2026 में अन्नप्राशन संस्कार के शुभ मुहूर्त – जानें सही समय और विधि
Annaprashan Muhurat 2026 – अन्नप्राशन संस्कार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है। इस संस्कार में बच्चे को पहली बार अनाज खिलाया जाता है। इस संस्कार को बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जाता है। इस संस्कार के बाद बच्चे का जीवन एक नए चरण में प्रवेश करता है।
अन्नप्राशन संस्कार के लिए एक शुभ मुहूर्त का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मुहूर्त का चयन बच्चे के भविष्य के लिए शुभ माना जाता है। मुहूर्त के अनुसार किया गया अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए लाभकारी होता है।
अन्नप्राशन मुहूर्त का चयन करने के लिए एक ज्योतिषी की सलाह लेना उचित होता है। ज्योतिषी बच्चे के जन्म कुंडली का विश्लेषण करके एक शुभ मुहूर्त का चयन कर सकता है।
अन्नप्राशन मुहूर्त के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:
- शुभ मुहूर्त में किया गया अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लेकर आता है।
- मुहूर्त के अनुसार किया गया अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए लाभकारी होता है।
- मुहूर्त के अनुसार किया गया अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के भविष्य में सफलता के लिए शुभ होता है।
इस प्रकार, अन्नप्राशन मुहूर्त का चयन बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, अन्नप्राशन संस्कार के लिए एक शुभ मुहूर्त का चयन करना आवश्यक होता है।

बच्चे का अन्नप्राशन कब होना चाहिए ?
बच्चा जब छठवें या सातवें महीने का हो जाए तब उसका अन्नप्राशन संस्कार करना ठीक रहता है,क्योंकि इस समय तक उसके दांत निकल चुके होते हैं | ऐसे में वह हल्का अनाज को पचाने में सक्षम होता है | माना जाता है कि लड़कों का अन्नप्राशन सम महीने में एवं कन्याओं का अन्नप्राशन विषम महीनों में करना चाहिए |
अन्नप्राशन कौन कराता है ? Annaprashan Muhurat 2026
यह कार्य घर के किसी वृद्ध व्यक्ति के द्वारा किया जाना चाहिए । शास्त्रों के अनुसार अन्नप्राशन से पूर्व उन पात्रों का पूजन करना चाहिए जिनमें कि शिशु को प्राशन कराया जाना होता है। इसमें इन पात्रों पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित कर उन्हें पुष्प, अक्षत आदि से यथाविधि पूजा जाता है। तत्पश्चात उसपर केले का साफ़ किया हुआ पत्ता बिछाया जाता है उस पर चावल की खीर या हलुआ रखकर खिलाया जाता है | कहीं-कहीं यह रस्म मामा पक्ष को करनी होती है | इसमे जो भी वर्तन या उपहार आदि मामा को देने होते हैं |
अन्नप्रासन में सबसे पहले किसे खिलाना चाहिए ?
चावल या खीर और केले सहित भोजन के साथ केले के पत्ते की थाली बच्चे के सामने रखी जाती है, जिसमें से बच्चे के चाचा, पिता या दादा उसे सबसे पहले खाना खिलाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि बच्चे को पहला निवाला स्वर्ण या चांदी की चम्मच से खिलाना चाहिए |
अन्नप्राशन में बच्चों को क्या खिलाना चाहिए ? Annaprashan Muhurat 2026
यदि हम ज्योतिष या शास्त्रों की मानें तो इस समारोह का सबसे महत्वपूर्ण भोजन चावल की खीर या हलवा होता है । कोशिश करें कि शिशु को किसी भी अनाज की बहुत छोटी सी ही मात्रा दी जानी चाहिए, क्योंकि उस समय बच्चा पहली बार अनाज खाता है जिसे हजम करने की आदत उसे नहीं होती |
अन्नप्राशन का उद्देश्य क्या है ? Annaprashan Muhurat 2026
अन्नप्राशन समारोह क्या है ? संस्कृत में अन्नप्राशन का अर्थ है अन्न दीक्षा। नवजात शिशु के पहले चावल खाने की रस्म हामरे देश में एक प्रसिद्ध परंपरा मानी जाती है | यह आपके बच्चे के जीवन में ठोस आहार के सेवन की शुरुआत का प्रतीक है |
Annaprashan Muhurat January 2026
01 जनवरी 2026 गुरुवार को 07:43 ए एम् से 10:21 ए एम् तक | पुनः 11:49 ए एम् से 04:45 पी एम् तक | पुनः 07:00 पी एम् से 10:50 पी एम् तक |
05 जनवरी 2026 सोमवार को 08:23 ए एम् से 12:58 पी एम् तक |
09 जनवरी 2026 शुक्रवार को 08:48 पी एम् से 11:05 पी एम् तक |
Annaprashan Muhurat February 2026
06 फरवरी 2026 शुक्रवार को 09:27 ए एम् से 02:23 पी एम् तक | पुनः 04:38 पी एम् से 11:32 पी एम् तक |
18 फरवरी 2026 बुधवार को 06:11 पी एम् से 10:44 पी एम् तक |
