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navagraha stotram

navagraha stotram,नवग्रह स्त्रोत पाठ एवं विधि

नवग्रह स्त्रोत पाठ एवं विधि

navagraha stotram, इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाले सभी वर्गों के मनुष्यों को नवग्रह स्त्रोत का पाठ करना चाहिए | जिन व्यक्तियों को अपनी जन्म तारीख जन्म समय मालूम हो या न हो इस नवग्रह स्त्रोत का पाठ सभी को करना चाहिए |

नवग्रहों में सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु ये नव ग्रह होते हैं | और प्रत्येक ग्रह किसी न किसी रूप में अपना प्रभाव डालते हैं | सूर्य आत्मा का कारक होने के कारण व्यक्ति को आत्मबल प्रदान करता है | चन्द्र मन का कारक है, इसलिए मनोवल को मजबूत करता है |

नवग्रह स्त्रोत के पाठ से आपको नकारात्मक फल देने वाले ग्रहों की नकारात्माकता कम हो जाती है | और जो ग्रह आपकी कुण्डली में अच्छा फल देने वाले हैं वो और भी मजबूत होकर अधिक शुभता तो देते ही हैं, साथ में उन नकारात्मक प्रभाव देने वाले ग्रहों की नकारात्मकता को भी कम करते हैं | और आपके बिगड़े काम बनने लगते हैं |

यह नवग्रह स्त्रोत व्यक्ति प्रत्येक कार्य क्षेत्र में सहायक होता है | चाहे आप व्यापर करते हो या फिर नोकरी | आप एक गृहणी हैं या राजनेता, और यदि आप विद्द्यार्थी हैं तो भी एक पाठ इसका नियमित करना चाहिए | यह नवग्रह स्त्रोत का पाठ प्रत्येक क्षेत्र में सफलता देता है |   

तुलसीदास कृत हनुमान बाहुक

इसी प्रकार प्रत्येक ग्रह किसी न किसी के कारक होने के कारण अपना-अपना प्रभाव दिखाते हैं | और हमें इन ग्रहों से जुडी हुई हर शक्ति की आवश्यकता होती है | वैसे ज्योतिष शास्त्र में प्रत्येक ग्रह के अलग-अलग मन्त्र दिए हैं | जिन्हें विधिवत अनुष्ठान करके ग्रहों को मजबूत बनाना चाहिए | परन्तु इसमे एक कठिनाई भी है तंत्र शास्त्र के अनुसार कुछ मन्त्रों का जप घर में नहीं किया जाता | क्योंकि इससे लाभ के जगह हानि होती है |

परन्तु समयाभाव के कारण मनुष्य प्रत्येक ग्रह का विधिवत अनुष्ठान नहीं कर सकता | इसलिए व्यक्ति को नवग्रह स्त्रोत का पाठ करना चाहिए | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एवं तंत्र शास्त्र के अनुसार नवग्रह स्त्रोत के जप की अनेक विधियां बताईं गयीं हैं | कुछ विधियां बहुत कठिन हैं | यहाँ पर आपके सुविधानुसार सरल से सरल विधि दी जा रही है | जिसे प्रत्येक व्यक्ति आसानी से कर सकता है |

सरल विधि (navagraha stotram)

एक लकड़ी के पाटे पर सफ़ेद वस्त्र बिछाकर उस पर चावल की नौं ढेरी बनाना चाहिए | उन्हीं नव ढेरी पर नौं सुपारी, नौं haldi की गाँठ और नौं सिक्के रख लेना चाहिए | आप चाहें तो बहुत सुन्दर तरीके से चावलों को रंग कर नवग्रहों की स्थापना कर सकते हैं | या नवग्रह मंडल का चित्र भी रख सकते हैं |

प्रतिदिन स्नानादि से निवृत्त होकर नवग्रह मंडल का विधिवत पूजन करना चाहिए | तत्पश्चात हाँथ में अक्षत लेकर नवग्रह स्त्रोत का पाठ करना चाहिए | पाठ सम्पूर्ण कर अक्षत वहीँ छोड़ देना चाहिए | यह क्रिया रविवार से आरम्भ करनी चाहिए |

