आर्थिक समृद्धि के सरल एवं सटीक उपाय
lakshmi prapti ke upay – आज आर्थिक समृद्धि प्रत्येक व्यक्ति की सबसे पहली इच्छा होती है | और सही भी है क्योंकि धन के माध्यम से ही जीवन की सभी महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध होते हैं | हमारे शास्त्रों में भी धन को उच्च स्थान प्राप्त हुआ है | धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों का उल्लेख हमारे ऋषि मुनि करते आये हैं | इसमें अर्थ (धन) दुसरे नंबर पर आता है | धर्म प्रथम स्थान पर आया है और धन दुसरे स्थान पर क्योंकि धन के बिना धर्म भी नहीं होता |
हमारे ज्योतिष में देखें तो लग्न अर्थात शरीर और शरीर मिला है तो उस शरीर को चलने के लिए धन की आवश्यकता पड़ेगी | इसलिए लग्न के बाद दूसरा स्थान धन का है | क्योंकि दूसरे स्थान से धन, कुटुंब-परिवार तथा बुद्धि का विचार करते हैं | मनुष्य शरीर को सबसे पहले धन, कुटुंब-परिवार तथा बुद्धि की सबसे पहली जरुरत होती है |
प्रत्येक व्यक्ति की पहली इच्छा होती है अपनी इच्छाओं की पूर्ति, उसके लिए वह प्रयास भी करता है परन्तु जरुरी नहीं कि उसकी हर इच्छा पूर्ण हो | क्योंकि कभी उसके ग्रह साथ नहीं देते तो कभी व्यक्ति गलत व्यवसाय का चुनाव कर लेता है | व्यवसाय का चुनाव यदि ज्योतिषीय परामर्श से किया जाय तो सफ़लता निश्चित मिलती है | इसी प्रकार शिक्षा का चयन भी ज्योतिषीय गणना के अनुसार करना चाहिए |
दरिद्रता नाशक अनुष्ठान
किसी कारण वश व्यक्ति की आकांक्षाओं की पूर्ति नहीं हो पा रही है तो व्यक्ति को सरल एवं सात्विक उपायों का सहारा लेना चाहिए | यहाँ पर आर्थिक समृद्धि के सरल एवं सटीक उपाय दिए गए हैं | जिनको श्रद्धा एवं विशवास के साथ करने से अवश्य लाभ प्राप्त होगा |
अर्थ अर्थात धन की बात करते ही सबसे पहले हमारे मन में माता लक्ष्मी याद आती है | और आर्थिक समृद्धि के लिए सभी माता लक्ष्मी की ही आराधना करते हैं | वैसे तो माता लक्ष्मी के अनेक उपाय हमारे वेद शास्त्रों से लेकर तंत्र-मन्त्र के सभी ग्रंथों में वर्णित हैं | यहाँ पर हम कुछ अनुभूत एवं सरल साध्य उपाय प्रस्तुत कर रहे हैं | जिनको आप आसानी से कर सकें और उनसे अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति कर सकें |
यहाँ पर हमने उपायों को तिन श्रेणी में रखा है | सामान्य उपाय – सामान्य उपाय में वैदिक मन्त्रों का जाप, विशेष उपाय – विशेष उपाय में तांत्रिक दुर्लभ वस्तुओं के माध्यम से लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना | और तीसरा है ज्योतिषीय उपाय – इसमे रत्न धारण करना, ग्रहों की शांति के लिए उपाय करना साथ ही कुछ टोटके सम्मिलित रहेंगे |
सामान्य उपाय – सामान्य उपाय में सबसे पहले आता है श्रीसूक्त का पाठ करना | श्री सूक्त भी दो प्रकार के होते हैं | एक पुराणोक्त श्री सूक्त और दूसरा वेदोक्त श्री सूक्त | पुराणोक्त श्री सूक्त धन वृद्धि के लिए रामबाण सिद्ध होता है और वेदोक्त श्री सूक्त का पाठ श्री यंत्र को सिद्ध करने के लिए किया जाता है |
पुराणोक्त श्री सूक्त (lakshmi prapti ke upay)
इस श्री सूक्त का पाठ करने की विधि इस प्रकार है | सर्व प्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए | तत्पश्चात माता लक्ष्मी की मूर्ति, फोटो जो भी उपलब्ध हो, को लकड़ी के पाटे पर स्वेत वस्त्र विछाकर फूलों का आसन देकर स्थापित करें | उसके बाद दांये हाँथ में जल लेकर अमुक नाम, अमुक पिता, अमुक गोत्र, स्थान आदि बोलकर मम स कुटुम्वस्य स परिवारस्य नित्य कल्याण प्राप्ति अर्थं अलक्ष्मी विनाशापूर्वकं दशविध लक्ष्मी प्राप्ति अर्थं श्री महालक्ष्मी प्रीत्यर्थ यथा शक्ति श्री सूक्त पाठे विनियोगः | हाँथ में लिए हुआ जल वहीँ पृथ्वी पर छोड़ दें |
तत्पश्चात विनियोग, फिर माता लक्ष्मी का ध्यान करना चाहिए | उसके बाद पुराणोक्त श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए | पुराणोक्त श्री सूक्त एवं सम्पूर्ण विधि यहाँ देखें |
आर्थिक समृद्धि के लिए सबसे सरल उपाय है माता लक्ष्मी जी के मन्त्रों का जाप करना | आपकी सुविधा अनुसार कुछ लक्ष्मी मन्त्र यहाँ दिए हैं आप सुविधा अनुसार किसी भी लक्ष्मी मन्त्र का जाप कर सकते हैं |
मन्त्र – (lakshmi prapti ke upay)
1- ॐ श्रीं नमः ||
2- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्ये अस्माकं दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि-देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ||
3- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं श्री महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय-पूरय चिंताये दूरय-दूरय स्वाहा ||
4- ॐ सर्वबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्य सुतान्वितः | मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ||
5- ॐ श्री महालक्ष्म्ये च विद्महे विष्णु पत्न्ये च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात ||
6- ॐ श्रीं श्रियै नमः ||
7- ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ज्येष्ठ लक्ष्मी स्वयम्भुवे ह्रीं ज्येष्ठाये नमः ||
8- ॐ ह्रीं क्लीं महलक्ष्म्ये नमः ||
9- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्ध लक्ष्म्ये नमः ||
10- ॐ नमः धनदाये स्वाहा ||
11- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्ये नमः ||
विधि (lakshmi prapti ke upay)
उपरोक्त मन्त्रों में से आप किसी भी मन्त्र का जाप कर सकते हैं | अब जान लेते हैं जप करने की विधि – वैसे तो आप इन मन्त्रों को किसी भी दिन से आरम्भ कर सकते हैं | किन्तु यदि आप शुभ मुहूर्त में आरम्भ करते हैं तो और भी अच्छा रहेगा | वारों में किसी भी शुक्लपक्ष के शुक्रवार से आरम्भ कर सकते हैं | या दीपावली, होली, शिवरात्रि या किसी भी नवरात्रि से आरम्भ कर सकते हैं | यदि कोई ग्रहण होता है तो उस दिन से भी आप आरम्भ कर सकते हैं | इन मन्त्रों का जाप स्फटिक की माला से करना चाहिए | माला यदि प्राण प्रतिष्ठित हो तो मन्त्र की सिद्धि शीघ्र प्राप्त होती है | प्राण प्रतिष्ठित स्फटिक माला यहाँ से प्राप्त करें |
उपाय 3- (lakshmi prapti ke upay)
यदि आपके पास धन आता तो है परन्तु किसी न किसी प्रकार नाश हो रहा है | यदि आप किसी को पैसा देते हैं तो वापिस नहीं मिलता, या बार-बार चोरी हो रही है, या घर में कोई लम्बी बीमारी से जूझ रहा है और उसमे धन का नाश हो रहा है अथवा अचानक कोई न कोई समस्या आ जाती है जिसके कारण धन का नाश हो रहा है तो आप यह उपाय करें |
एक पानी वाला जटा युक्त नारियल लेकर अपनी लम्बाई का सूती धागा अर्थात मोली ले लें | मोली में जितने धागे हों उससे कोई अंतर नहीं पड़ता किन्तु किसी भी धागे में गठान नहीं होना चाहिए | उस धागे को आप नारियल के ऊपर लपेट दें ध्यान रखे धागे में गठान नहीं लगानी है | इस धागा लपटे हुए नारियल को आप अपने ऊपर से सात बार सीधे (clockwise) उतार कर बहते जल में प्रवाहित कर दें |
गृह कलेश निवारण पूजा (lakshmi prapti ke upay)
इस प्रयोग को करते समय आपको दो बातों का विशेष ध्यान रखना है | पहली बात – यह प्रयोग आपको शनिवार को करना है और सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही करना है अर्थात दिन के रहते इस प्रयोग को करें | दूसरी बात – नारियल को जल में प्रवाहित करते समय आपक मुख उस और होना चाहिए जल का बहाव जिस ओर हो | इस प्रयोग को लगातार तीन शनिवार तक करें आपको आर्थिक समृद्धि होने लगेगी और बुरे दिन समाप्त हो जायेंगे |
उपाय 4 – सुख समृद्धि के लिए यह भी एक विलक्षण प्रयोग है | यह प्रयोग को आप किसी भी शुक्लपक्ष के गुरुवार से आरम्भ करें | आप एक लोहे की चपटी चावी ले लें | यदि आप प्रतिदिन पूजन पाठ करते हैं तो अति उत्तम है और यदि नहीं करते तो कुछ दिन इस प्रयोग को अवश्य करें | आप जिस भी धर्म से हैं आपने धर्म का कोई भी ग्रन्थ ले लें | और उस ग्रन्थ को पढ़ना आरम्भ करें |
आप जहां तक उस ग्रन्थ को एक दिन में पढ़ सकते हैं पढ़ें फिर जिस प्रकार किसी कागज़ आदि से क्षेपक लगते हैं उसी प्रकार उस चावी को क्षेपक के रूप में उपयोग करें | चावी को उपयोग करने से पहले उसे लाल वस्त्र में लपेट लें | इसी प्रकार प्रतिदिन पाठ करें और पाठ समाप्ति के बाद चावी को आगे क्षेपक की तरह आगे बढ़ाते जाएँ | जिस दिन ग्रन्थ समापन हो उसके बाद उस चावी को कुबेर की चावी की भावना से अपने पर्स में या धन रखने के स्थान पर रखदें | इस प्रयोग से आपको बहुत ही जल्दी लाभ मिलने लगेगा |
कनक धारा स्त्रोत पाठ
मित्रो आगे अनेक सरल एवं सटीक प्रयोग प्रस्तुत करते रहेंगे | यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी या आपने इसे किया और आपको फायदा हुआ तो आप अपने मित्रों, रिश्तेदारों तथा जानने वालो को अवश्य शेयर करें ताकि उनका भी भला हो सके | धन्यवाद |
जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?