20 फरवरी 2026 शुक्रवार को 07:24 ए एम् से 09:57 ए एम् तक | पुनः 11:32 ए एम् से 03:43 पी एम् तक |
Annaprashan Muhurat March 2026
20 मार्च 2026 शुक्रवार को 09:43 ए एम् से 04:12 पी एम् तक |
25 मार्च 2026 बुधवार को 09:23 ए एम् से 11:19 ए एम् तक | पुनः 01:33 पी एम् से 02:18 पी एम् तक |
27 मार्च 2026 शुक्रवार को 10:35 ए एम् से 01:26 पी एम् तक |
Annaprashan Muhurat April 2026
26 अप्रैल 2026 रविवार को 04:51 ए एम् से 08:25 पी एम् तक |
29 अप्रैल 2026 बुधवार को 04:49 ए एम् से 07:50 पी एम् तक |
Annaprashan Muhurat May 2026
01 मई 2026 शुक्रवार को 09:58 ए एम् से 09:11 पी एम् तक |
03 मई 2026 रविवार को 07:08 ए एम् से 10:26 पी एम् तक |
05 मई 2026 मंगलवार को 07:37 पी एम् से 05:35 ए एम् 06 मई तक |
06 मई 2026 बुधवार को 05:35 ए एम् से 03:52 पी एम् तक |
07 मई 2026 गुरुवार को 06:44 पी एम् से 05:33 ए एम् तक |
08 मई 2026 शुक्रवार को 05:33 ए एम् से 12:19 पी एम् तक |
13 मई 2026 बुधवार को 08:53 पी एम् से 05:29 ए एम् 14 मई तक |
14 मई 2026 गुरुवार को 05:29 ए एम् से 04:57 पी एम् तक |
Annaprashan Muhurat June 2026
21 जून 2026 रविवार को 09:29 ए एम् से 11:19 ए एम् तक |
22 जून 2026 सोमवार को 06:00 ए एम् से 05:41 ए एम् 23 जून तक |
24 जून 2026 बुधवार को 09:27 ए एम् से 02:36 ए एम् 25 जून तक |
26 जून 2026 02:44 पी एम् से 04:43 ए एम् 27 जून तक |
27 जून 2026 शनिवार को 04:43 ए एम् से 05:39 पी एम् तक |
Annaprashan Muhurat July 2026
20 जुलाई 2026 सोमवार को 12:47 पी एम् से 03:07 पी एम् तक |
24 जुलाई 2026 शुक्रवार को 06:06 ए एम् से 09:41 ए एम् तक |
29 जुलाई 2026 बुधवार को 09:56 ए एम् से 02:31 पी एम् तक |
Annaprashan Muhurat August 2026
03 अगस्त 2026 सोमवार को 09:35 ए एम् से 04:30 पी एम् तक |
05 अगस्त 2026 बुधवार को 11:44 ए एम् से 06:26 पी एम् तक |
07 अगस्त 2026 शुक्रवार को 09:28 पी एम् से 10:53 पी एम् तक |
10 अगस्त 2026 सोमवार को 04:02 पी एम् से 09:16 पी एम् तक |
17 अगस्त 2026 सोमवार को 06:23 ए एम् से 10:57 ए एम् तक | पुनः 01:16 पी एम् से 05:39 पी एम् तक |
26 अगस्त 2026 बुधवार को 06:25 ए एम् से 10:21 ए एम् तक |
28 अगस्त 2026 शुक्रवार को 06:26 ए एम् से 12:33 पी एम् तक |
Annaprashan Muhurat September 2026
17 सितम्बर 2026 गुरुवार को 01:33 पी एम् से 03:37 पी एम् तक |
21 सितम्बर 2026 सोमवार को 08:40 ए एम् से 11:00 ए एम् तक | पुनः 01: 18 पी एम् से 03:22 पी एम् तक |
24 सितम्बर 2026 गुरुवार को 08:28 ए एम् से 10:47 ए एम् तक | पुनः 01:06 पी एम् से 03:10 पी एम् तक |
Annaprashan Muhurat October 2026
12 अक्टूबर 2026 सोमवार को 11:55 ए एम् से 02:00 पी एम् तक |
21 अक्टूबर 2026 बुधवार को 11:20 ए एम् से 01:24 पी एम् तक |
Annaprashan Muhurat November 2026
11 नवम्बर 2026 बुधवार को 09:57 ए एम् से 12:06 पी एम् तक |
16 नवम्बर 2026 सोमवार को 09:38 ए एम् से 11:41 ए एम् तक |
Annaprashan Muhurat December 2026
14 दिसम्बर 2026 सोमवार को 11:34 ए एम् से 01:01 पी एम् तक |
16 दिसम्बर 2026 बुधवार को 07:40 ए एम् से 10:36 ए एम् तक |
निष्कर्ष (Conclusion)
अन्नप्राशन संस्कार केवल बच्चे को पहली बार ठोस आहार खिलाने की रस्म नहीं है, बल्कि यह उसके स्वस्थ और समृद्ध जीवन की नींव रखने का एक पवित्र अवसर है। सही समय और शुभ मुहूर्त में इस संस्कार को करने से बच्चे को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और उसका शारीरिक व मानसिक विकास संतुलित रहता है।
2026 के लिए प्रदान किए गए ये मुहूर्त आपको अपने बच्चे के इस विशेष दिन की योजना बनाने में मदद करेंगे। ध्यान रखें कि संस्कार के समय सात्विक भोजन (जैसे खीर या हलवा) का ही प्रयोग करें और बच्चे की सुविधा का पूरा ध्यान रखें। किसी भी विशेष मुहूर्त की व्यक्तिगत शुद्धि और अपनी क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार सटीक जानकारी के लिए अपने पारिवारिक पुरोहित या किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें। हम कामना करते हैं कि यह नया चरण आपके शिशु के जीवन में उत्तम स्वास्थ्य और खुशहाली लेकर आए।
अन्नप्राशन संस्कार 2026 – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1- अन्नप्राशन संस्कार क्या होता है?
