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karwa chauth vrat vidhi

Karwa Chauth Vrat Vidhi पूजा विधि, सामग्री, कथा, मुहूर्त और महत्त्व

karwa chauth vrat vidhi – भारत में विवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ (Karwa Chauth) का त्योहार सबसे खास होता है। यह सिर्फ एक उपवास नहीं, बल्कि पति-पत्नी के प्रेम, अटूट विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। हर सुहागिन स्त्री इस दिन अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना के लिए निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रखती है।

अगर आप पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही हैं, या इसकी सही विधि जानना चाहती हैं, तो यह विस्तृत जानकारी आपके लिए ही है। यहां हम जानेंगे करवा चौथ व्रत की संपूर्ण विधि (Karwa Chauth Vrat Vidhi), सरगी से लेकर चाँद को अर्घ्य देने तक के सभी महत्वपूर्ण नियम और पूजन सामग्री।

karwa chauth vrat vidhi
Karwa Chauth Vrat Vidhi

करवा चौथ व्रत की तैयारी: आवश्यक सामग्री और नियम

करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले और समापन चंद्रोदय के बाद होता है। इसे वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं |

1. पूजन सामग्री (Karwa Chauth Puja Samagri)

पूजा के लिए आपको निम्न सामग्री की आवश्यकता होगी, जिसे एक दिन पहले ही एकत्र कर लेना चाहिए:

  • करवा (मिट्टी का कलश): दो करवे लें। एक चंद्रदेव को अर्घ्य देने के लिए, और दूसरा भरने के लिए।
  • चाँद पूजा की थाली: इसमें दीपक, अगरबत्ती, अक्षत (चावल), फूल, मिठाई, पानी का लोटा, और छलनी रखें।
  • पूजा चौकी: करवा माता (देवी पार्वती), शिव, गणेश, कार्तिकेय की मूर्तिया तस्वीर स्थापित करने के लिए।
  • श्रृंगार सामग्री: रोली (कुमकुम), चंदन, हल्दी, अक्षत (चावल), पुष्प (फूल), और फल।
  • भोग के लिए: मिठाई, फल, और पूड़ी या अन्य सात्विक भोजन।
  • दीपक और घी या तेल: आरती और छलनी में रखने के लिए।
  • जल पात्र (कलश): व्रत की कथा सुनने के समय पास रखने के लिए।
  • छलनी (Sieve): चंद्र दर्शन और पति को देखने के लिए।
  • सुहाग की सामग्री: सिंदूर, बिंदी, मेंहदी, चूड़ियाँ, साड़ी (इन्हें पूजा में चढ़ाकर बाद में उपयोग करें)।
  • अर्घ्य सामग्री: कच्चा दूध और जल (चंद्रदेव को अर्घ्य देने के लिए)।
  • भरने के लिए: करवे में भरने हेतु गेहूं या चावल

2. सरगी (Sargi) और व्रत का संकल्प

करवा चौथ की शुरुआत सरगी से होती है।

  • सरगी क्या है: यह सूर्योदय से पहले सास द्वारा अपनी बहू को दी जाने वाली खाद्य सामग्री (फल, मिठाई, मेवे, फेनी/मिठाई और कपड़े) की थाली है। यह बहू को दिन भर ऊर्जावान रहने में मदद करती है।
  • व्रत का संकल्प: सरगी खाने के बाद, सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। हाथ में जल और फूल लेकर, देवी-देवताओं का स्मरण करते हुए निर्जला व्रत (बिना अन्न और जल) रखने का संकल्प लें।

karwa chauth vrat vidhi एवं पूजन विधि

व्रत के दिन सुबह संकल्प लेने के बाद, शाम के समय पूजा की मुख्य विधि शुरू होती है।

1. दीवार पर करवा चौथ की आकृति

  • शाम को पूजा शुरू करने से पहले, घर की उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) की दीवार पर गेरू (या लाल रंग) और चावल के घोल से करवा चौथ माता (देवी पार्वती) की तस्वीर या आकृति बनाएं। आजकल बाज़ार से लाई हुई तस्वीर का भी उपयोग किया जाता है।
  • इस आकृति के सामने एक साफ चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएँ।

