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Radha Kund Snan Vidhi

अहोई अष्टमी पर संतान प्राप्ति के लिए राधा कुंड स्नान की संपूर्ण विधि, कथा और महत्व

Radha Kund Snan Vidhi – भारत में, संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले निसंतान दम्पत्तियों के लिए मथुरा के पास स्थित राधा कुंड (Radha Kund) और श्याम कुंड (Shyam Kund) का विशेष महत्व है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, जिसे अहोई अष्टमी भी कहते हैं, उस दिन मध्यरात्रि में यहाँ स्नान करने का विधान है।

माना जाता है कि अहोई अष्टमी की रात इन कुंडों में पति-पत्नी एक साथ डुबकी लगाते हैं और सच्चे मन से राधा रानी से प्रार्थना करते हैं, तो उन्हें शीघ्र ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।

अगर आप इस पवित्र और चमत्कारिक स्नान को करने जा रहे हैं, तो यहाँ राधा कुंड स्नान की संपूर्ण विधि (Radha Kund Snan Vidhi), इसका महत्व, कथा और अनुष्ठान के नियम दिए गए हैं।

Radha Kund Snan Vidhi
Radha Kund Snan Vidhi

1. राधा कुंड स्नान का महत्व और तिथि (Significance and Date)

राधा कुंड स्नान का अनुष्ठान हजारों वर्षों से चला आ रहा है और यह मथुरा-वृंदावन क्षेत्र की सबसे पवित्र परंपराओं में से एक है।

स्नान का महत्व

  • संतान प्राप्ति का वरदान: यह स्नान मुख्य रूप से उन दम्पत्तियों के लिए है जिनकी गोद सूनी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्वयं राधा रानी ने इस कुंड में स्नान करने वाले निसंतान दम्पत्तियों को पुत्र या पुत्री का आशीर्वाद दिया था।
  • पापों से मुक्ति: कुंड में डुबकी लगाने से सभी प्रकार के पापों का शमन होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • दाम्पत्य प्रेम: पति-पत्नी का एक साथ स्नान करना उनके अटूट प्रेम और एक-दूसरे के प्रति समर्पण को दर्शाता है, जो राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है।

स्नान की तिथि

  • तिथि: राधा कुंड स्नान प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। यही तिथि अहोई अष्टमी के रूप में भी मनाई जाती है।
  • समय: स्नान का सबसे शुभ समय अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि (रात 12 बजे) माना जाता है। इस समय सभी तीर्थों का जल कुंड में विद्यमान होता है। स्नान मध्यरात्रि से शुरू होकर अगली सुबह तक चलता है।

2. Radha Kund Snan Vidhi और पौराणिक कथा

राधा कुंड के प्राकट्य (उत्पत्ति) की कथा द्वापर युग से जुड़ी हुई है:

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अरिष्टासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिसने बैल का रूप धारण कर रखा था। राधा रानी ने श्रीकृष्ण को बताया कि बैल गौवंश का प्रतीक होता है, इसलिए उन्हें गौ-हत्या का दोष लगा है और इस दोष को मिटाने के लिए उन्हें सभी तीर्थों के जल में स्नान करना होगा।

तब श्रीकृष्ण ने अपनी बाँसुरी से भूमि पर आघात किया, जिससे एक कुंड प्रकट हुआ। श्रीकृष्ण ने सभी तीर्थों का आह्वान किया और कुंड में स्नान करके गौ-हत्या के दोष से मुक्त हुए। इसे श्याम कुंड कहा गया।

यह देखकर राधा रानी ने भी अपने कंगन से श्याम कुंड के पास ही एक और कुंड खोदा। श्रीकृष्ण ने राधा रानी से कहा कि सभी तीर्थ आपके कुंड में आ जाएँ। इस तरह, सभी तीर्थों के जल से राधा रानी का कुंड भी भर गया। यह राधा कुंड कहलाया।

तब श्रीकृष्ण ने राधा रानी को वरदान दिया कि जो भी दम्पत्ति कार्तिक कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि में इस कुंड में स्नान करेंगे और सच्चे मन से संतान की कामना करेंगे, उन्हें शीघ्र ही संतान सुख की प्राप्ति होगी।

3. राधा कुंड स्नान की संपूर्ण विधि (Radha Kund Snan Vidhi)

संतान प्राप्ति की कामना के लिए दम्पत्ति को निम्न विधि का पालन करना चाहिए:

A. व्रत और तैयारी

  1. निर्जला व्रत: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पत्ति स्नान के दिन निर्जला (बिना अन्न-जल) व्रत रखते हैं।
  2. सात्विकता: दिनभर मन में राधा रानी और कृष्ण जी का ध्यान करें और पूर्ण सात्विकता बनाए रखें।
  3. पूजा सामग्री: स्नान के बाद पूजा के लिए सामग्री तैयार रखें, जिसमें मुख्य रूप से कच्चा सीताफल (सफेद कच्चा कद्दू/पेठा), लाल या पीला कपड़ा, फूल, रोली, अक्षत और दक्षिणा शामिल हो।

चूंकि राधा कुंड स्नान अहोई अष्टमी की तिथि पर होता है और संतान प्राप्ति से भी जुड़ा है, इसलिए इस विषय पर माता द्वारा रखे जाने वाले अहोई अष्टमी व्रत की संपूर्ण जानकारी के लिए, आप [अहोई अष्टमी व्रत विधि] यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं।

B. मध्यरात्रि स्नान और पूजा

  1. आरती और पूजन: मध्यरात्रि से ठीक पहले, पति-पत्नी एक साथ राधा कुंड और श्याम कुंड के तट पर आरती और पूजन करें।
  2. वस्त्र धारण: स्नान के लिए दम्पत्ति नए और साफ वस्त्र धारण करें। पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी या सलवार-कुर्ता पहनना चाहिए।
  3. डुबकी: रात के ठीक 12 बजे के आसपास, दम्पत्ति एक साथ राधा कुंड में कम से कम तीन या पाँच डुबकियाँ लगाएँ। स्नान के बाद तुरंत बाद राधा कुंड के पास ही स्थित श्याम कुंड में भी स्नान करना अनिवार्य माना जाता है।
  4. वस्त्र त्याग: स्नान के बाद भीगे हुए वस्त्रों को वहीं कुंड के किनारे ही छोड़ देना शुभ माना जाता है।
  5. सीताफल दान (कुष्मांडा दान): यह अनुष्ठान का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। स्नान के बाद, पति-पत्नी एक साथ कच्चे सीताफल (पेठे/कद्दू) को लाल या पीले कपड़े में लपेटकर, राधा रानी के सामने संतान प्राप्ति की प्रार्थना करते हुए दान करते हैं।

C. व्रत का पारण और नियम

  1. पारण: दान और पूजा के बाद, पति-पत्नी एक साथ फल या मिष्ठान ग्रहण करके व्रत का पारण (समापन) करते हैं।
  2. दक्षिणा: पंडितों और जरूरतमंदों को अपनी श्रद्धा अनुसार दक्षिणा दें।
  3. संकल्प: दम्पत्ति यह संकल्प लें कि जब उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो जाएगी, तो वे अपने बच्चे के साथ राधा कुंड में आकर राधा रानी का धन्यवाद करेंगे और मुंडन आदि अनुष्ठान करेंगे।

4. Radha Kund Snan Vidhi, स्नान के विशेष नियम और सावधानियाँ

इस पवित्र अनुष्ठान को करते समय कुछ नियमों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है:

  • शुद्धता: स्नान के दिन और अनुष्ठान के दौरान पूर्ण सात्विकता और शारीरिक शुद्धता बनाए रखें।
  • व्रत पालन: संतान की कामना के लिए दम्पत्ति को पूरे दिन निर्जला व्रत रखना अनिवार्य है।
  • मध्यरात्रि स्नान: रात 12 बजे के मुहूर्त में ही स्नान करने का प्रयास करें, क्योंकि यह समय सर्वाधिक शुभ माना जाता है।
  • आवागमन: स्नान के समय कुंड पर भारी भीड़ रहती है, इसलिए सुरक्षा और व्यवस्था का ध्यान रखें।
  • दान: स्नान के बाद कुष्मांडा (सीताफल) दान करना अनिवार्य है; इसे प्रसाद के रूप में घर नहीं लाना चाहिए।

राधा कुंड स्नान केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि राधा रानी के प्रति अटूट विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। सच्चे मन से किए गए इस अनुष्ठान से निसंदेह आपको संतान सुख की प्राप्ति होगी।

जय श्री राधे!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: राधा कुंड स्नान कब किया जाता है?
उत्तर: राधा कुंड स्नान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है, जिसे अहोई अष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन मध्यरात्रि (लगभग रात 12 बजे) के समय स्नान करना सबसे शुभ माना जाता है।