उत्तर:
अन्नप्राशन संस्कार हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसमें शिशु को पहली बार ठोस आहार (मुख्य रूप से चावल की खीर या हलवा) खिलाया जाता है। यह संस्कार बच्चे के विकास और स्वास्थ्य की शुभ शुरुआत का प्रतीक है।
2- अन्नप्राशन संस्कार कब किया जाता है? (Annaprashan Muhurat 2026)
उत्तर:
अधिकतर शिशु का अन्नप्राशन 6वें या 7वें महीने में किया जाता है।
परंपरा के अनुसार:
- लड़कों का अन्नप्राशन सम महीने में
- लड़कियों का अन्नप्राशन विषम महीनों में
करना शुभ माना जाता है।
3- अन्नप्राशन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त कैसे चुना जाता है?
उत्तर:
अन्नप्राशन मुहूर्त शिशु की जन्म कुंडली, नक्षत्र, ग्रहों की स्थिति और शुभ तिथियों को ध्यान में रखकर चुना जाता है।
इसलिए सटीक मुहूर्त के लिए एक अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेना श्रेष्ठ होता है।
4- अन्नप्राशन में सबसे पहले बच्चे को क्या खिलाया जाता है?
उत्तर:
सबसे पहले बच्चे को—
- चावल की खीर
- सूजी का हलवा
- या केला मिलाकर हल्का भोजन
बहुत कम मात्रा में खिलाया जाता है।
पहला निवाला अक्सर सोने या चांदी की चम्मच से देना शुभ माना जाता है।
5- अन्नप्राशन संस्कार कौन कराता है?
उत्तर:
परंपरागत रूप से यह कार्य परिवार के किसी बड़े सदस्य—
- बच्चे के पिता
- दादा
- या चाचा
द्वारा कराया जाता है।
कहीं-कहीं यह रस्म मामा भी करवाते हैं।
6- अन्नप्राशन संस्कार में कौन-सी वस्तुएँ आवश्यक होती हैं?
उत्तर:
- पूजा सामग्री
- पूजा के पात्र
- स्वच्छ केला पत्ता
- चावल की खीर/हलवा
- चांदी/सोने की चम्मच
- शिशु के नए वस्त्र
7- अन्नप्राशन संस्कार किस महीने में नहीं करना चाहिए?
उत्तर:
ग्रहों की अशुभ स्थिति, पंचक, ग्रहण के समय, और अशुभ तिथियों (अमावस्या/चतुर्दशी) में अन्नप्राशन संस्कार से बचना चाहिए।
इसके लिए ज्योतिषीय परामर्श आवश्यक है।
8- क्या अन्नप्राशन घर पर किया जा सकता है या मंदिर में करना चाहिए?
उत्तर:
दोनों विकल्प मान्य हैं।
यदि घर में किया जाए तो शुद्धता और पूजा-विधि का ध्यान रखें।
मंदिर में कराने से वातावरण अधिक पवित्र और आध्यात्मिक होता है।
9- अन्नप्राशन संस्कार 2026 के सबसे शुभ महीने कौन से हैं?
उत्तर:
ज्योतिषीय दृष्टि से 2026 में
जनवरी, फरवरी, अप्रैल, मई, जून और अगस्त
अन्नप्राशन संस्कार के लिए अत्यंत शुभ माने गए हैं।
10- अन्नप्राशन का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर:
वैदिक मान्यताओं के अनुसार अन्नप्राशन संस्कार—
✔ बुद्धि
✔ आयु
✔ स्वास्थ्य
✔ और समृद्धि
का आशीर्वाद प्रदान करता है।
इसी कारण इसे “अन्न दीक्षा” भी कहा जाता है।
इन्हें भी देखें :-
जानिए आपको कौनसा यंत्र धारण करना चाहिए ?