2. देवताओं की स्थापना और पूजा

  • चौकी पर भगवान गणेश (बुद्धि और विघ्नहर्ता), देवी पार्वती (अखंड सौभाग्य की देवी), शिव जी और कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • गणेश जी को दूर्वा, मोदक (यदि उपलब्ध हो) अर्पित करें।
  • देवी पार्वती और अन्य देवताओं को रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प और फल अर्पित करें।
  • सुहाग की सभी सामग्री (चूड़ियाँ, सिंदूर, बिंदी आदि) देवी पार्वती के चरणों में अर्पित करें।
  • जल के कलश को स्थापित करें।

3. करवा पूजन और कथा श्रवण

  • दोनों करवे (मिट्टी के कलश) को स्थापित करें। एक करवे में पानी भरें और उसमें कच्चा दूध मिलाएँ (यह अर्घ्य के लिए है)। दूसरे करवे में गेहूं या चावल भरें।
  • एक थाली में आटे या मिट्टी के चौथ माता (गौरी माता का रूप) की छोटी मूर्ति बनाएं।
  • सभी सुहागिन स्त्रियाँ एक साथ बैठकर करवा चौथ व्रत कथा सुनती हैं। कथा सुनने के दौरान जल पात्र का होना शुभ माना जाता है। कथा सुनने के बाद सभी महिलाएँ अपनी सास या परिवार की बुजुर्ग महिला के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं।

करवा चौथ की कथा (karwa chauth vrat vidhi aur Katha)

करवा चौथ व्रत के पीछे कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें रानी वीरवती की कथा सबसे लोकप्रिय है:

  • रानी वीरवती की कहानी: वीरवती सात भाइयों की अकेली लाडली बहन थी। शादी के बाद जब उसने पहला करवा चौथ का व्रत रखा, तो वह पूरे दिन निर्जला रहने के कारण बहुत कमजोर हो गई। अपने बहन को कष्ट में देखकर, उसके भाइयों से रहा नहीं गया।
  • चाँद निकलने का छल: भाइयों ने बहन का व्रत तुड़वाने के लिए छल किया। उन्होंने पीपल के पेड़ की आड़ में एक दर्पण में रोशनी दिखाकर वीरवती से कहा कि चाँद निकल आया है। वीरवती ने उसे सच मानकर अर्घ्य दिया और अपना व्रत खोल लिया।
  • परिणाम: व्रत टूटने के तुरंत बाद ही, वीरवती को खबर मिली कि उनके पति की मृत्यु हो गई है। वीरवती अपनी गलती पर बहुत रोई और उसने पूरे वर्ष पूर्ण निष्ठा से व्रत किया।
  • देवी पार्वती का आशीर्वाद: वीरवती की तपस्या और निष्ठा देखकर देवी पार्वती ने उसे दर्शन दिए और आशीर्वाद दिया कि उसका पति पुनः जीवित हो जाएगा। वीरवती के सच्चे प्रेम और विश्वास के कारण उनके पति को नया जीवन मिला।
  • सीख: यह कथा यह दर्शाती है कि किसी भी व्रत को पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और सही विधि से ही करना चाहिए।
  • कथा समाप्त होने पर आरती करें।

4. करवा बदलना (केवल कुछ क्षेत्रों में)

  • कुछ क्षेत्रों में कथा सुनने के बाद, दो सुहागिन स्त्रियाँ अपने करवे का आदान-प्रदान करती हैं। वे इसे 6 या 7 बार बदलती हैं, इस दौरान लोकगीत और मंगल गीत गाए जाते हैं। यह मैत्री और अखंड सौभाग्य की कामना का प्रतीक है।

चंद्र दर्शन और व्रत का पारण (karwa chauth vrat vidhi aur Paran Vidhi)

करवा चौथ व्रत का सबसे महत्वपूर्ण और अंतिम चरण चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलना है।

