
9. धनतेरस पर कौन-सा मंत्र जपना शुभ होता है?
उत्तर:
भगवान धन्वंतरि मंत्र:
“ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वन्तरये अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्व रोग निवारणाय नमः॥”
इस मंत्र के जप से स्वास्थ्य और रोगमुक्ति की प्राप्ति होती है।
10. धनतेरस को ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
क्योंकि भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना गया है। भारत सरकार ने उनके प्राकट्य दिवस को “राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस” के रूप में घोषित किया है ताकि आयुर्वेद के महत्व को जन-जन तक पहुँचाया जा सके।
11. क्या धनतेरस पर लक्ष्मी-कुबेर पूजा दीपावली पूजा से अलग होती है?
उत्तर:
हाँ, धनतेरस की पूजा मुख्य रूप से लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि देव की आराधना के लिए की जाती है। जबकि दीपावली की रात्रि लक्ष्मी-गणेश की विशिष्ट पूजा के लिए होती है।
12. धनतेरस का आध्यात्मिक संदेश क्या है?
उत्तर:
धनतेरस हमें सिखाता है कि धन तभी सार्थक है जब उसके साथ स्वास्थ्य और धर्म का संतुलन बना रहे। यह पर्व भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि दोनों का संदेश देता है।
इन्हें भी देखें :-
जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?