यदि आप किसी प्रकार की मनोकामना की पूर्ति के लिए इसका प्रयोग करते हैं, तो आपको संकल्प में उक्त मनोकामना को बोलते हुए पाठ की संख्या का भी उल्लेख करना पड़ेगा | और आप यह अनुष्ठान कितने दिन का करते हैं, इसके लिए भी संकल्पित होना पड़ेगा | आपकी मनोकामना जो ग्रह पूरी कर सकता है, उदहारण के लिए आपको पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान की वृद्धि के लिए प्रयोग करना है तो आपको सूर्य मन्त्र का सम्पुट लगाकर पाठ करना चाहिए |

पाठ सम्पूर्ण होने के पश्चात् जितना पाठ आपने किया है उसका दशांश अर्थात दस प्रतिशत हवन करना चाहिए | हवन के बाद तर्पण तथा ब्रम्हाण भोजन भी कराना चाहिए | आपका कार्य नवग्रहों की कृपा से अवश्य सम्पूर्ण होगा |   

अथ नवग्रह स्तोत्र (navagraha stotram)

श्री गणेशाय नमः

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महदद्युतिम् |

तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम् || १ ||

दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम् |

नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् || २ ||

धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांति समप्रभम् |

कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणाम्यहम् || ३ ||

प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम् |

सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् || ४ ||

देवानांच ऋषीनांच गुरुं कांचन सन्निभम् |

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् || ५ ||

हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् |

सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् || ६ ||

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् |

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम् || ७ ||

अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनम् |

सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् || ८ ||

पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम् |

रौद्रंरौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् || ९ ||

इति श्रीव्यासमुखोग्दीतम् यः पठेत् सुसमाहितः |

दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्न शांतिर्भविष्यति || १० ||

नरनारी नृपाणांच भवेत् दुःस्वप्ननाशनम् |

ऐश्वर्यमतुलं तेषां आरोग्यं पुष्टिवर्धनम् || ११ ||

ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्निसमुभ्दवाः |

ता सर्वाःप्रशमं यान्ति व्यासोब्रुते न संशयः || १२ ||

|| इति श्री वेद व्यास विरचितम् आदित्यादी नवग्रह स्तोत्रं संपूर्णं ||

यदि किसी कारण से आप स्वयं इस प्रयोग को नहीं कर सकते, तो आप किसी ब्रम्हाण द्वारा अपने घर पर करा सकते हैं | और यदि आप घर पर भी करने में सक्षम नहीं है तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं | हमारे यहाँ सभी प्रकार के अनुष्ठान योग्य ब्राम्हणों द्वारा हमारी देखरेख में होते हैं | आपकी मनोकामना के अनुसार किस मुहूर्त में और किस मन्त्र के सम्पुट के साथ अनुष्ठान करना चाहिए, इन सभी बातों पर विचार करके अनुष्ठान आरम्भ किया जाता है | जिससे आपको पूर्ण फल प्राप्त हो सके | और आप लाभान्वित हो सकें |

प्रयोग में आपसे प्राप्त जानकारी (navagraha stotram)

जिस व्यक्ति के नाम से अनुष्ठान होना है उनका नाम, पिता/पति का नाम, गोत्र और आपका वर्त्तमान स्थान जहां पर आप अभी रह रहे हैं | और अपका पोस्टल पता जिस पते पर पोस्ट आफिस द्वारा आपके पास आपकी मनोकामना के अनुसार अनुष्ठान में निर्मित यन्त्र आपके पास भेजा जा सके | यह समस्त जानकरी आप हमारे Whatsapp नम्बर पर भेज सकते हैं | इस प्रयोग की दक्षिणा आपके अनुष्ठान के आधार पर निर्धारित होगी |

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