नवरात्रि चौथा दिन: माँ कूष्मांडा पूजा विधि, कथा, महत्व और मंत्र
Maa Kushmanda Puja Vidhi – नवरात्रि की नौ दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा का चौथा दिन माँ दुर्गा के अत्यंत रचनात्मक और जीवनदायिनी स्वरूप माँ कूष्मांडा को समर्पित है। यदि प्रथम तीन दिनों में हमने दृढ़ता, अनुशासन और साहस को आत्मसात किया, तो चौथा दिन हमें सृष्टि की उत्पत्ति और जीवन के मूल स्रोत से जोड़ता है। यह वह स्वरूप है, जिन्होंने अपनी मंद मुस्कान से इस संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना की।
कौन हैं माँ कूष्मांडा? नाम का रहस्य और पौराणिक कथा
‘कूष्मांडा’ नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है: ‘कु’ (छोटा), ‘उष्मा’ (ऊर्जा या गर्मी) और ‘अंडा’ (ब्रह्मांडीय अंडा)। इस प्रकार, कूष्मांडा का शाब्दिक अर्थ है “जिन्होंने अपनी अल्प ऊर्जा से ब्रह्मांड को अंडे के रूप में उत्पन्न किया”। यह नाम सीधे उनके सृष्टि की रचना से जुड़े होने को दर्शाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब इस सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब हर तरफ केवल गहरा अंधकार और शून्य व्याप्त था। उस समय, कोई भी जीव या पदार्थ मौजूद नहीं था। तभी, माँ दुर्गा ने अपने इस दिव्य स्वरूप को धारण किया, जो चारों ओर व्याप्त अंधकार को अपनी मंद मुस्कान से प्रकाशित कर सकता था। यह माना जाता है कि माँ कूष्मांडा ने अपनी दिव्य और हल्की हंसी से ब्रह्मांड की रचना की। उन्होंने सूर्य को दिशा और ऊर्जा दी, और अपने तेज से ही इस समस्त सृष्टि को आलोकित किया। इसीलिए उन्हें सृष्टि की आदि शक्ति और आदिस्वरूपा भी कहा जाता है।
सूर्य की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण, उनके तेज की तुलना सूर्य से भी की जाती है। वे सभी दिशाओं में प्रकाश और ऊर्जा का संचार करती हैं, और ब्रह्मांड की सभी शक्तियों पर उनका नियंत्रण है।

Maa Kushmanda Puja Vidhi और दिव्य स्वरूप
माँ कूष्मांडा का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और भव्य है, जो उनकी असीम शक्ति और रचनात्मकता को दर्शाता है।
- आठ हाथ: उन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है, क्योंकि उनके आठ हाथ हैं। ये आठ हाथ आठों दिशाओं में उनकी शक्ति और नियंत्रण को दर्शाते हैं।
- अस्त्र-शस्त्र और वस्तुएँ: उनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा हैं। आठवें हाथ में जपमाला है, जो भक्तों को सिद्धि और निधियों से युक्त करती है।
- अमृत कलश: उनके हाथों में अमृत से भरा कलश विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह कलश उनके द्वारा दी गई जीवन शक्ति और अमरता का प्रतीक है। यह हमें यह भी बताता है कि वे अपने भक्तों को आरोग्य और लंबी आयु प्रदान करती हैं।
- सिंह (वाहन): वे सिंह पर सवार हैं, जो उनकी शक्ति, साहस और धर्म के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
Maa Kushmanda Puja Vidhi, विशेष महत्व, आरोग्य, सुख-समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि वे सृष्टि की जननी हैं और सभी प्रकार के कष्टों को हरने वाली हैं।
- रोग और शोक से मुक्ति: यह माना जाता है कि माँ कूष्मांडा की पूजा करने से भक्तों के सभी रोग, शोक और दुख दूर हो जाते हैं। वे अपने भक्तों को उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद देती हैं।
- अनाहत चक्र का जागरण: योग शास्त्र के अनुसार, माँ कूष्मांडा का संबंध अनाहत चक्र से है, जो हृदय क्षेत्र में स्थित होता है। यह चक्र हमारे प्रेम, करुणा और दूसरों के साथ संबंध का केंद्र है। इनकी पूजा से यह चक्र जागृत होता है, जिससे व्यक्ति के भीतर प्रेम और सकारात्मकता का संचार होता है।