1. चंद्रोदय की प्रतीक्षा

  • शाम की पूजा के बाद, महिलाएँ चंद्रमा के उदय होने की प्रतीक्षा करती हैं।
  • जब चंद्रमा उदय हो जाए, तो अपनी चाँद पूजा की थाली तैयार रखें।

2. चंद्र देव को अर्घ्य

  • सबसे पहले चंद्रमा के दर्शन करें।
  • छलनी में दीपक जलाकर रखें। इस छलनी से पहले चंद्रमा को देखें और फिर तुरंत उसी छलनी से अपने पति को देखें।
  • इसके बाद, करवे (जल और दूध वाला) से चंद्रमा को अर्घ्य (जल अर्पित करना) दें।
  • अर्घ्य देते समय निम्न लिखित मंत्र बोलें या मन ही मन अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करें।
  • मन्त्र – ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नमः
  • दूसरा मन्त्र – सौम्यरूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम। मम पूर्वकृतं पापं ओषधे क्षमस्व मे ||
  • कुछ माताएं यह गीत गातीं हैं
    हरे बांस की छाबड़ी गल मोतियन का हार, चांद को अर्ग देऊं जिए मेरे भाई भरतार।

आंख तले मेरा सासरा ढाक तले नंदसार, पीहर सासरा ऐसो बसे जैसे कीड़ी केसो नाल

3. व्रत का पारण

  • चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद, पति अपने हाथ से पत्नी को पानी पिलाकर या एक निवाला खिलाकर व्रत का पारण (समापन) कराते हैं।
  • इसके बाद पत्नी भी उन्हें मिठाई खिलाती हैं।
  • व्रत खोलने के बाद आप सामान्य भोजन कर सकती हैं। इस दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
  • पति द्वारा पत्नी को इस समय कोई उपहार देना भी शुभ माना जाता है।

karwa chauth vrat vidhi और कुछ महत्वपूर्ण नियम

व्रत के दौरान किन बातों का पालन करना चाहिए और किनसे बचना चाहिए, यहाँ उनकी सूची है:

क्या करें

पूरे दिन निर्जला रहें: व्रत के दौरान अन्न या जल ग्रहण न करें।

  • व्रत का संकल्प लें: सरगी खाने के बाद, सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
  • सोलह श्रृंगार करें: पूरे दिन सोलह श्रृंगार (मेंहदी, चूड़ी, सिंदूर आदि) करके रहें। यह सौभाग्य का प्रतीक है।
  • श्रद्धा और विश्वास: व्रत को पूरी निष्ठा, श्रद्धा और सकारात्मक विचारों के साथ करें।
  • बड़ों का सम्मान: अपनी सास और घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लें। सास को बायना (उपहार) दें।
  • शुभ मुहूर्त में पूजा: शाम की पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करें और व्रत कथा सुनें।
  • सात्विक भोजन: व्रत खोलने के बाद प्याज, लहसुन और मांसाहार रहित सात्विक भोजन ही करें।

क्या न करें

सफेद या काले वस्त्र: इस दिन इन रंगों के वस्त्र पहनना अशुभ माना जाता है। लाल, पीला, गुलाबी जैसे शुभ रंग ही पहनें।

  • किसी को अपशब्द कहना: क्रोध, विवाद या कटु वचन का प्रयोग न करें। शांत और सकारात्मक रहें।
  • सोते हुए व्यक्ति को जगाना: दिन में किसी भी सोते हुए व्यक्ति को जगाना अशुभ माना जाता है।
  • सुहाग सामग्री फेंकना: सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि सुहाग के सामान का अपमान न करें या उन्हें कूड़े में न डालें।
  • धारदार चीज़ों का इस्तेमाल: कैंची या चाकू जैसी धारदार चीज़ों का इस्तेमाल करने से बचें।

विवाहित महिलाओं के लिए विशेष बातें

  • पहली सरगी: यदि आपकी पहली करवा चौथ है, तो सरगी का भोजन बहुत महत्वपूर्ण है। इसे सास के हाथ से लेना सबसे शुभ होता है।
  • सात्विक भोजन: व्रत खोलने के बाद प्याज, लहसुन और मांसाहार रहित सात्विक भोजन ही करें।
  • पूजन समय: शाम की पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।

करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते की गहराई को दर्शाता है। यह एक आध्यात्मिक अभ्यास है जो आपके जीवनसाथी के लिए आपके निःस्वार्थ प्रेम और दीर्घायु की कामना को सिद्ध करता है। इस व्रत को सच्चे मन और पूरी विधि-विधान से करने पर निश्चित ही माता करवा (देवी पार्वती) और चंद्रदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे आपके वैवाहिक जीवन में प्रेम, सुख और समृद्धि बनी रहती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) -karwa chauth vrat vidhi

Q.1. क्या कुँवारी लड़कियाँ करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं?

उत्तर: हाँ, कुँवारी लड़कियाँ भी करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं, लेकिन उनकी व्रत विधि थोड़ी अलग होती है। वे इस व्रत को मनचाहे और योग्य जीवनसाथी की कामना के लिए रखती हैं। कुँवारी लड़कियाँ निर्जला व्रत के बजाय सरल व्रत रखती हैं, जिसमें वे तारों को देखकर व्रत खोल सकती हैं (चाँद को नहीं) और उन्हें छलनी का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं होती। वे केवल माता पार्वती की पूजा करती हैं।

Q.2. करवा चौथ का व्रत निर्जला क्यों रखा जाता है?

उत्तर: करवा चौथ का व्रत निर्जला (बिना पानी) इसलिए रखा जाता है क्योंकि यह व्रत पत्नी के अटूट प्रेम, समर्पण और त्याग को दर्शाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इतना कठोर तप करके ही पति की लंबी आयु और स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त होता है। यह व्रत की सर्वोच्च निष्ठा को प्रकट करता है।

Q.3. क्या करवा चौथ के दिन पति भी व्रत रख सकते हैं?

उत्तर: हाँ, आजकल बहुत से पति भी अपनी पत्नी के प्रति प्रेम और समर्थन दर्शाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखते हैं। यह एक बहुत ही शुभ और प्रेमपूर्ण कार्य माना जाता है। हालाँकि, यह धार्मिक रूप से अनिवार्य नहीं है, यह पूरी तरह से स्वेच्छा और आपसी प्रेम पर निर्भर करता है।

Q.4. अगर करवा चौथ के दिन चंद्रमा न दिखे तो व्रत कैसे खोलें?

उत्तर: यह समस्या अक्सर मौसम खराब होने पर आती है। यदि चंद्रमा न दिखे तो व्रत खोलने के लिए:

  1. चाँद निकलने के शुभ मुहूर्त का समय नोट करें।
  2. शुभ मुहूर्त निकलने के बाद, घर के पूजा स्थल पर चाँद की पूजा करें और चंद्रदेव का ध्यान करें।
  3. इसके बाद, अपने पति को छलनी से देखें और उनसे पानी पीकर या भोग खाकर व्रत का पारण (समापन) कर लें।

Q.5. सरगी क्या है और यह कौन देता है?

उत्तर: सरगी सूर्योदय से पहले खाया जाने वाला वह भोजन है जो पत्नी को दिन भर के निर्जला व्रत के लिए ऊर्जा देता है। यह परंपरा के अनुसार, सास अपनी बहू को देती हैं। सरगी में फल, मेवे, मिठाई और श्रृंगार का सामान शामिल होता है। यह सास-बहू के रिश्ते में प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक है।

Q.6. व्रत का पारण (व्रत तोड़ना) कैसे और किस समय करना चाहिए?

उत्तर: व्रत का पारण चंद्र दर्शन और चंद्रमा को अर्घ्य देने के तुरंत बाद किया जाता है।

  1. सबसे पहले चंद्रदेव को अर्घ्य दें।
  2. इसके बाद, पति के हाथ से पानी पीकर या भोजन का पहला निवाला खाकर व्रत का पारण करें।
  3. व्रत का पारण हमेशा शुभ चंद्रोदय समय के बाद ही करना चाहिए।

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