प्रश्न 2: राधा कुंड स्नान का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: इस स्नान से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी दम्पत्ति अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि में राधा कुंड में स्नान करते हैं, राधा रानी की कृपा से उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 3: क्या केवल विवाहित दम्पत्ति ही राधा कुंड स्नान कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, मुख्यतः यह स्नान विवाहित दम्पत्तियों के लिए संतान प्राप्ति और दाम्पत्य सुख हेतु किया जाता है। हालांकि श्रद्धालु अविवाहित व्यक्ति भी राधा रानी के प्रति भक्ति भाव से स्नान कर सकते हैं।

प्रश्न 4: राधा कुंड स्नान के दौरान कौन-से वस्त्र पहनना चाहिए?
उत्तर: पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी या सलवार-कुर्ता जैसे सात्विक वस्त्र पहनना चाहिए। स्नान के बाद इन वस्त्रों को वहीं कुंड के किनारे त्याग देना शुभ माना गया है।

प्रश्न 5: स्नान से पहले कौन-सी तैयारी करनी चाहिए?
उत्तर: स्नान से पहले दम्पत्ति को निर्जला व्रत रखना चाहिए, राधा-कृष्ण का ध्यान करना चाहिए, और पूजा सामग्री जैसे सीताफल, कपड़ा, फूल, रोली, अक्षत, व दक्षिणा तैयार रखनी चाहिए।

प्रश्न 6: स्नान के बाद क्या दान करना अनिवार्य है?
उत्तर: हाँ, स्नान के बाद “कुष्मांडा दान” (सीताफल दान) करना अत्यंत आवश्यक है। इसे लाल या पीले कपड़े में लपेटकर राधा रानी के समक्ष संतान प्राप्ति की प्रार्थना करते हुए अर्पित किया जाता है।

प्रश्न 7: क्या राधा कुंड और श्याम कुंड दोनों में स्नान करना आवश्यक है?


उत्तर: हाँ, पहले राधा कुंड और फिर श्याम कुंड में स्नान करना अनिवार्य माना गया है। यह अनुष्ठान की पूर्णता के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 8: क्या राधा कुंड स्नान केवल मथुरा-वृंदावन में ही संभव है?
उत्तर: राधा कुंड और श्याम कुंड मथुरा के गोवर्धन क्षेत्र में स्थित हैं। यद्यपि अन्य तीर्थों पर श्रद्धा से स्नान किया जा सकता है, परंतु राधा कुंड में स्नान का विशेष फल बताया गया है।

प्रश्न 9: स्नान के समय कौन-सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर: स्नान से पहले शुद्धता बनाए रखें, भीड़ में धैर्य रखें, स्नान के समय हँसी-मजाक या शोर न करें, और राधा-कृष्ण के नाम का जप करते रहें।

प्रश्न 10: क्या निसंतान महिलाएँ अकेले राधा कुंड स्नान कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, यदि पति उपस्थित न हो तो स्त्रियाँ अकेले भी राधा रानी से संतान की प्रार्थना करते हुए श्रद्धा से स्नान कर सकती हैं।

प्रश्न 11: क्या राधा कुंड स्नान के बाद कोई विशेष संकल्प लिया जाता है?
उत्तर: हाँ, दम्पत्ति यह संकल्प लेते हैं कि संतान प्राप्ति के बाद वे अपने बच्चे के साथ पुनः राधा कुंड आएंगे और धन्यवाद स्वरूप अनुष्ठान करेंगे।

प्रश्न 12: क्या राधा कुंड स्नान से पापों का भी शमन होता है?
उत्तर: हाँ, धार्मिक मान्यता है कि राधा कुंड में डुबकी लगाने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रश्न 13: स्नान के बाद क्या प्रसाद घर ले जाना उचित है?
उत्तर: नहीं, कुष्मांडा (सीताफल) दान को घर नहीं लाना चाहिए। इसे वहीं दान कर देना शुभ होता है।

प्रश्न 14: क्या अहोई अष्टमी व्रत और राधा कुंड स्नान का आपस में संबंध है?


उत्तर: हाँ, अहोई अष्टमी के दिन ही राधा कुंड स्नान किया जाता है। दोनों ही संतान की प्राप्ति और उसके कल्याण के लिए किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान हैं।

प्रश्न 15: क्या स्नान के समय कोई विशेष मंत्र बोला जाता है?
उत्तर: स्नान के समय श्रद्धालु यह प्रार्थना करते हैं —
जय जय श्री राधे, कृपा करो मुझ पर माता, संतान सुख प्रदान करो।”

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