- समृद्धि और ऐश्वर्य: अपनी रचनात्मक ऊर्जा के कारण, वे भक्तों को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। वे हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में सकारात्मकता और खुशी ही सबसे बड़ी संपत्ति है।
Maa Kushmanda Puja Vidhi और मंत्र: कैसे करें माँ की आराधना
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से की जाती है।
- पूजा की तैयारी: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और हरे या पीले रंग के वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- संकल्प और पूजा: हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर पूजा का संकल्प लें। माँ को हरे रंग के फूल और सिंदूर अर्पित करें।
- भोग: माँ कूष्मांडा को मालपुआ या पेठे (कद्दू) से बने व्यंजन का भोग लगाना अति शुभ माना जाता है। कूष्मांडा (कद्दू) से ही उनके नाम का संबंध है।
- मंत्र और आरती: उनकी पूजा में इस मंत्र का जाप करें:
माँ कूष्मांडा का बीज मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम: ||
पूजा मंत्र: ऊं कुष्माण्डायै नम: ||
ध्यान मंत्र:
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
निष्कर्ष
माँ कूष्मांडा की पूजा हमें यह सिखाती है कि जीवन का हर क्षण एक नई रचना का अवसर है। उनकी मुस्कान से ही यह ब्रह्मांड बना, और उनकी कृपा से ही हम अपने जीवन को भी खुशियों और सकारात्मकता से भर सकते हैं। नवरात्रि की इस यात्रा में, माँ कूष्मांडा हमें आरोग्य, सुख और ज्ञान का आशीर्वाद प्रदान करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) Maa Kushmanda Puja Vidhi
1️⃣ नवरात्रि के चौथे दिन कौन सी देवी की पूजा की जाती है?
उत्तर: नवरात्रि के चौथे दिन माँ दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। इन्हें सृष्टि की जननी और ब्रह्मांड को ऊर्जा देने वाली शक्ति माना जाता है।
2️⃣ माँ कूष्मांडा की पूजा कब और किस समय करनी चाहिए?
उत्तर: नवरात्रि के चौथे दिन ब्रह्म मुहूर्त से लेकर दिन के किसी भी शुभ मुहूर्त में माँ कूष्मांडा की पूजा की जा सकती है। प्रातः काल का समय सबसे उत्तम माना गया है।
3️⃣ माँ कूष्मांडा का प्रिय भोग क्या है?
उत्तर: माँ कूष्मांडा को कद्दू (कूष्मांड) से बने व्यंजन विशेष रूप से प्रिय हैं। मालपुआ और पेठे का भोग चढ़ाना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
4️⃣ माँ कूष्मांडा का वाहन और प्रतीक क्या है?
उत्तर: माँ कूष्मांडा सिंह पर सवार रहती हैं। उनके आठ हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जपमाला रहती है। ये वस्तुएँ शक्ति, समृद्धि और आरोग्य का प्रतीक हैं।
5️⃣ माँ कूष्मांडा की पूजा करने से क्या लाभ मिलता है?
उत्तर: उनकी पूजा से रोग और शोक का नाश होता है, उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही हृदय चक्र (अनाहत चक्र) जागृत होता है जिससे प्रेम, करुणा और सकारात्मकता का संचार होता है।
6️⃣ माँ कूष्मांडा का बीज मंत्र क्या है?
उत्तर: माँ कूष्मांडा का बीज मंत्र है –
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम:” ||
इस मंत्र का जप करने से मानसिक शांति और दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है।
7️⃣ माँ कूष्मांडा की पूजा में कौन से रंग के वस्त्र पहनें?
उत्तर: माँ कूष्मांडा की पूजा में हरे या पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। ये रंग ऊर्जा, समृद्धि और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।
8️⃣ क्या घर पर अकेले माँ कूष्मांडा की पूजा की जा सकती है?
उत्तर: जी हाँ, घर पर विधि-विधान से संकल्प लेकर, शुद्ध मन और भक्ति भाव से कोई भी व्यक्ति माँ कूष्मांडा की पूजा कर सकता है। पंडित की उपस्थिति आवश्यक नहीं है।
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